UP News: इस गांव में अब तक कोई नहीं पा सका सरकारी नौकरी, 80 प्रतिशत लोग अशिक्षित, सिर्फ एक ही स्नातक

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गांव नगला चोइया का प्राथमिक विद्यालय

गांव नगला चोइया का प्राथमिक विद्यालय
– फोटो : अमर उजाला

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उत्तर प्रदेश के एटा जिले के मारहरा ब्लॉक क्षेत्र का गांव नगला चोइया शिक्षा के मामले में बेहद पिछड़ा हुआ है। आजादी के 75 साल बाद भी करीब 700 की आबादी में महज एक व्यक्ति स्नातक की शिक्षा प्राप्त कर सका है। अब तक इस गांव में कोई भी व्यक्ति सरकारी नौकरी प्राप्त नहीं कर सका है। गांव में 80 प्रतिशत लोग अशिक्षित हैं।
 
मिरहची कस्बा से दस किमी की दूर काली नदी के तट पर बसे ग्राम पंचायत मुहम्मदपुर के मजरा नगला चोइया में शिक्षा के मामले में आज भी निचले पायदान पर है। ज्यादातर लोग अशिक्षित होने के कारण किसी को सरकारी नौकरी नसीब नहीं हुई है। 

गांव में प्राथमिक विद्यालय संचालित है, लेकिन लोगों में जागरूकता का अभाव है। इसमें 42 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। नियमित रूप से स्कूल महज दस से 15 बच्चे ही आते हैं। प्राथमिक शिक्षा होने के बाद अभिभावक बच्चों को खेती या मजदूरी में लगा लेते हैं। गांव में कोई भी उच्च प्राथमिक विद्यालय नहीं है।

इंटर कॉलेज छह किमी तो महाविद्यालय 16 किमी दूर

नगला चोइया से इंटर कॉलेज छह किमी दूरी पर स्थित है। वहीं महाविद्यालय मारहरा में 16 किमी दूरी पर है। अन्य महाविद्यालय कासगंज में 20 तो एटा में 30 किमी की दूरी पर स्थित हैं। इसके चलते ग्रामीणों की शिक्षा इंटरमीडिएट के बाद ठिठक जाती है।

राशन डीलर ओम प्रकाश ने बताया कि गांव में कुछ समय पहले ही प्राथमिक विद्यालय का निर्माण हुआ है। उससे पहले कोई प्राथमिक विद्यालय नहीं था। गांव के लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण उच्च शिक्षा नहीं दिला पाए। आने वाली पीढ़ियों पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ रहा है। 

गांव के नेम सिंह ने बताया कि हमने हमेशा मेहनत-मजदूरी करके अपना तथा परिवार का भरण-पोषण किया है। शिक्षा मंहगी होने के कारण व गांव में कोई भी स्कूल न होने के उस जमाने में हम अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सके। अब बच्चों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। 

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सिर्फ अनिल ने पास किया है स्नातक 

गांव के एकमात्र स्नातक पास अनिल कुमार ने बताया कि जीवन में शिक्षा का बहुत ही बड़ा महत्व है। यही एक जरिया है, जिससे सामाजिक और आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है। गांव के हर व्यक्ति को यह बात समझनी चाहिए और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के पथ पर बढ़ाना चाहिए। 

प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक अनिल कुमार ने बताया कि विद्यालय में जितने बच्चों के पंजीकरण हैं, नियमित रूप से पढ़ने के लिए नहीं आते हैं। इस संबंध में कई बार उनके अभिभावकों से से संपर्क किया गया है। शिक्षा के महत्व को लेकर गांव के लोग जागरूक नहीं हैं।

बीएसए संजय सिंह ने बताय कि 15 वर्ष से अधिक उम्र के निरक्षर लोगों को साक्षर करने के लिए नवभारत अभियान के तहत सर्वेक्षण किया जा रहा है। इस गांव में भी सर्वे कराया जाएगा। बैठक कर अभिभावकों को बच्चों की पढ़ाई के लिए जागरूक किया जाएगा। 

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उत्तर प्रदेश के एटा जिले के मारहरा ब्लॉक क्षेत्र का गांव नगला चोइया शिक्षा के मामले में बेहद पिछड़ा हुआ है। आजादी के 75 साल बाद भी करीब 700 की आबादी में महज एक व्यक्ति स्नातक की शिक्षा प्राप्त कर सका है। अब तक इस गांव में कोई भी व्यक्ति सरकारी नौकरी प्राप्त नहीं कर सका है। गांव में 80 प्रतिशत लोग अशिक्षित हैं।

 

मिरहची कस्बा से दस किमी की दूर काली नदी के तट पर बसे ग्राम पंचायत मुहम्मदपुर के मजरा नगला चोइया में शिक्षा के मामले में आज भी निचले पायदान पर है। ज्यादातर लोग अशिक्षित होने के कारण किसी को सरकारी नौकरी नसीब नहीं हुई है। 

गांव में प्राथमिक विद्यालय संचालित है, लेकिन लोगों में जागरूकता का अभाव है। इसमें 42 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। नियमित रूप से स्कूल महज दस से 15 बच्चे ही आते हैं। प्राथमिक शिक्षा होने के बाद अभिभावक बच्चों को खेती या मजदूरी में लगा लेते हैं। गांव में कोई भी उच्च प्राथमिक विद्यालय नहीं है।



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