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उन्नाव। मियागंज विकासखंड के परेंदा में शौचालय निर्माण में 4.64 लाख के गबन का खुलासा हुआ है। कागजों में 51 शौचालय बनाकर धनराशि हड़प ली गई। डीपीआरओ ने पूर्व प्रधान और सचिव को नोटिस देते हुए 15 दिन में जवाब मांगा है।
हाईकोर्ट के अधिवक्ता पुष्पेंद्र सिंह भदौरिया ने जनसुनवाई पोर्टल पर वर्ष 2011 से 2015 के बीच निर्मल भारत योजना के तहत बनवाए गए निजी शौचालयों के निर्माण में गबन की शिकायत दर्ज कराई थी। उस समय प्रति शौचालय बनाने की लागत छह हजार रुपये तय की गई थी। एडीपीआरओ शिवशरण शर्मा की अगुवाई में सहायक विकास अधिकारी शैलेंद्र दुबे व एसबीएम जिला समन्वयक श्रीष द्विवेदी ने परेंदा गांव जाकर शौचालयों की जांच की। जांच में पता चला कि 61 शौचालय निर्माण का पैसा जारी हुआ था। इसमें 51 शौचालय मौके पर नहीं मिले। कुछ शौचालय अधूरे थे। इसमें मिलने वाली पूरी राशि खर्च नहीं हुई थी। जांच अधिकारियों ने चार लाख 64 हजार 100 रुपये के सरकारी धन के गबन की रिपोर्ट डीपीआरओ को दी थी।
पूर्व प्रधान मानस मोहन राणा के कार्यकाल में गबन किया गया। इसमें तत्कालीन सचिव ने भी प्रधान का साथ दिया। इस आधार पर दोनों को दोषी मानते हुए कार्रवाई की संस्तुति की गई है। डीपीआरओ डॉ. निरीश कुमार साहू ने पूर्व प्रधान व सचिव को नोटिस दिया है। इसमें कहा है कि सरकारी धन के गबन पर 15 दिन में स्पष्टीकरण दें। यदि निर्धारित समय में संतोषजनक उत्तर न मिला तो गबन की धनराशि की रिकवरी कराने के साथ रिपोर्ट भी दर्ज कराई जाएगी।
इससे पहले भी पूर्व प्रधान को भी शौचालय निर्माण में घोटाले पर नोटिस दिया गया था। परेंदा के ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायत पर डीएम ने जिला विकास अधिकारी व ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के अधिशासी अभियंता को जांच दी थी। जांच में वर्ष 2017 से 2020 तक की अभिलेखीय जांच भी की थी। 48 शौचालय मौके पर नहीं मिले थे। शौचालयों का निर्माण कागजों पर दिखाकर 5.76 लाख रुपये निकाले जाने की पुष्टि हुई थी। पूर्व प्रधान रीना सिंह व तत्कालीन पंचायत सचिव जंग बहादुर को गबन का दोषी मानते हुए कारण बताओ नोटिस दिया गया था। मामला कोर्ट में चला गया था। कोर्ट ने दोषियों का पक्ष जानकर आगे की कार्रवाई के लिए आदेश दिया है।
उन्नाव। मियागंज विकासखंड के परेंदा में शौचालय निर्माण में 4.64 लाख के गबन का खुलासा हुआ है। कागजों में 51 शौचालय बनाकर धनराशि हड़प ली गई। डीपीआरओ ने पूर्व प्रधान और सचिव को नोटिस देते हुए 15 दिन में जवाब मांगा है।
हाईकोर्ट के अधिवक्ता पुष्पेंद्र सिंह भदौरिया ने जनसुनवाई पोर्टल पर वर्ष 2011 से 2015 के बीच निर्मल भारत योजना के तहत बनवाए गए निजी शौचालयों के निर्माण में गबन की शिकायत दर्ज कराई थी। उस समय प्रति शौचालय बनाने की लागत छह हजार रुपये तय की गई थी। एडीपीआरओ शिवशरण शर्मा की अगुवाई में सहायक विकास अधिकारी शैलेंद्र दुबे व एसबीएम जिला समन्वयक श्रीष द्विवेदी ने परेंदा गांव जाकर शौचालयों की जांच की। जांच में पता चला कि 61 शौचालय निर्माण का पैसा जारी हुआ था। इसमें 51 शौचालय मौके पर नहीं मिले। कुछ शौचालय अधूरे थे। इसमें मिलने वाली पूरी राशि खर्च नहीं हुई थी। जांच अधिकारियों ने चार लाख 64 हजार 100 रुपये के सरकारी धन के गबन की रिपोर्ट डीपीआरओ को दी थी।
पूर्व प्रधान मानस मोहन राणा के कार्यकाल में गबन किया गया। इसमें तत्कालीन सचिव ने भी प्रधान का साथ दिया। इस आधार पर दोनों को दोषी मानते हुए कार्रवाई की संस्तुति की गई है। डीपीआरओ डॉ. निरीश कुमार साहू ने पूर्व प्रधान व सचिव को नोटिस दिया है। इसमें कहा है कि सरकारी धन के गबन पर 15 दिन में स्पष्टीकरण दें। यदि निर्धारित समय में संतोषजनक उत्तर न मिला तो गबन की धनराशि की रिकवरी कराने के साथ रिपोर्ट भी दर्ज कराई जाएगी।
इससे पहले भी पूर्व प्रधान को भी शौचालय निर्माण में घोटाले पर नोटिस दिया गया था। परेंदा के ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायत पर डीएम ने जिला विकास अधिकारी व ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के अधिशासी अभियंता को जांच दी थी। जांच में वर्ष 2017 से 2020 तक की अभिलेखीय जांच भी की थी। 48 शौचालय मौके पर नहीं मिले थे। शौचालयों का निर्माण कागजों पर दिखाकर 5.76 लाख रुपये निकाले जाने की पुष्टि हुई थी। पूर्व प्रधान रीना सिंह व तत्कालीन पंचायत सचिव जंग बहादुर को गबन का दोषी मानते हुए कारण बताओ नोटिस दिया गया था। मामला कोर्ट में चला गया था। कोर्ट ने दोषियों का पक्ष जानकर आगे की कार्रवाई के लिए आदेश दिया है।
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