Chhath Puja 2022: नहाय खाय के साथ महापर्व शुरू, ब्रज में यमुना घाटों पर बिखरेगी छठ पूजा की छटा

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छठ पूजा

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– फोटो : amar ujala

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पूर्वांचल का प्रमुख छठ पूजा का महापर्व शुक्रवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया। आगरा और मथुरा में भी यमुना घाटों पर छठ की छटा बिखरेगी। नहाय खाय पर महिलाएं घर पर ही सूर्यदेव को अर्घ्य देकर चने की दाल, लौकी की सब्जी से व्रत का पारायण करती हैं। यह पर्व चार दिनों तक चलता है। 

हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व शुरू होता है। इसके बाद दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को भक्त दिनभर का उपवास रखते हैं और शाम को भोजन करते हैं। इसे ‘खरना’ कहा जाता है।

खरना के दिन व्रती महिलाएं उपवास रखती हैं और शाम के समय मिट्टी का नया चूल्हा बनाकर, आम की लकड़ी जलाकर उस पर गुड़ और चावल की खीर बनाकर छठी मैया को भोग लगाने के बाद महिलाएं सादा रोटी और गुड़ की खीर का भोजन करती हैं। 

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31 अक्तूबर को होगा व्रत का समापन 

खरना के बाद तीसरे दिन सुबह घर की महिलाएं नहाने के बाद छठ मैया और सूर्य देव के लिए प्रसाद तैयार करती है। प्रसाद में ठिकुआ, खजूर बनाया जाता है और शाम को यमुना किनारे स्थित घाटों पर जाकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगी। 31 अक्तूबर को सुबह सूरज निकलने से पहले घाट पर जाकर उगते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा। जिसके बाद महिलाएं व्रत खोलेंगी। 

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आगरा के बल्केश्वर और रामबाग घाट पर सैकड़ों श्रद्धालु छठ पूजा के लिए जुटेंगे। छठ महापर्व को लेकर घाटों पर साफ-सफाई की गई है। उधर, मथुरा में भी पूर्वांचल के लोग छठ महापर्व विधि-विधान के अनुसार मनाते हैं। यहां भी यमुना के घाटों पर पूजा होती है। छठ महापर्व को लेकर ब्रज के लोगों में भी उल्लास है।  

विस्तार

पूर्वांचल का प्रमुख छठ पूजा का महापर्व शुक्रवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया। आगरा और मथुरा में भी यमुना घाटों पर छठ की छटा बिखरेगी। नहाय खाय पर महिलाएं घर पर ही सूर्यदेव को अर्घ्य देकर चने की दाल, लौकी की सब्जी से व्रत का पारायण करती हैं। यह पर्व चार दिनों तक चलता है। 

हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व शुरू होता है। इसके बाद दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को भक्त दिनभर का उपवास रखते हैं और शाम को भोजन करते हैं। इसे ‘खरना’ कहा जाता है।

खरना के दिन व्रती महिलाएं उपवास रखती हैं और शाम के समय मिट्टी का नया चूल्हा बनाकर, आम की लकड़ी जलाकर उस पर गुड़ और चावल की खीर बनाकर छठी मैया को भोग लगाने के बाद महिलाएं सादा रोटी और गुड़ की खीर का भोजन करती हैं। 

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