BHU ट्रॉमा सेंटर में मासूम को मिला जीवन: पेट के आरपार हो गई थी सरिया, डॉक्टरों ने जटिल सर्जरी कर बचाई जान

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बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में सर्जरी करते डॉक्टर।

बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में सर्जरी करते डॉक्टर।
– फोटो : फाइल

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बीएचयू ट्रॉमा सेंटर के चिकित्सक पांच साल के प्रांजल के लिए देवदूत बन गए। छत पर खेलते समय गिरने के कारण घर में बीम के लिए छोड़ी गई सरिया पेट के आरपार हो गई। परिजन जब बच्चे को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे तो उसकी हालत ठीक नहीं थी। ढाई घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद बच्चे के पेट से सरिया को बाहर निकाल दिया गया। 

रानीपुर मऊ निवासी श्याम कुमार के पांच साल का बेटा प्रांजल छत पर खेल रहा था और खेलते समय अचानक गिरा तो बगल के घर में बीम के लिए छोड़ी गई सरिया उसके पेट के आरपार हो गई। बेहोश होने के कारण वह सरिया में फंसकर झूल गया। पड़ोसियों ने देखा तो उन्होंने शोर मचाना शुरू कर दिया।

पिता बोले-  चार बेटियों के बाद हुआ यह बेटा 

घरवालों ने गांव वालों की मदद से गैस कटर मशीन मंगाई और सरिये को काटकर बच्चे को नीचे उतारा गया। सरिया का बाकी हिस्सा बच्चे के शरीर में ही छोड़ दिया गया और परिजन उसे लेकर बीएचयू ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह के निर्देश पर तत्काल बच्चे का इलाज शुरू हो गया।

घंटे भर के अंदर बच्चे को ऑपरेशन थिएटर में शिफ्ट कर दिया गया। दो घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद प्रांजल की जान बच गई। ऑपरेशन के बाद प्रांजल के पिता श्याम कुमार ने कहा कि चार बेटियों के बाद यह बेटा हुआ था। हमने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी लेकिन यहां के चिकित्सकों ने भगवान की भूमिका निभाई और मेरे बेटे को बचा लिया।

बीएचयू ट्रॉमा सेंटर के इंचार्ज प्रो. सौरभ सिंह ने बताया कि बच्चे के इलाज के लिए कोई भी खर्च परिजनों से नहीं लिया गया है। ट्रॉमा सेंटर में ऑपरेशन की पूरी व्यवस्था होने के कारण बच्चे की जान बच गई है।
बाल शल्य रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. वैभव पांडेय ने बताया कि सरिया पेट के आरपार होने के कारण पेट फट गया था।

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ऐसी स्थिति में बहुत कम ही संभावना होती है बचने की। छोटी आंत में 10 जगहों पर छेद हो गया था। सरिया किडनी के रास्ते बायें पैर को जोड़ने वाली धमनी के बाहर निकल गई थी। ऑपरेशन के दौरान छोटी आंत का 40 सेंटीमीटर हिस्सा काटकर निकालने के बाद उसे जोड़ा गया। ओटी में उपलब्ध एडवांस वेसेल सीलर मशीन बच्चे की जान बचाने में काफी मददगार हुई थी।

ऑपरेशन के लिए दवाएं, उपकरण या अन्य सामग्री व पैसा जमा कराने के झंझट व भाग दौड़ नहीं करनी पड़ी। सारी सुविधाएं प्रभारी के निर्देश पर अस्पताल की ओर से ही मुहैया कराई गई। इससे समय की बचत हुई। ऑपरेशन में डॉ. सुनील, डॉ. रजत, डॉ. सेठ, डॉ. मंजरी मिश्रा, डॉ. आमीर, डॉ. अनुईया आदि शामिल थीं।

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बीएचयू ट्रॉमा सेंटर के चिकित्सक पांच साल के प्रांजल के लिए देवदूत बन गए। छत पर खेलते समय गिरने के कारण घर में बीम के लिए छोड़ी गई सरिया पेट के आरपार हो गई। परिजन जब बच्चे को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे तो उसकी हालत ठीक नहीं थी। ढाई घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद बच्चे के पेट से सरिया को बाहर निकाल दिया गया। 

रानीपुर मऊ निवासी श्याम कुमार के पांच साल का बेटा प्रांजल छत पर खेल रहा था और खेलते समय अचानक गिरा तो बगल के घर में बीम के लिए छोड़ी गई सरिया उसके पेट के आरपार हो गई। बेहोश होने के कारण वह सरिया में फंसकर झूल गया। पड़ोसियों ने देखा तो उन्होंने शोर मचाना शुरू कर दिया।

पिता बोले-  चार बेटियों के बाद हुआ यह बेटा 

घरवालों ने गांव वालों की मदद से गैस कटर मशीन मंगाई और सरिये को काटकर बच्चे को नीचे उतारा गया। सरिया का बाकी हिस्सा बच्चे के शरीर में ही छोड़ दिया गया और परिजन उसे लेकर बीएचयू ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह के निर्देश पर तत्काल बच्चे का इलाज शुरू हो गया।



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