उपलब्धि : गगनयान को तीन वर्ष में मानव मिशन पर भेजने की तैयारी, अंतरिक्ष में जल्द भेजा जाएगा मानव सहित सेटेलाइट

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Prayagraj News :  इलाहाबाद विवि के भौतिक विज्ञान में आयोजित सेमिनार में बोलते डॉ. मूर्ति रैमिल्ला।

Prayagraj News : इलाहाबाद विवि के भौतिक विज्ञान में आयोजित सेमिनार में बोलते डॉ. मूर्ति रैमिल्ला।
– फोटो : अमर उजाला।

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गगनयान को अगले तीन वर्षों में मानव मिशन पर भेजने की तैयारी है, जबकि मानव रहित सेटेलाइट बहुत जल्द ही अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान की मानव अंतरिक्ष फ्लाइट समूह गगनयान परियोजना के प्रमुख डॉ.मूर्ति रैमील्ला ने दी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय-इविवि के भौतिक विज्ञान विभाग में व्याख्यान देने आए डॉ.मूर्ति ने बताया, मानव रहित सेटेलाइट अंतरिक्ष में भेजा जाएगा और सेंसर के माध्यम से वहां उपलब्ध सूचनाओं को एकत्र किया जाएगा। इसरो ने इसकी प्रौद्योगिकी विकसित कर ली है। बहुत जल्द मानव रहित सेटेलाइट और फिर ह्यूमेनाइड सेटेलाइट को भी अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

ह्यूमेनाइड सेटेलाइट में रोबोट होंगे। सेटेलाइट अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद पता लगाया जाएगा कि वहां के तापमान का रोबोट पर क्या असर पड़ता है। साथ ही यह पर्यावरण को किस प्रकार से प्रभावित करता है। इन तमाम प्रभावों के अध्ययन के बाद आवश्यक सुधार किए जाएंगे और फिर सेटेलाइट के साथ मानव को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। गगनयान को मानव मिशन पर भेजने में तीन वर्ष का समय लग सकता है। मिशन की सफलता के साथ पूरा होने के बाद मंगल ग्रह पर मानव के पहुंचने का रास्ता साफ हो जाएगा।

देश को एक लाख टेलीमेडिसिन सेंटर की जरूरत
इसरो के वैज्ञानिक तथा टेलीमेडिसिन एसोसिएशन के सचिव डॉ.मूर्ति रैमील्ला कहते हैं, वर्ष 2001 में टेलीमेडिसिन की शुरुआत हुई थी। वर्तमान में इसरो के तकरीबन ढाई सौ और देश भर में पांच सौ सेंटर हैं। प्रत्येक व्यक्ति को लाभ मिलेे, इसके लिए देश में तकरीबन एक लाख टेलीमेडिसिन सेंटर की जरूरत है। जो काम 18 वर्षों में नहीं हुआ, वह कोविड के बाद हो गया। लोगों ने टेलीमेडिसिन का महत्व समझा और अब इसे तेजी से बढ़ावा मिल रहा है।

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गगनयान को अगले तीन वर्षों में मानव मिशन पर भेजने की तैयारी है, जबकि मानव रहित सेटेलाइट बहुत जल्द ही अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान की मानव अंतरिक्ष फ्लाइट समूह गगनयान परियोजना के प्रमुख डॉ.मूर्ति रैमील्ला ने दी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय-इविवि के भौतिक विज्ञान विभाग में व्याख्यान देने आए डॉ.मूर्ति ने बताया, मानव रहित सेटेलाइट अंतरिक्ष में भेजा जाएगा और सेंसर के माध्यम से वहां उपलब्ध सूचनाओं को एकत्र किया जाएगा। इसरो ने इसकी प्रौद्योगिकी विकसित कर ली है। बहुत जल्द मानव रहित सेटेलाइट और फिर ह्यूमेनाइड सेटेलाइट को भी अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

ह्यूमेनाइड सेटेलाइट में रोबोट होंगे। सेटेलाइट अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद पता लगाया जाएगा कि वहां के तापमान का रोबोट पर क्या असर पड़ता है। साथ ही यह पर्यावरण को किस प्रकार से प्रभावित करता है। इन तमाम प्रभावों के अध्ययन के बाद आवश्यक सुधार किए जाएंगे और फिर सेटेलाइट के साथ मानव को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। गगनयान को मानव मिशन पर भेजने में तीन वर्ष का समय लग सकता है। मिशन की सफलता के साथ पूरा होने के बाद मंगल ग्रह पर मानव के पहुंचने का रास्ता साफ हो जाएगा।

देश को एक लाख टेलीमेडिसिन सेंटर की जरूरत

इसरो के वैज्ञानिक तथा टेलीमेडिसिन एसोसिएशन के सचिव डॉ.मूर्ति रैमील्ला कहते हैं, वर्ष 2001 में टेलीमेडिसिन की शुरुआत हुई थी। वर्तमान में इसरो के तकरीबन ढाई सौ और देश भर में पांच सौ सेंटर हैं। प्रत्येक व्यक्ति को लाभ मिलेे, इसके लिए देश में तकरीबन एक लाख टेलीमेडिसिन सेंटर की जरूरत है। जो काम 18 वर्षों में नहीं हुआ, वह कोविड के बाद हो गया। लोगों ने टेलीमेडिसिन का महत्व समझा और अब इसे तेजी से बढ़ावा मिल रहा है।



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