स्वास्थ्य विभाग का अहम फैसला: प्रसव के लिए कॉल करने पर मौजूद होंगे डॉक्टर, एफआरयू में भी शुरू होगी सुविधा

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प्रतीकात्मक तस्वीर

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– फोटो : istock

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संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अहम कदम उठाया है। फस्ट रेफरल यूनिटों (एफआरयू) की व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है। डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए ऑनकाल व्यवस्था की जाएगी। नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) ने ऑनकाल डॉक्टरों को रखने की गाइडलाइन जारी कर दी है। इसके बाद उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशक को व्यवस्था को बेहतर तरीके से लागू करने के निर्देश दिये हैं।

संस्थागत प्रसव को मिलेगा बढ़ावा
यूपी में हर साल लगभग 56 लाख प्रसव हो रहे हैं। मातृ शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए संस्थागत प्रसव की व्यवस्था को और मजबूत करने की तैयारी है। इसमें डॉक्टरों की कमी अभी तक रोड़े अटका रही थी। फस्ट रेफरल यूनिटों में भी अब ऑनकाल डॉक्टर बुलाये जा सकेंगे। यूपी में 417 एफआरयू हैं। 149 में इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। डॉक्टरों की कमी की वजह से कई एफआईआरयू सेंटर मरीजों को इलाज की सभी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है इसलिए पुख्ता व्यवस्था बनाई जा रही है। ऑनकाल और फालोअप पर बुलाने के लिए अलग से मानदेय प्रदान किया जाएगा।

सिजेरियन के लिए ही ऑनकॉल की सुविधा
खास बात यह है कि सिजेरियन के लिए ही ऑनकाल डॉक्टर बुलाया जाएगा। जिन एफआरयू में स्त्री रोग व एनस्थीसिया विशेषज्ञों की टीम नहीं होगी, वहां निजी क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञ ऑनकाल बुलाए जा सकेंगे। जिला स्तरीय चिकित्सालय पर तैनात विशेषज्ञों को ग्रामीण एफआरयू इकाइयों में ऑनकाल बुलाया जा सकेगा साथ ही ग्रामीण एफआरयू में तैनात विशेषज्ञों को जिला स्तरीय चिकित्सालयों पर सिजेरियन प्रसव के लिए ऑनकाल बुलाया जा सकता है। सीएमओ जनपद की समस्त राजकीय एफआरयू स्वास्थ्य इकाइयों में ऑनकॉल पर कार्य करने के इच्छुक विशेषज्ञों से सहमति पत्र प्राप्त करेंगे। उन्हें जिला स्वास्थ्य समिति से संबद्ध कराएंगे। इस पैनल में चयनित विशेषज्ञों को एक या एक से अधिक एफआरयू इकाई का चयन करने का अवसर दिया जा सकता है।

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि एफआरयू इकाइयों में सिजेरियन की पुख्ता व्यवस्था से बड़े अस्पतालों में मरीजों का दबाव कम होगा। समय से गर्भवती महिलाओं को इलाज मिलने की राह आसान होगी। एफआरयू में आवश्यक दवायें और उपकरण आदि की व्यवस्था है। आनकाल डॉक्टरों की व्यवस्था प्रभावी तरीके से लागू की जाए। ताकि ग्रामीणों को इसका लाभ मिल सके।

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संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अहम कदम उठाया है। फस्ट रेफरल यूनिटों (एफआरयू) की व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है। डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए ऑनकाल व्यवस्था की जाएगी। नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) ने ऑनकाल डॉक्टरों को रखने की गाइडलाइन जारी कर दी है। इसके बाद उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशक को व्यवस्था को बेहतर तरीके से लागू करने के निर्देश दिये हैं।

संस्थागत प्रसव को मिलेगा बढ़ावा

यूपी में हर साल लगभग 56 लाख प्रसव हो रहे हैं। मातृ शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए संस्थागत प्रसव की व्यवस्था को और मजबूत करने की तैयारी है। इसमें डॉक्टरों की कमी अभी तक रोड़े अटका रही थी। फस्ट रेफरल यूनिटों में भी अब ऑनकाल डॉक्टर बुलाये जा सकेंगे। यूपी में 417 एफआरयू हैं। 149 में इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। डॉक्टरों की कमी की वजह से कई एफआईआरयू सेंटर मरीजों को इलाज की सभी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है इसलिए पुख्ता व्यवस्था बनाई जा रही है। ऑनकाल और फालोअप पर बुलाने के लिए अलग से मानदेय प्रदान किया जाएगा।

सिजेरियन के लिए ही ऑनकॉल की सुविधा

खास बात यह है कि सिजेरियन के लिए ही ऑनकाल डॉक्टर बुलाया जाएगा। जिन एफआरयू में स्त्री रोग व एनस्थीसिया विशेषज्ञों की टीम नहीं होगी, वहां निजी क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञ ऑनकाल बुलाए जा सकेंगे। जिला स्तरीय चिकित्सालय पर तैनात विशेषज्ञों को ग्रामीण एफआरयू इकाइयों में ऑनकाल बुलाया जा सकेगा साथ ही ग्रामीण एफआरयू में तैनात विशेषज्ञों को जिला स्तरीय चिकित्सालयों पर सिजेरियन प्रसव के लिए ऑनकाल बुलाया जा सकता है। सीएमओ जनपद की समस्त राजकीय एफआरयू स्वास्थ्य इकाइयों में ऑनकॉल पर कार्य करने के इच्छुक विशेषज्ञों से सहमति पत्र प्राप्त करेंगे। उन्हें जिला स्वास्थ्य समिति से संबद्ध कराएंगे। इस पैनल में चयनित विशेषज्ञों को एक या एक से अधिक एफआरयू इकाई का चयन करने का अवसर दिया जा सकता है।

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि एफआरयू इकाइयों में सिजेरियन की पुख्ता व्यवस्था से बड़े अस्पतालों में मरीजों का दबाव कम होगा। समय से गर्भवती महिलाओं को इलाज मिलने की राह आसान होगी। एफआरयू में आवश्यक दवायें और उपकरण आदि की व्यवस्था है। आनकाल डॉक्टरों की व्यवस्था प्रभावी तरीके से लागू की जाए। ताकि ग्रामीणों को इसका लाभ मिल सके।



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