कार्तिक पूर्णिमा पर काशी वासियों ने बाबा विश्वनाथ के दरबार में दीप जलाकर हाजिरी लगाई। विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार पर काशी वासियों ने 21 सौ घी के दीए जलाए। मंगलवार की शाम को गंगा का किनारा हर-हर महादेव के जयघोष से गुंजायमान हो उठा।
काशी विश्वनाथ धाम के गंगाद्वार पर अजय शर्मा के नेतृत्व में काशी वासियों ने देवताओं के स्वागत में घी के 21 सौ दिए जलाए। प्रथम दीप बाबा विश्वनाथ को अर्पित करने के बाद देवताओं के स्वागत के लिए एक-एक करके 21सौ दीप देदीप्यमान हो उठे।
काशी में कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए मंगलवार को गंगा तटों पर आस्था का जनसैलाब उमड़ा। घाटों पर स्नान का उत्सव किसी कुंभ से कम नहीं नजर आया। कहीं समूहबद्ध महिलाओं के गंगा गीत गूंज रहे थे तो कहीं दीपदान और पूजा, अर्घ्यदान। गंगा पार स्नान के बाद रेत से विष्णु और शिव की प्रतिमाएं बनाकर महिलाओं ने आरती उतारी और घर, परिवार से समाज के मंगल की कामना की। आज वर्ष का अंतिम चंद्रग्रहण है। ऐसे में सूतक काल लगने से पहले लोगों में स्नान-दान की होड़ रही।
तीर्थनगरी में कार्तिक पूर्णिमा पर दो लाख से अधिक लोगों के डुबकी लगाने का अनुमान है। पुण्य की डुबकी लगाने वालों का रेला इस कदर उमड़ा कि घाटों पर जहां तक नजर जाए, वहां तक सिर्फ स्नानार्थियों के ही सिर नजर आने लगे। हालत यह हुई कि घाट पर जगह न होने की वजह से प्रशासन को स्नानार्थियों के जत्थों को जहां-तहां रोकना पड़ा।
सोमवार आधी रात के बाद से ही दशाश्वमेध जाने वाली सड़कों पर स्नानार्थियों का रेला उमड़ने लगा। भोर तक दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट पैक हो गए। इन दोनों घाटों पर देव दीपावली देखने आए लोगों की भीड़ पहले से मौजूद थी। गंगा स्नान को लेकर पुलिस-प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त दिखे।