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अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव (फाइल फोटो)
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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में डिंपल यादव को प्रत्याशी बनाकर मुलायम सिंह यादव की विरासत और सियासत पर एकाधिकार का संदेश दिया है। उन्होंने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि वह खुद भले मुलायम सिंह यादव की सीट पर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं लेकिन डिंपल के बहाने वह मैनपुरी से पूरी तरह जुड़े रहेंगे। जाति समीकरण के लिहाज से भी डिंपल को ही ज्यादा फिट माना जा रहा है।
समाजवादी पार्टी ने डिंपल यादव को उम्मीदवार घोषित करने से पहले यहां का जिलाध्यक्ष पूर्व मंत्री आलोक शाक्य को बनाया। इनके जरिए शाक्य मतदाताओं को अपने पक्ष में लामबंद किया गया। पार्टी के लोगों का कहना है कि पूर्व मंत्री आलोक कुमार शाक्य तीन बार भोगांव से विधायक रह चुके हैं। इनके पिता राम औतार शाक्य भी दो बार विधायक रहे हैं। अभी तक भाजपा यहां से शाक्य चेहरे पर दांव लगाने की तैयारी में हैं लेकिन सपा ने जिलाध्यक्ष बनाकर समीकरण साध लिया।
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इस लोकसभा क्षेत्र में भोगांव, मैनपुरी, किशनी और करहल के साथ इटावा के जसवंत नगर विधानसभा क्षेत्र है। यहां सर्वाधिक करीब 3.5 लाख यादव, डेढ़ लाख ठाकुर, करीब 1.60 शाक्य मतदाता हैं। इसी तरह मुस्लिम, कुर्मी, लोधी एक-एक लाख और ब्राह्मण व जाटव डेढ़-डेढ़ लाख हैं।
करहल से अखिलेश यादव खुद विधायक हैं और जसवंत नगर से शिवपाल सिंह यादव और किसी से बृजेश कठेरिया विधायक है। जबकि मैनपुरी, भोगांव विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा का कब्जा है। इस लिहाज से भी समाजवादी पार्टी को भरोसा है कि वह मैनपुरी लोकसभा सीट पर फिर से परचम लहराने में कामयाब होगी।
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