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सार
आगरा जनपद में फतेहपुर सीकरी विधानसभा में दो बार बदन सिंह, बाह विधानसभा में रिपुदमन सिंह को मिल सके हैं केवल 60 फीसदी वोट।
चुनाव की परीक्षा में जनता से मिले वोटों से अब तक केवल 9 प्रत्याशी ही ऐसे रहे जो प्रथम श्रेणी में पास होकर विधायक चुने जा सके। 1952 के बाद से अब तक 70 सालों में हुए 17 विधानसभा चुनाव में 60 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करने वाले ऐसे केवल 9 विधायक ही हैं, जिन पर जनता ने खूब प्यार लुटाया।
फतेहपुरसीकरी से 5 बार विधायक रह चुके चौधरी बदन सिंह का रिकॉर्ड अब तक कोई तोड़ नहीं पाया। साल 1989 के चुनाव में जनता दल से चुनाव मैदान में उतरे बदन सिंह को 68.55 फीसदी वोट हासिल हुए जो आगरा जिले की सभी 9 विधानसभा सीटों का रिकॉर्ड है। उन्होंने तब कांग्रेस के गुलाब सिंह को हराया था, जिन्हें महज 23 हजार वोट मिले। इससे पहले 1977 की जनता लहर में भी फतेहपुरसीकरी से लड़े बदन सिंह को लोगों ने कुल मतदान में से 62.22 फीसदी वोट दिए थे। एकतरफा और बड़े अंतर की जीत हासिल करने में भदावर राज परिवार के महेंद्र रिपुदमन सिंह भी पीछे नहीं रहे। वह सबसे पहले 1957 के चुनाव में पहली बार उतरे तो कुल मतदान में से 64.47 फीसदी वोट हासिल हुए। दूसरी बार 1977 की लहर में उन्हें 60.54 फीसदी वोट हासिल हुए।
1989 में तीन प्रत्याशियों पर लुटाया था दुलार
17 चुनाव में केवल 1989 का विधानसभा चुनाव ऐसा था, जब प्रत्याशियों की एकतरफा जीत हुई। इनमें फतेहपुरसीकरी से बदन सिंह, फतेहाबाद से बहादुर सिंह और खेरागढ़ से मंडलेश्वर सिंह ने 60 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किए। उसके बाद से 30 साल तक 20 से 55 फीसदी वोट पाकर विधायक बनते रहे। 30 साल बाद 2019 में आगरा उत्तर सीट पर हुए उपचुनाव में पुरुषोत्तम खंडेलवाल को 64.96 फीसदी वोट हासिल हुए। आगरा उत्तर सीट पर पहले और 17वें चुनाव में विधायकों को 60 फीसदी से ज्यादा वोट मिले हैं।
वोट पाने में रामप्रताप सबसे आगे
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 1,37,381 वोट पाने वाले एत्मादपुर से विधायक बने रामप्रताप सिंह चौहान है, लेकिन इन्हें मत प्रतिशत 60 फीसदी से कम मिले। उनके बाद वोटों के मामले में दूसरे नंबर पर आगरा उत्तर के जगन प्रसाद गर्ग रहे, जिन्हें 1.35 लाख वोट हासिल हुए। तीसरे नंबर पर आगरा ग्रामीण की हेमलता दिवाकर रही, जिन्हें 1.29 लाख वोट मिले, लेकिन तीनों का मत प्रतिशत कम रहा, हालांकि इतने वोट अब तक किसी प्रत्याशी को हासिल नहीं हुए। मतदाताओं की संख्या बढ़ने और मतदान प्रतिशत बढ़ने के कारण वोटों की संख्या भी बढ़ी।
चुनाव विधानसभा विधायक वोट प्रतिशत
1989 फतेहपुरसीकरी बदन सिंह 68.55 %
2019 आगरा उत्तर पुरुषोत्तम खंडेलवाल 64.96 %
1957 बाह महेंद्र रिपुदमन सिंह 64.47 %
1989 फतेहाबाद बहादुर सिंह 63.34 %
1952 आगरा उत्तर बाबूलाल मीतल 62.30 %
1977 फतेहपुरसीकरी बदन सिंह 62.22 %
1989 खेरागढ़ मंडलेश्वर सिंह 61.36 %
1974 आगरा पश्चिम गुलाब सेहरा 60.76 %
1977 बाह महेंद्र रिपुदमन सिंह 60.54 %
विस्तार
चुनाव की परीक्षा में जनता से मिले वोटों से अब तक केवल 9 प्रत्याशी ही ऐसे रहे जो प्रथम श्रेणी में पास होकर विधायक चुने जा सके। 1952 के बाद से अब तक 70 सालों में हुए 17 विधानसभा चुनाव में 60 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करने वाले ऐसे केवल 9 विधायक ही हैं, जिन पर जनता ने खूब प्यार लुटाया।
फतेहपुरसीकरी से 5 बार विधायक रह चुके चौधरी बदन सिंह का रिकॉर्ड अब तक कोई तोड़ नहीं पाया। साल 1989 के चुनाव में जनता दल से चुनाव मैदान में उतरे बदन सिंह को 68.55 फीसदी वोट हासिल हुए जो आगरा जिले की सभी 9 विधानसभा सीटों का रिकॉर्ड है। उन्होंने तब कांग्रेस के गुलाब सिंह को हराया था, जिन्हें महज 23 हजार वोट मिले। इससे पहले 1977 की जनता लहर में भी फतेहपुरसीकरी से लड़े बदन सिंह को लोगों ने कुल मतदान में से 62.22 फीसदी वोट दिए थे। एकतरफा और बड़े अंतर की जीत हासिल करने में भदावर राज परिवार के महेंद्र रिपुदमन सिंह भी पीछे नहीं रहे। वह सबसे पहले 1957 के चुनाव में पहली बार उतरे तो कुल मतदान में से 64.47 फीसदी वोट हासिल हुए। दूसरी बार 1977 की लहर में उन्हें 60.54 फीसदी वोट हासिल हुए।
1989 में तीन प्रत्याशियों पर लुटाया था दुलार
17 चुनाव में केवल 1989 का विधानसभा चुनाव ऐसा था, जब प्रत्याशियों की एकतरफा जीत हुई। इनमें फतेहपुरसीकरी से बदन सिंह, फतेहाबाद से बहादुर सिंह और खेरागढ़ से मंडलेश्वर सिंह ने 60 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किए। उसके बाद से 30 साल तक 20 से 55 फीसदी वोट पाकर विधायक बनते रहे। 30 साल बाद 2019 में आगरा उत्तर सीट पर हुए उपचुनाव में पुरुषोत्तम खंडेलवाल को 64.96 फीसदी वोट हासिल हुए। आगरा उत्तर सीट पर पहले और 17वें चुनाव में विधायकों को 60 फीसदी से ज्यादा वोट मिले हैं।
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