इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सांकेतिक आय के आधार पर दुर्घटना मुआवजे के भुगतान को मनमाना, अतार्किक, समानता तथा जीवन के मूल अधिकार के विपरीत करार दिया है। सामान्य समादेश जारी कर दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की वास्तविक आय तथा भविष्य की संभावनाओं और 29 सितंबर 2021 की मल्टीप्लायर नीति के तहत निर्धारित करने को कहा है। कोर्ट ने कहा, जहां वास्तविक आय का निर्धारण करना संभव न हो, वहीं सांकेतिक आय के आधार पर मुआवजा तय किया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा, दुर्घटना मुआवजा हमेशा उचित, तार्किक, स्पष्ट, साम्य न्याय तथा सद्भावना पर आधारित होना चाहिए। नाबालिग आश्रितों के मामले में दावे से अधिक मुआवजा तय किया जाय। इसी के साथ कोर्ट ने बिजली विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से हाईटेंशन तार की ऊंचाई कम होने की वजह से ठेकेदार की करंट लगने से हुई मौत के मामले में उसकी वार्षिक आय 3 लाख 50 हजार पर स्कीम के तहत 66 लाख 85 हजार रुपये के मुआवजे के भुगतान का निर्देश दिया है।
इस पर दावे की तिथि से ।छह फीसदी ब्याज देय होगा, जिसमें से 10 लाख नाबालिग पुत्री के नाम बैंक फिक्स डिपॉजिट होगा, जो वह बालिग होने पर पा सकेगी। दस लाख उसी लड़की की उच्च शिक्षा तथा शादी के लिए फिक्स डिपॉजिट किया जाएगा। दो अन्य वारिसों को भी10-10 लाख दिया जाएगा। शेष राशि विधवा याची को दी जाएगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कनीज फातिमा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची के पति हनी खान की, कम ऊंचाई से गई 11केवी लाइन से करंट लगने से 10 अप्रैल 22 को मौत हो गई। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल झांसी की रिपोर्ट में करंट से मौत बताया गया है। विद्युत सुरक्षा अधिकारी ने याची का बयान दर्ज किया। जांच में कर्मचारियों की लापरवाही पाई गई।
उपनिदेशक विद्युत सुरक्षा झांसी ने मुआवजा देने का आदेश दिया। याची का पति मेसर्स रामदूत स्टीलफेव कंपनी का ठेकेदार था, जिसकी वार्षिक आय तीन लाख 50 हजार थी। मल्टीप्लायर स्कीम के तहत 24 लाख 33 हजार 64 रुपये मुआवजा तय किया गया। कोर्ट ने इस मुआवजे को सही नहीं माना। कहा, मुआवजा नीति और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन नहीं किया गया। जिस पर कोर्ट ने मृतक की आयु 27 वर्ष होने के कारण भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए 66 लाख 85 हजार मय छ:फीसदी ब्याज के भुगतान का निर्देश दिया है।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सांकेतिक आय के आधार पर दुर्घटना मुआवजे के भुगतान को मनमाना, अतार्किक, समानता तथा जीवन के मूल अधिकार के विपरीत करार दिया है। सामान्य समादेश जारी कर दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की वास्तविक आय तथा भविष्य की संभावनाओं और 29 सितंबर 2021 की मल्टीप्लायर नीति के तहत निर्धारित करने को कहा है। कोर्ट ने कहा, जहां वास्तविक आय का निर्धारण करना संभव न हो, वहीं सांकेतिक आय के आधार पर मुआवजा तय किया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा, दुर्घटना मुआवजा हमेशा उचित, तार्किक, स्पष्ट, साम्य न्याय तथा सद्भावना पर आधारित होना चाहिए। नाबालिग आश्रितों के मामले में दावे से अधिक मुआवजा तय किया जाय। इसी के साथ कोर्ट ने बिजली विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से हाईटेंशन तार की ऊंचाई कम होने की वजह से ठेकेदार की करंट लगने से हुई मौत के मामले में उसकी वार्षिक आय 3 लाख 50 हजार पर स्कीम के तहत 66 लाख 85 हजार रुपये के मुआवजे के भुगतान का निर्देश दिया है।