इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि परिवार अदालत में विवाह पुनर्स्थापित करने के मुकदमे को तलाक केस में तब्दील करने की संशोधन अर्जी, मंजूर होने की तारीख से प्रभावी होगी। यह कहना सही नहीं है कि संशोधन अर्जी मंजूर हुई तो मुकदमा दाखिल होने की तिथि से संशोधन माना जाएगा। साथ ही परिवार अदालत कानून की धारा 14 में शादी के एक वर्ष के भीतर तलाक अर्जी दाखिल करने पर रोक प्रभावित होगी।
कोर्ट ने कहा परिवार अदालत आगरा की ओर से संशोधन अर्जी निरस्त करना सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत है। हाईकोर्ट ने प्रधान न्यायाधीश परिवार अदालत आगरा के संशोधन अर्जी खारिज करने के 28 जूलाई 22 के आदेश को रद्द कर दिया। मुकद्दमे को तलाक केस में संशोधित करने की अर्जी मंजूर करते हुए अपीलार्थी को तीन हफ्ते में वाद संशोधित करने की छूट दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति राजेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने विकल्प चतुर्वेदी की अपील को स्वीकार करते हुए दिया है।
मामले मेें परिवार अदालत आगरा में अपनी पत्नी शिखा चतुर्वेदी के खिलाफ वाद दायर किया। दोनों की शादी नौ दिसंबर 20 को हुई थी। 31अगस्त 21 को केस दायर करके धारा 13 तलाक केस मानने की अर्जी दी जिसे परिवार अदालत ने यह कहते हुए 28 जुलाई 22 को खारिज कर दिया कि अर्जी मंजूर हुई तो केस दाखिले की तिथि से तलाक केस माना जाएगा।
धारा 14 शादी के एक वर्ष के भीतर तलाक केस बाधित करती है, इसलिए अर्जी मंजूर नहीं की जा सकती। हाईकोर्ट ने कहा, विचाराधीन वाद में संशोधन अर्जी मंजूर होने की तिथि से प्रभावी होगी न कि केस दाखिल होने की तिथि से। इसलिए धारा 14 इस मामले में लागू नहीं होगी।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि परिवार अदालत में विवाह पुनर्स्थापित करने के मुकदमे को तलाक केस में तब्दील करने की संशोधन अर्जी, मंजूर होने की तारीख से प्रभावी होगी। यह कहना सही नहीं है कि संशोधन अर्जी मंजूर हुई तो मुकदमा दाखिल होने की तिथि से संशोधन माना जाएगा। साथ ही परिवार अदालत कानून की धारा 14 में शादी के एक वर्ष के भीतर तलाक अर्जी दाखिल करने पर रोक प्रभावित होगी।
कोर्ट ने कहा परिवार अदालत आगरा की ओर से संशोधन अर्जी निरस्त करना सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत है। हाईकोर्ट ने प्रधान न्यायाधीश परिवार अदालत आगरा के संशोधन अर्जी खारिज करने के 28 जूलाई 22 के आदेश को रद्द कर दिया। मुकद्दमे को तलाक केस में संशोधित करने की अर्जी मंजूर करते हुए अपीलार्थी को तीन हफ्ते में वाद संशोधित करने की छूट दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति राजेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने विकल्प चतुर्वेदी की अपील को स्वीकार करते हुए दिया है।