मैनपुरी सीट के लोकसभा उपचुनाव में नामांकन निरस्त किए जाने के खिलाफ सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) प्रत्याशी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। सुभासपा प्रत्याशी ने मनमाने तरीके से सत्ता के दबाव में नामांकन निरस्त करने का आरोप लगाया है। दायर की गई याचिका सुनवाई के लिए मंजूर कर ली गई है।
लोकसभा उपचुनाव के लिए इटावा निवासी रमाकांत कश्यप ने सुभासपा से नामांकन किया था। जांच के दौरान उनका नामांकन निरस्त कर दिया गया। रमाकांत कश्यप ने अपने अधिवक्ता रामकृपाल यादव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा कि उनके नामांकन पत्र में नामांकन करने के बाद कटिंग की गई है।
‘यस काटकर नो लिखा गया’
उनके द्वारा दिया गया शपथपत्र भी अमान्य कर दिया गया है। शपथ वाले कॉलम में नामांकन के बाद यस काटकर नो लिख दिया गया है। जिस आधार पर उनका नामांकन निरस्त कर दिया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रशासन ने यह कार्रवाई सत्ता के दबाव में प्रत्याशी विशेष को जिताने के लिए की है।
सुभासपा प्रत्याशी की याचिका सुनवाई के लिए हाईकोर्ट में मंजूर कर ली गई है। सुभासपा प्रत्याशी रमाकांत कश्यप का कहना है कि प्रशासन ने उनका नामांकन नियम विरुद्ध तरीके से निरस्त कर दिया है। प्रशासन ने सत्ता के दबाव में उनका नामांकन मनमाने तरीके से निरस्त किया है।
‘प्रशासन ने जान-बूझकर निरस्त किया नामांकन’
सुभासपा के प्रदेश अध्यक्ष प्रेमचंद्र कश्यप ने कहा कि भाजपा को जिताने के लिए प्रशासन ने जान-बूझकर सुभासपा प्रत्याशी का नामांकन निरस्त कर दिया है। सत्ता के दबाव में आकर प्रशासन लोकतंत्र की हत्या कर रहा है। प्रशासन के निर्णय को चुनौती देकर हाईकोर्ट में सुभासपा प्रत्याशी ने याचिका दायर की है। दायर की गई याचिका सुनवाई के लिए मंजूर कर ली गई है।
मैनपुरी सीट के लोकसभा उपचुनाव में नामांकन निरस्त किए जाने के खिलाफ सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) प्रत्याशी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। सुभासपा प्रत्याशी ने मनमाने तरीके से सत्ता के दबाव में नामांकन निरस्त करने का आरोप लगाया है। दायर की गई याचिका सुनवाई के लिए मंजूर कर ली गई है।
लोकसभा उपचुनाव के लिए इटावा निवासी रमाकांत कश्यप ने सुभासपा से नामांकन किया था। जांच के दौरान उनका नामांकन निरस्त कर दिया गया। रमाकांत कश्यप ने अपने अधिवक्ता रामकृपाल यादव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा कि उनके नामांकन पत्र में नामांकन करने के बाद कटिंग की गई है।
‘यस काटकर नो लिखा गया’
उनके द्वारा दिया गया शपथपत्र भी अमान्य कर दिया गया है। शपथ वाले कॉलम में नामांकन के बाद यस काटकर नो लिख दिया गया है। जिस आधार पर उनका नामांकन निरस्त कर दिया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रशासन ने यह कार्रवाई सत्ता के दबाव में प्रत्याशी विशेष को जिताने के लिए की है।