Unnao News: तौरा ग्राम प्रधान का चुनाव में लगा जाति प्रमाणपत्र फर्जी, निरस्त

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उन्नाव। बिछिया ब्लॉक की तौरा ग्राम प्रधान का चुनाव शपथ पत्र में लगाया गया जाति प्रमाणपत्र फर्जी निकला है। जिसे निरस्त कर दिया गया है। ऐसे में अब सीट के रिक्त होने और फर्जी प्रमाणपत्र लगाने में प्रधान पर कार्रवाई की संभावना जताई जाने लगी है।
2021 में अप्रैल/मई में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान बिछिया की ग्राम पंचायत तौरा की प्रधान सीट को अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित किया गया था। गांव के निर्मल कुमार ने खुद को थारू जाति का बताते हुए लखनऊ के सरोजनी नगर के अस्थायी पते से बनवाए गए एसटी जाति का प्रमाणपत्र सहित नामांकन पत्र में दाखिल किया था।
अन्य नामांकन दाखिल न होने से निर्मल को निर्विरोध प्रधान चुन लिया गया था। बाद में गांव के राहुल पांडेय व जयप्रकाश तिवारी ने जाति प्रमाणपत्र के फर्जी होने की शिकायत डीएम लखनऊ से की थी। लखनऊ डीएम के नेतृत्व में गठित चार सदस्यीय टीम ने जाति प्रमाणपत्र की जांच की।
मामले में सदर एसडीएम व बीडीओ बिछिया के साथ बीएसए से भी रिपोर्ट मांगी गई। रिपोर्ट में सभी ने एसटी के जाति प्रमाणपत्र को गलत बताया गया। इसी आधार पर जांच समिति ने एसटी प्रमाणपत्र को फर्जी बताते हुए उसे निरस्त कर दिया और इसकी जानकारी जिला प्रशासन को पत्र भेजकर दी। अब निर्मल कुमार की प्रधानी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। जानकारों की मानें तो फर्जी प्रमाणपत्र लगाने पर एफआईआर भी दर्ज हो सकती है।
बिछिया के एडीओ पंचायत उदयवीर ने बताया कि मामले की जानकारी हुई है। प्रशासन के आदेश पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उधर, प्रभारी डीपीआरओ शिवसरन शर्मा ने बताया कि विधानसभा के प्रश्नों को लेकर व्यस्तता ज्यादा है। इसलिए अभी इसकी पूरी जानकारी नहीं कर पाए हैं।
बिछिया की ग्राम पंचायत तौरा व मऊ सुल्तानपुर में काफी संख्या में नट बिरादरी के लोग रहते हैं। 2011 में हुई जनगणना के दौरान इन लोगों ने खुद के नाम थारु जाति में दर्ज कराए थे। इस आधार पर इन्हें एसटी वर्ग में मान लिया गया और शासन ने इनकी खासी संख्या को देखते हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2015 में दोनों गांवों को एसटी वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया था। 2021 में मऊ सुल्तानपुर तो इससे बाहर हो गई थी लेकिन तौरा का आरक्षण नहीं बदला।

यह भी पढ़ें -  Unnao News: शिकायतों के निस्तारण में सदर तहसील फिसड्डी

उन्नाव। बिछिया ब्लॉक की तौरा ग्राम प्रधान का चुनाव शपथ पत्र में लगाया गया जाति प्रमाणपत्र फर्जी निकला है। जिसे निरस्त कर दिया गया है। ऐसे में अब सीट के रिक्त होने और फर्जी प्रमाणपत्र लगाने में प्रधान पर कार्रवाई की संभावना जताई जाने लगी है।

2021 में अप्रैल/मई में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान बिछिया की ग्राम पंचायत तौरा की प्रधान सीट को अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित किया गया था। गांव के निर्मल कुमार ने खुद को थारू जाति का बताते हुए लखनऊ के सरोजनी नगर के अस्थायी पते से बनवाए गए एसटी जाति का प्रमाणपत्र सहित नामांकन पत्र में दाखिल किया था।

अन्य नामांकन दाखिल न होने से निर्मल को निर्विरोध प्रधान चुन लिया गया था। बाद में गांव के राहुल पांडेय व जयप्रकाश तिवारी ने जाति प्रमाणपत्र के फर्जी होने की शिकायत डीएम लखनऊ से की थी। लखनऊ डीएम के नेतृत्व में गठित चार सदस्यीय टीम ने जाति प्रमाणपत्र की जांच की।

मामले में सदर एसडीएम व बीडीओ बिछिया के साथ बीएसए से भी रिपोर्ट मांगी गई। रिपोर्ट में सभी ने एसटी के जाति प्रमाणपत्र को गलत बताया गया। इसी आधार पर जांच समिति ने एसटी प्रमाणपत्र को फर्जी बताते हुए उसे निरस्त कर दिया और इसकी जानकारी जिला प्रशासन को पत्र भेजकर दी। अब निर्मल कुमार की प्रधानी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। जानकारों की मानें तो फर्जी प्रमाणपत्र लगाने पर एफआईआर भी दर्ज हो सकती है।

बिछिया के एडीओ पंचायत उदयवीर ने बताया कि मामले की जानकारी हुई है। प्रशासन के आदेश पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उधर, प्रभारी डीपीआरओ शिवसरन शर्मा ने बताया कि विधानसभा के प्रश्नों को लेकर व्यस्तता ज्यादा है। इसलिए अभी इसकी पूरी जानकारी नहीं कर पाए हैं।

बिछिया की ग्राम पंचायत तौरा व मऊ सुल्तानपुर में काफी संख्या में नट बिरादरी के लोग रहते हैं। 2011 में हुई जनगणना के दौरान इन लोगों ने खुद के नाम थारु जाति में दर्ज कराए थे। इस आधार पर इन्हें एसटी वर्ग में मान लिया गया और शासन ने इनकी खासी संख्या को देखते हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2015 में दोनों गांवों को एसटी वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया था। 2021 में मऊ सुल्तानपुर तो इससे बाहर हो गई थी लेकिन तौरा का आरक्षण नहीं बदला।



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