संघ प्रमुख बोले : बलवान दुर्बल की रक्षा करने के लिए, मारने के लिए नहीं, धर्म का मतलब सबको साथ लेकर चलने वाला

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आराधना महोत्सव में मौजूद संघ प्रमुख मोहन भागवत और पूर्व राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी।

आराधना महोत्सव में मौजूद संघ प्रमुख मोहन भागवत और पूर्व राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी।
– फोटो : अमर उजाला

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आरएसएस के सर संघ चालक डॉ. मोहन भागवत ने मंगलवार को महापुरुषों का अनुसरण कर राष्ट्र और समाज में परिवर्तन लाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि धर्म का मतलब सबको साथ लेकर चलने वाला होता है। बलवान होने का मतलब यह नहीं कि दुर्बल मारे जाएंगे। बलवान दुर्बल की रक्षा करने के लिए आगे आएं। अलोपीबाग स्थित शंकराचार्य आश्रम के सत्संग हाल में यह बातें उन्होंने ज्योतिष्पीठ के उद्धारक स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती की 150वीं जयंती पर आयोजित आराधना महोत्सव के उद्घाटन अवसर पर कहीं।

आरएसएस के सर संघ चालक डॉ. मोहन भागवत ने गुरुओं से सीख लेकर आगे बढ़ने का संदेश दिया तो महात्मा गांधी, डॉ. भीम राव आंबेडकर जैसे महापुरुषों के आध्यात्मिक चिंतन की भी लोगों को याद दिलाई। कहा कि महापुरुषों ने हमेशा आध्यात्म को आधार बनाया। गांधी, आंबेडकर का भी कहना था कि धर्म के बिना कुछ नहीं हो सकता। धर्म यानी सबको साथ लेकर चलने वाला। उन्होंने कहा कि बल
दुर्बल की रक्षा करने के लिए होता है,

इस सत्यता का प्राकट्य भारत में ही हुआ है। ऐसी प्रेरणा और सीख देने वाले महापुरुषों का अनुसरण कर बदलाव लाने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। सर संघ चालक ने इससे पहले व्यास पीठ की पूजा के साथ ही पादुका पूजन, परंपरा पूजन और पोथी पूजन कर आरती उतारी।

इससे पहले राममंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने सर संघ चालक को अंगवस्त्रम, रुद्राक्ष की माला, स्मृति चिह्न के अलावा राम मंदिर के मॉडल के साथ ही कृष्ण जनमभूमि का भी मॉडल भेंट किया। इस मौके पर पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी और स्वामी हरि चैतन्य ब्रह्मचारी उपस्थित थे।

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आरएसएस के सर संघ चालक डॉ. मोहन भागवत ने मंगलवार को महापुरुषों का अनुसरण कर राष्ट्र और समाज में परिवर्तन लाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि धर्म का मतलब सबको साथ लेकर चलने वाला होता है। बलवान होने का मतलब यह नहीं कि दुर्बल मारे जाएंगे। बलवान दुर्बल की रक्षा करने के लिए आगे आएं। अलोपीबाग स्थित शंकराचार्य आश्रम के सत्संग हाल में यह बातें उन्होंने ज्योतिष्पीठ के उद्धारक स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती की 150वीं जयंती पर आयोजित आराधना महोत्सव के उद्घाटन अवसर पर कहीं।

आरएसएस के सर संघ चालक डॉ. मोहन भागवत ने गुरुओं से सीख लेकर आगे बढ़ने का संदेश दिया तो महात्मा गांधी, डॉ. भीम राव आंबेडकर जैसे महापुरुषों के आध्यात्मिक चिंतन की भी लोगों को याद दिलाई। कहा कि महापुरुषों ने हमेशा आध्यात्म को आधार बनाया। गांधी, आंबेडकर का भी कहना था कि धर्म के बिना कुछ नहीं हो सकता। धर्म यानी सबको साथ लेकर चलने वाला। उन्होंने कहा कि बल

दुर्बल की रक्षा करने के लिए होता है,

इस सत्यता का प्राकट्य भारत में ही हुआ है। ऐसी प्रेरणा और सीख देने वाले महापुरुषों का अनुसरण कर बदलाव लाने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। सर संघ चालक ने इससे पहले व्यास पीठ की पूजा के साथ ही पादुका पूजन, परंपरा पूजन और पोथी पूजन कर आरती उतारी।

इससे पहले राममंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने सर संघ चालक को अंगवस्त्रम, रुद्राक्ष की माला, स्मृति चिह्न के अलावा राम मंदिर के मॉडल के साथ ही कृष्ण जनमभूमि का भी मॉडल भेंट किया। इस मौके पर पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी और स्वामी हरि चैतन्य ब्रह्मचारी उपस्थित थे।



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