UP Election 2022: आगरा के खेरागढ़ की पथरीली जमीन पर त्रिकोणीय मुकाबला, ये प्रत्याशी हैं मैदान में

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सार

आगरा के खेरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा से भगवान सिंह कुशवाह, भाजपा से गंगाधर कुशवाह, सपा-रालोद से रौतान सिंह और कांग्रेस ने रामनाथ सिकरवार पर दांव खेला है। 

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आगरा के खेरागढ़ विधानसभा क्षेत्र की पथरीली जमीन पर इस बार मुकाबला कांटे का है। भाजपा, सपा-रालोद गठबंधन और बसपा प्रत्याशी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर बसपा से दो बार विधायक रह चुके भगवान सिंह कुशवाह को प्रत्याशी बनाया है, जबकि बसपा ने भी अपने चिरपरिचित समीकरण के जरिये जीत की उम्मीद लगाई है, जिसमें गंगाधर कुशवाह को मैदान में उतारा गया। 

सपा-रालोद गठबंधन ने रौतान सिंह को खेरागढ़ की पथरीली जमीन से हैंडपंप के जरिये पानी निकालने की जिम्मेदारी दी है। खेरागढ़ विधानसभा सीट पर कुल 13 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से सात राजनीतिक दलों से और 6 निर्दलीय प्रत्याशी हैं। 

तीन नदियों के बाद भी पानी का संकट 

तीन-तीन नदियों के क्षेत्र खेरागढ़ में रोजगार का बड़ा साधन कृषि और खनन है। पहले यहां सरसों के तेल का बड़ा कारोबार था। राजस्थान से सटे खेरागढ़ में सरसों के एक्सपेलर बड़े पैमाने पर थे, लेकिन अब पत्थर और खेती ही जीविका का साधन हैं। सैंया, जगनेर और खेरागढ़ ब्लॉक को मिलाकर बने विधानसभा क्षेत्र में तीन नदियों के बाद भी पानी का संकट है।

जातीय समीकरण- ब्राह्मण, ठाकुर, कुशवाह मतदाताओं की बहुलता है। मुस्लिम, गुर्जर और जाटव मतदाता भी हैं। एकमुश्त वोटों में बंटवारा प्रत्याशियों की हार-जीत तय करता रहा है। कांग्रेस आठ बार इस सीट को ब्राह्मण और ठाकुर वोटरों की मदद से जीत चुकी है, जबकि बसपा दो बार कुशवाह प्रत्याशी को जिता चुकी है। भाजपा से दो बार वैश्य और एक बार ब्राह्मण प्रत्याशी खेरागढ़ के विधायक बने हैं। पहली बार भाजपा ने कुशवाह प्रत्याशी मैदान में उतारा है।

पहचान – यहां प्राचीन ग्वाल बाबा का मंदिर जगनेर में है। क्षेत्र में स्थित तांतपुर बड़ी पत्थर मंडी है।

मुद्दे – यहां पीने के पानी के साथ ही सिंचाई के लिए भी संकट है, जोकि हर चुनाव में मुद्दा बनता रहा है। इसके अलावा वन गाय किसानों की फसलों के लिए समस्या बनी रहती हैं। सिंचाई, पानी, बिजली, सड़कें ही मुद्दे रहते हैं।

ये चुने जा चुके विधायक

 वर्ष विधायक  दल
1952 जगन प्रसाद रावत कांग्रेस
1957 श्रीकृष्ण दत्त पालीवाल निर्दलीय
1962 जगन प्रसाद रावत  कांग्रेस
1967 जगनप्रसाद रावत  कांग्रेस
1969  जगन प्रसाद रावत कांग्रेस
1974 शिव प्रसाद एनसीओ
1977 गुरुदत्त सोलंकी  जनता पार्टी
1980 मंडलेश्वर सिंह कांग्रेस
1984  बहादुर सिंह  कांग्रेस
1989   मंडलेश्वर सिंह   जनता दल
1991 बाबूलाल गोयल  भाजपा
1993 मंडलेश्वर सिंह कांग्रेस
1996 मंडलेश्वर सिंह  कांग्रेस
2002 रमेशकांत लवानियां  भाजपा
2007 भगवान सिंह कुशवाह बसपा
2012 भगवान सिंह कुशवाह बसपा
2017 महेश गोयल भाजपा
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इस बार ये हैं मैदान में
भगवान सिंह कुशवाह  –   भाजपा
गंगाधर कुशवाह  –  बसपा
रौतान सिंह        –          सपा-रालोद
रामनाथ सिकरवार   – कांग्रेस
 

2017 में ये था चुनाव परिणाम

खेरागढ़ विधानसभा सीट से साल 2017 के चुनाव में भाजपा ने महेश कुमार गोयल को उम्मीदवार बनाया। मोदी लहर में महेश गोयल ने बसपा के दो बार के विधायक रहे भगवान सिंह कुशवाह को करीब 32 हजार वोट के बड़े अंतर से शिकस्त दी। इस बार चुनाव की घोषणा होते ही पूर्व विधायक भगवान सिंह कुशवाहा ने भाजपा का दामन दाम लिया और भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी भी बनाया। खेरागढ़ के पूर्व विधायक रहे अमर सिंह परमार ने इस पर भाजपा छोड़कर सपा का दामन थाम लिया। भाजपा के बागी उम्मीदवार दिगंबर सिंह धाकरे भी मान मनौव्वल के बाद फिर से भाजपा में लौट आए और नामांकन वापस ले लिया। 

2017 में तीन प्रमुख प्रत्याशियों को मिले वोट

1 — महेश कुमार गोयल — भाजपा — 93510 — 47.04%
2 — भगवान सिंह कुशवाह — बसपा — 61511 — 30.9%
3 — कुसुमलता दीक्षित — कांग्रेस — 23088 — 11.61%

विस्तार

आगरा के खेरागढ़ विधानसभा क्षेत्र की पथरीली जमीन पर इस बार मुकाबला कांटे का है। भाजपा, सपा-रालोद गठबंधन और बसपा प्रत्याशी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर बसपा से दो बार विधायक रह चुके भगवान सिंह कुशवाह को प्रत्याशी बनाया है, जबकि बसपा ने भी अपने चिरपरिचित समीकरण के जरिये जीत की उम्मीद लगाई है, जिसमें गंगाधर कुशवाह को मैदान में उतारा गया। 

सपा-रालोद गठबंधन ने रौतान सिंह को खेरागढ़ की पथरीली जमीन से हैंडपंप के जरिये पानी निकालने की जिम्मेदारी दी है। खेरागढ़ विधानसभा सीट पर कुल 13 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से सात राजनीतिक दलों से और 6 निर्दलीय प्रत्याशी हैं। 

तीन नदियों के बाद भी पानी का संकट 

तीन-तीन नदियों के क्षेत्र खेरागढ़ में रोजगार का बड़ा साधन कृषि और खनन है। पहले यहां सरसों के तेल का बड़ा कारोबार था। राजस्थान से सटे खेरागढ़ में सरसों के एक्सपेलर बड़े पैमाने पर थे, लेकिन अब पत्थर और खेती ही जीविका का साधन हैं। सैंया, जगनेर और खेरागढ़ ब्लॉक को मिलाकर बने विधानसभा क्षेत्र में तीन नदियों के बाद भी पानी का संकट है।

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