Prayagraj News : अपने माता-पिता के साथ क्रिकेटर यश दयाल। – फोटो : अमर उजाला।
ख़बर सुनें
ख़बर सुनें
संगमनगरी के लाल यश दयाल इन दिनों अपने शहर प्रयागराज में हैं। चकिया कर्बला की एक तंग गलियों से निकलकर इंडियन प्रीमियम लीग और भारतीय क्रिकेट टीम तक अपनी जगह बनाने वाले यश दयाल का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। रविवार को उनसे हुई खास मुलाकात में क्रिकेट से जुड़े कई पहलुओं पर बात हुई। यहां पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश…।
प्रयागराज से भारतीय टीम तक का सफर कैसा रहा। यह सफर बेहद उतार-चढ़ाव भरा रहा है। कई बार मनोबल टूटा। छोटी-छोटी सफलताओं से हौसला मिला। क्रिकेट को एक जुनून की तरह खेला और पूरी ईमानदारी के साथ क्रिकेट को ही अपने कॅरियर के रूप में देखा। खट्टी-मीठी यादें हैं। परिवार, कोच और यूपीसीए ने बहुत हौसला दिया। अपनी मेहनत, जिद और जुनून में किसी भी तरह की कमी नहीं आने दी। अंत में जो सपना देखा था उसके बेहद करीब हूं। भारतीय टीम की जर्सी पहन खेलने का सपना पूरा होने ही वाला था कि भगवान ने थोड़ा और इंतजार कराना बेहतर समझा। खैर अब खुद को फिट करके इस सपने को पूरा करने की दिशा में काम कर रहा हूं।
आईपीएल के पहले संस्करण का कैसा अनुभव रहा, इस बार की क्या तैयारी है। आईपीएल एक बड़ा प्लेटफार्म है, जहां पर जाना हरगिज आसान नहीं होता है। मेरा पहला संस्करण बहुत ही शानदार रहा है। कई बड़े खिलाड़ी हैं, जो आईपीएल की ट्राफी को उठाना चाहते हैं लेकिन उनका यह सपना अधूरा है। मैं खुशकिस्मत हूं कि पहली ही बार में आईपीएल की विजेता टीम में शामिल रहा और उस टीम की जीत में अपना भी योगदान दिया है।
आप किसे देखकर क्रिकेटर बने
क्रिकेट में मेरी रुचि पिता को देखकर जागी। मेरे पिता एजीयूपी के खिलाड़ी रहे हैं। मेरे घर में क्रिकेट का माहौल शुरू से रहा है। मुझमें क्रिकेट की रुचि देखकर मेरे पिता ने मुझे क्रिकेट की बारीकियां सिखाई। वह ही मेरे पहले कोच रहे हैं। मुझे क्रिकेटर बनाने में मेरे पिता की भूमिका सबसे अधिक रही है।
आपका संघर्ष कैसा रहा है। मैं अब भी हर दिन क्रिकेट को सीखता हूं। मुझे याद है कि जब मैदान पर मुझे गेंदबाजी करने को नहीं मिल पाती थी तो मैंने पिताजी से इसकी शिकायत की थी। मेरे पिताजी ने खुद की एकेडेमी खोल ली और कहा अब जितनी गेंदबाजी करनी हो करो। वह खुद मेरे साथ खेलते थे। कई बार जब मैं निराश होता और क्रिकेट को छोड़ने की बात करता तो परिवार व दोस्त ही मुझे हौसला देते। यूपी अंडर-21 टीम में जब चयनित हुआ और प्रोफेशनल क्रिकेट खेलना शुरू किया तो तय कर लिया कि अब पीछे मुड़कर नहीं देखना है।
आपको कौन से खिलाड़ी पसंद हैं मैं बचपन से ही जहीर खान को अपना आदर्श मानता रहा हूं। उनकी गेंदबाजी को देखकर खुद की गेंदबाजी में सुधार लाने की कोशिश करता था। इसके अलावा युवराज सिंह, हार्दिक पांड्या और विराट कोहली को देखकर काफी कुछ सीखा है।
आपको किस खिलाड़ी से सबसे ज्यादा मदद मिलती है मुझे सबसे ज्यादा आशीष नेहरा सर से मदद मिलती है। वह मुझे बहुत प्रेरित करते हैं। वह गेंदबाजी के साथ-साथ हर तरीके की मदद के लिए मेरे साथ खड़े होते हैं। उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा है। वह एक गुरू और अभिभावक की तरह से मेरे साथ खड़े होते हैं।
किसी खिलाड़ी को आउट करने का सपना है। मैं आंद्रे रसल और रोहित शर्मा को आउट करना चाहता हूं। यह दोनों बल्लेबाज मुझे पसंद हैं और मैं इन दोनों को बोल्ड करना चाहता हूं।
प्रयागराज में क्रिकेटर बनने का सपनादेख रहे नए खिलाड़ियों के लिए क्या सुझाव है। नए खिलाड़ियों को ईमानदारी के साथ अपने खेल से न्याय करना चाहिए। मेहनत ही सफलता की पहली सीढ़ी है, अगर क्रिकेटर बनना चाहते हैं तो एक दिन या एक मैच के लिए मेहनत न करें, बल्कि हर दिन को एक चुनौती के रूप में लेकर अपनी मेहनत जारी रखिये।
आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देना चाहेंगे। मुझे यहां तक पहुंचाने में मेरे परिवार का सबसे बड़ा योगदान रहा है। खास तौर पर पिता ने स्टेडियम जाने के लिए खुद की बाइक मुझे दे दी और बस से आफिस जाने लगे। जब मैं शहर से बाहर क्रिकेट खेलने जाता तो मां देर रात तक मेरा इंतजार करती। मेरे आने के बाद वह मेरे साथ ही खाना खाती थी। बहन मेरी डाइट पर ध्यान दिया करती थी। इन सबका योगदान मुझे यहां तक पहुंचाने में रहा है। नानाजी, बड़े पापा और कोच कौशिक पाल व अमित पाल सबका भरोसा मुझ पर था।
आपको चोट ने काफी परेशान किया, इससे उबरने के लिए क्या कर रहे हैं मैं अपनी फिटनेस पर विशेष रूप से ध्यान दे रहा हूं। रोजाना घंटों अभ्यास कर रहा हूं। जल्द ही फिट होकर मैदान पर लौटूंगा। मेरी मां और दीदी मुझसे ज्यादा मेरे लिए फिक्रमंद रहती हैं।
बांग्लादेश दौरे से बाहर होने की सूचना मिलने पर आपकी क्या प्रतिक्रिया रही बड़ा झटका था। आंसू निकल आए थे। जिस सपने को बचपन से देखा था, उस सपने को पूरा होने का समय आया तो ऐसा हुआ। मां, पिताजी, बहन और दोस्तों ने फोन करके बड़ा हौसला दिया। पिता ने एक कोच के तौर पर मोटीवेट किया। हमेशा की तरह मेरे परिवार ने मुझे ताकत दी। अब फिर से अपने सपने के पीछे दौड़ लगानी शुरू कर दी है।
आपका सबसे यादगार क्षण या मैच कौन सारहा है मेरे लिए मेरे सभी मैच महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सबसे यादगार मैच की बात की जाए तो आईपीएल का पहला मैच मुझे हमेशा याद रहने वाला है। पहले मैच में इतने बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद मुझे खुद भी नहीं थी। थोड़ा रन खर्च किया लेकिन विकेट मिलने से प्रदर्शन शानदार रहा। इसके अलावा आईपीएल का फाइनल मुकाबला भी मुझे हमेशा याद रहने वाला है। आईपीएल ट्राफी का हाथ में होना सबसे यादगार क्षण में से एक है।
यश दयाल क्रिकेटर न होते तो क्या होते हंसते हुए……….पहला तो क्रिकेट के अलावा कुछ सोचा नहीं लेकिन मैं क्रिकेटर न बनता तो सीए जरूर बन जाता।
प्रयागराज में क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए आपने क्या कुछ सोचा है बिल्कुल सोचा है। मैं चाहता हूं कि मेरे शहर से और भी खिलाड़ी निकलें और नाम रौशन करें। मेरी कोशिश है कि मैं सफल होकर अपने शहर के लिए कुछ करूं। यहां पर प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है।
विस्तार
संगमनगरी के लाल यश दयाल इन दिनों अपने शहर प्रयागराज में हैं। चकिया कर्बला की एक तंग गलियों से निकलकर इंडियन प्रीमियम लीग और भारतीय क्रिकेट टीम तक अपनी जगह बनाने वाले यश दयाल का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। रविवार को उनसे हुई खास मुलाकात में क्रिकेट से जुड़े कई पहलुओं पर बात हुई। यहां पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश…।
प्रयागराज से भारतीय टीम तक का सफर कैसा रहा।
यह सफर बेहद उतार-चढ़ाव भरा रहा है। कई बार मनोबल टूटा। छोटी-छोटी सफलताओं से हौसला मिला। क्रिकेट को एक जुनून की तरह खेला और पूरी ईमानदारी के साथ क्रिकेट को ही अपने कॅरियर के रूप में देखा। खट्टी-मीठी यादें हैं। परिवार, कोच और यूपीसीए ने बहुत हौसला दिया। अपनी मेहनत, जिद और जुनून में किसी भी तरह की कमी नहीं आने दी। अंत में जो सपना देखा था उसके बेहद करीब हूं। भारतीय टीम की जर्सी पहन खेलने का सपना पूरा होने ही वाला था कि भगवान ने थोड़ा और इंतजार कराना बेहतर समझा। खैर अब खुद को फिट करके इस सपने को पूरा करने की दिशा में काम कर रहा हूं।
आईपीएल के पहले संस्करण का कैसा अनुभव रहा, इस बार की क्या तैयारी है।
आईपीएल एक बड़ा प्लेटफार्म है, जहां पर जाना हरगिज आसान नहीं होता है। मेरा पहला संस्करण बहुत ही शानदार रहा है। कई बड़े खिलाड़ी हैं, जो आईपीएल की ट्राफी को उठाना चाहते हैं लेकिन उनका यह सपना अधूरा है। मैं खुशकिस्मत हूं कि पहली ही बार में आईपीएल की विजेता टीम में शामिल रहा और उस टीम की जीत में अपना भी योगदान दिया है।