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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Wed, 09 Feb 2022 01:03 AM IST
सार
मामले में प्रयागराज के अतरसुइया थाने में आत्महत्या के लिए उकसाने सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं में रिपोर्ट दर्ज है। याची का आरोप है कि पुलिस आरोपियों से मिली हुई है। घटना के बाद से अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बार फिर सीआरपीसी की धारा 156 (3) को परिभाषित करते हुए कहा है कि आपराधिक घटना की निष्पक्ष जांच कराने के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट को पूरा अधिकार है। वह निष्पक्ष जांच कराने में समक्ष है। याची को हाईकोर्ट आने के बजाय मजिस्ट्रेट के समक्ष अभ्यावेदन करना चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीड ने आदिल रियाज की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
मामले में प्रयागराज के अतरसुइया थाने में आत्महत्या के लिए उकसाने सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं में रिपोर्ट दर्ज है। याची का आरोप है कि पुलिस आरोपियों से मिली हुई है। घटना के बाद से अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में कोई आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि याची पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं है, लेकिन उन्हें हाईकोर्ट आने के बजाय न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष अभ्यावेदन करना चाहिए। कोर्ट ने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के कई केसों का हवाला भी दिया।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बार फिर सीआरपीसी की धारा 156 (3) को परिभाषित करते हुए कहा है कि आपराधिक घटना की निष्पक्ष जांच कराने के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट को पूरा अधिकार है। वह निष्पक्ष जांच कराने में समक्ष है। याची को हाईकोर्ट आने के बजाय मजिस्ट्रेट के समक्ष अभ्यावेदन करना चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीड ने आदिल रियाज की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
मामले में प्रयागराज के अतरसुइया थाने में आत्महत्या के लिए उकसाने सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं में रिपोर्ट दर्ज है। याची का आरोप है कि पुलिस आरोपियों से मिली हुई है। घटना के बाद से अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में कोई आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि याची पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं है, लेकिन उन्हें हाईकोर्ट आने के बजाय न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष अभ्यावेदन करना चाहिए। कोर्ट ने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के कई केसों का हवाला भी दिया।
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