Varanasi: शादी के कुछ माह बाद ही बेटे-बहू ने लगाई फांसी, माता-पिता को पांच वर्ष की कैद

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वाराणसी कोर्ट

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– फोटो : अमर उजाला

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अपर सत्र न्यायाधीश पंचम मनोज कुमार तिवारी की अदालत ने बेटे-बहू की खुदकुशी के मामले में मां और पिता को दोषी पाते हुए पांच वर्ष की कैद की सजा सुनाई। एडीजीसी ओंकार नाथ तिवारी के मुताबिक अभियुक्त राधेश्याम ने 30 दिसंबर 2012 को शिवपुर पुलिस को सूचना दी कि रात में खाने के बाद सभी लोग कमरे में सोने चले गए।

सुबह कमरे में बेटा कृष्णमोहन प्रजापति व बहू चंदा एक ही पंखे के फंदे में लटकते मिले। मृतका की मां सीता ने दो जनवरी 2012 को शिवपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया। अभियुक्तों पर एक लाख नकद व बाइक की मांग को लेकर प्रताड़ना से आजिज आकर आत्महत्या के लिए विवश होने का आरोप लगाया।  अदालत ने शिवपुर के घोड़हा निवासी पिता  राधेश्याम व मां इंद्रावती को विचारण में दोषी पाया और सजा सुना दी। 

दहेज की प्रताड़ना शारीरिक से ज्यादा मानसिक
अदालत ने कहा कि दहेज की प्रताड़ना शारीरिक से ज्यादा मानसिक होती है। तथ्यों से स्पष्ट है कि मृतका का विवाह हुए छह माह भी नहीं हुए थे। उसके पिता भी जीवित नहीं थे।

भाइयों की उम्र व आय ज्यादा नहीं थी। ऐसे में ससुराल से लगातार दी जा रही प्रताड़ना उसके लिए असहनीय थी। 

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अपर सत्र न्यायाधीश पंचम मनोज कुमार तिवारी की अदालत ने बेटे-बहू की खुदकुशी के मामले में मां और पिता को दोषी पाते हुए पांच वर्ष की कैद की सजा सुनाई। एडीजीसी ओंकार नाथ तिवारी के मुताबिक अभियुक्त राधेश्याम ने 30 दिसंबर 2012 को शिवपुर पुलिस को सूचना दी कि रात में खाने के बाद सभी लोग कमरे में सोने चले गए।

सुबह कमरे में बेटा कृष्णमोहन प्रजापति व बहू चंदा एक ही पंखे के फंदे में लटकते मिले। मृतका की मां सीता ने दो जनवरी 2012 को शिवपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया। अभियुक्तों पर एक लाख नकद व बाइक की मांग को लेकर प्रताड़ना से आजिज आकर आत्महत्या के लिए विवश होने का आरोप लगाया।  अदालत ने शिवपुर के घोड़हा निवासी पिता  राधेश्याम व मां इंद्रावती को विचारण में दोषी पाया और सजा सुना दी। 

दहेज की प्रताड़ना शारीरिक से ज्यादा मानसिक

अदालत ने कहा कि दहेज की प्रताड़ना शारीरिक से ज्यादा मानसिक होती है। तथ्यों से स्पष्ट है कि मृतका का विवाह हुए छह माह भी नहीं हुए थे। उसके पिता भी जीवित नहीं थे।



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