[ad_1]
कुछ देर के बाद जब लोगों को होश आया कि बेबी भी अंदर है तो चीख पुकार मच गई। हालांकि मकान के अंदर किसी की जाने की हिम्मत नहीं हुई। एनडीआरएफ ने पूरे मकान को अपने कब्जे में ले लिया था और जवानों ने चेन बनाकर मलबे को गली से बाहर निकलवाया। एसीपी अवधेश पांडेय, थानाध्यक्ष अजय मिश्रा और अन्य पुलिसकर्मियों, एनडीआरएफ के सहायक कमांडेंट रवि सिंह की अगुवाई में टीम मौजूद रही। एनडीआरएफ ने आशंका जताई कि रसोई गैस लीकेज से सिलिंडर फटने से ही हादसा हुआ।
जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने कहा कि मौके पर गैस की दुर्गंध आ रही थी। मलबा आदि हटने के बाद घटना की जांच में कारण की जानकारी पता लग पाएगी। मौके पर प्रत्यक्षदर्शियों से भी बात की गई है। जर्जर मकानों पर कार्रवाई के लिए नगर निगम को निर्देश दिया जाएगा।
खारी कुआं स्थित बाइक मैकेनिक का काम करने वाले बेटे दीपक वर्मा को किसी ने यह जानकारी दी तो वह बदहवाश हाल में घर पहुंचा और मां की खोजबीन के लिए वह बार-बार मलबे की ओर जा रहा था। जहां, मौजूद पुलिसकर्मी उसे रोक दे रहे थे। इसे लेकर पुलिस और एनडीआरएफ जवानों के साथ कई बार झड़प भी हुई। हालांकि परिवार और अन्य पड़ोसियों के समझाने पर वह माना। मां जब मरनासन्न हाल में जब मलबे से बाहर निकाली गई तो वह बेसुध हो गया।
र के पास ही काली मंदिर में पूजा करके बेबी वर्मा मकान पर लौटी थी। जबकि अन्य परिजन दूसरे कमरे में टीवी देख रहे थे। जैसे ही हादसा हुआ तो परिजन तुरंत बाहर की ओर भागे। इस बीच मलबे के कुछ हिस्से छिटककर संजय, सावित्री और किरण, मानसी को भी लगे।
वहीं, बेबी वर्मा के ऊपर छत की पटिया ही गिर गई। सिर पर पटिया गिरने से वह दब गई। एनडीआरएफ ने जब मलबे से शव बाहर निकाला तो बेबी वर्मा की सिर से गर्दन तक एक हिस्सा टेढ़ा था।
[ad_2]
Source link