गोरखपुर में निकाय चुनाव में भाजपा से उम्मीदवार बनने के लिए दावेदारों को जुगाड़ नहीं बल्कि पार्टी के मानकों की कसौटी पर खरा उतरना होगा। प्रदेश नेतृत्व के निर्देश पर शहर के सभी 80 वार्डों में एक आंतरिक सर्वे शुरू किया गया है। इसकी जिम्मेदारी जिला व महानगर के पदाधिकारियों को दी गई है। इसकी रिपोर्ट प्रदेश कार्यालय को भेजी जाएगी। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर भी प्रत्याशियों की परख होगी।
मुख्यमंत्री का शहर होने के चलते गोरखपुर महानगर के सभी वार्डों पर मजबूूत और जिताऊ प्रत्याशी ही उतारने का फैसला लिया है। इस बार चुनाव में दस नए वार्ड भी बनाए गए हैं, जिसे लेकर अब कुल वार्डों की संख्या 80 हो गई है। सभी वार्डों में आंतरिक सर्वे का काम चल रहा है। प्रत्येक पदाधिकारी को दो से तीन वार्ड की जिम्मेदारी दी गई है। सर्वे में एक प्रारूप पार्टी की ओर से मुहैया कराया गया है। जिसमें वार्ड के जातीय समीकरण, संभावित उम्मीदवार की छवि, आपराधिक मुकदमे तो नहीं हैं, प्रत्याशी की स्थिति कैसी है, आदि पर सर्वे हो रहा है।
यही नहीं, जिस वार्ड में कोई मजबूत दावेदार नहीं है, वहां देखा जा रहा है कि बाहर से किसी व्यक्ति को टिकट दिया जाए तो स्थिति कैसी होगी? यह नए वार्डों में ज्यादा देखा जाएगा। सर्वे के दौरान वार्ड में मतदाताओं से संपर्क करके उनसे फीड बैक ले रहे हैं। जिनसे फीड बैक लिया जा रहा है उनका नाम, पता और मोबाइल नंबर भी दर्ज कर रहे हैं। सर्वे के लिए मतदाता का चुनाव रैंडम करना है। इस रिपोर्ट पर पार्टी प्रत्याशी क्रास चेक भी करवा सकती है। पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि सप्ताह भर में यह प्रक्रिया पूरी करके रिपोर्ट भेज दी जाएगी।
मेयर की दावेदारी के लिए स्क्रीनिंग कमेटी बन चुकी है। जिसमें चुनाव प्रभारी एवं वन मंत्री अरुण सक्सेना, सह प्रभारी राज्य सभा सदस्य बाबू राम निषाद, संयोजक चिरंजीव चौरसिया, क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह, महानगर अध्यक्ष राजेश गुप्ता, क्षेत्रीय पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि शामिल हैं।
बढ़ती जा रही मेयर में दावेदारों की फेहरिस्त मेयर चुनाव को लेकर भाजपा में दावेदारों की फेहरिस्त बढ़ती जा रही है। कुछ नए नाम आने से पार्टी में हलचल तेज हो गई है। सामान्य सीट होने के चलते कायस्थ समाज के लोगों से भी दावेदारी बढ़ गई है। क्षेत्रीय महामंत्री सत्येंद्र सिन्हा, पूर्व महानगर अध्यक्ष राहुल श्रीवास्तव, पूर्व महामंत्री रवि श्रीवास्तव एडवोकेट, सीएम योगी आदित्यनाथ के सांसद रहने के दौरान उनके नगर प्रतिनिधि एवं हिंदू नेता विष्णु शंकर श्रीवास्तव सहित कायस्थ समाज के कई लोगों ने दावेदारी की है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश व्यापारी कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष व भाजपा नेता पुष्पदंत जैन ने भी टिकट मांगा है। एक पूर्व मेयर के बेटे ने भी दावेदारी की है, हालांकि उन्होंने अभी आवेदन नहीं दिया है। इसी प्रकार एक पूर्व मंत्री भी अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाना चाहते हैं। पार्टी के कई बड़े नेताओं से उन्होंने मुलाकात की है। विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी की खुलकर मदद भी की थी।
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गोरखपुर में निकाय चुनाव में भाजपा से उम्मीदवार बनने के लिए दावेदारों को जुगाड़ नहीं बल्कि पार्टी के मानकों की कसौटी पर खरा उतरना होगा। प्रदेश नेतृत्व के निर्देश पर शहर के सभी 80 वार्डों में एक आंतरिक सर्वे शुरू किया गया है। इसकी जिम्मेदारी जिला व महानगर के पदाधिकारियों को दी गई है। इसकी रिपोर्ट प्रदेश कार्यालय को भेजी जाएगी। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर भी प्रत्याशियों की परख होगी।
मुख्यमंत्री का शहर होने के चलते गोरखपुर महानगर के सभी वार्डों पर मजबूूत और जिताऊ प्रत्याशी ही उतारने का फैसला लिया है। इस बार चुनाव में दस नए वार्ड भी बनाए गए हैं, जिसे लेकर अब कुल वार्डों की संख्या 80 हो गई है। सभी वार्डों में आंतरिक सर्वे का काम चल रहा है। प्रत्येक पदाधिकारी को दो से तीन वार्ड की जिम्मेदारी दी गई है। सर्वे में एक प्रारूप पार्टी की ओर से मुहैया कराया गया है। जिसमें वार्ड के जातीय समीकरण, संभावित उम्मीदवार की छवि, आपराधिक मुकदमे तो नहीं हैं, प्रत्याशी की स्थिति कैसी है, आदि पर सर्वे हो रहा है।
यही नहीं, जिस वार्ड में कोई मजबूत दावेदार नहीं है, वहां देखा जा रहा है कि बाहर से किसी व्यक्ति को टिकट दिया जाए तो स्थिति कैसी होगी? यह नए वार्डों में ज्यादा देखा जाएगा। सर्वे के दौरान वार्ड में मतदाताओं से संपर्क करके उनसे फीड बैक ले रहे हैं। जिनसे फीड बैक लिया जा रहा है उनका नाम, पता और मोबाइल नंबर भी दर्ज कर रहे हैं। सर्वे के लिए मतदाता का चुनाव रैंडम करना है। इस रिपोर्ट पर पार्टी प्रत्याशी क्रास चेक भी करवा सकती है। पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि सप्ताह भर में यह प्रक्रिया पूरी करके रिपोर्ट भेज दी जाएगी।