डीएनए एक्सक्लूसिव: कोविड-19 अंतःशिरा बनाम नाक के टीकों का विश्लेषण

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नई दिल्ली: भारत सरकार ने शुक्रवार (22 दिसंबर) को कोविड-19 के नेजल वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है. जिसका उपयोग एक विषम बूस्टर के रूप में किया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक आज को-विन पोर्टल में नेजल वैक्सीन को जोड़ा जाएगा। भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है, जिसने नेजल वैक्सीन के इमरजेंसी यूज को मंजूरी दी है। कोरोना वायरस के लिए नेज़ल वैक्सीन को आज से कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा और यह केवल निजी अस्पतालों में उपलब्ध होगा। इस वैक्सीन को हैदराबाद की दवा कंपनी भारत बायोटेक ने बनाया है। इसे iNCOVACC नाम दिया गया है। इस नेजल वैक्सीन को प्राइमरी और बूस्टर वैक्सीन के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। 28 दिनों के भीतर iNCOVACC Nasal Vaccine की दो खुराक लेनी चाहिए।

आज के डीएनए में ज़ी न्यूज़’ रोहित रंजन ने कोविड-19 के बूस्टर के रूप में नाक के टीके के अनुमोदन का विश्लेषण किया और नाक के टीके को अंतःशिरा टीके से कैसे अलग किया गया है?

अच्छी बात यह है कि ये टीके हेट्रोलोगस बूस्टर डोज हैं। इसका मतलब है कि आप नाक के टीके को बूस्टर के रूप में ले सकते हैं, भले ही आपने विभिन्न ब्रांडों की पहली दो खुराकें ली हों। अब सवाल यह है कि नाक का टीका इंजेक्शन से दिए जाने वाले टीके से कैसे अलग है।

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आमतौर पर हर कंपनी जो वैक्‍सीन को लिक्विड फॉर्म में बना रही है उसे हमारी नसों में इंजेक्ट किया जाता है। लेकिन नेजल वैक्सीन की खासियत यह है कि इसे नाक के जरिए शरीर में पहुंचाया जाता है। यह वैक्सीन रेस्पिरेटरी सिस्टम यानी सांस की नलियों के जरिए शरीर में पहुंचता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कोरोना वायरस सबसे पहले शरीर के फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है और ऐसे में नेजल वैक्सीन ज्यादा कारगर साबित हो सकती है।

अमेरिका, मैक्सिको, ग्रीस, क्यूबा, ​​जॉर्जिया जैसे देशों में भी नेजल वैक्सीन पर काम चल रहा है। ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका और भारत का सीरम इंस्टीट्यूट भी नेजल वैक्सीन विकसित कर रहे हैं।

विस्तृत\विश्लेषण के लिए आज का डीएनए देखें।



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