पूर्वी उत्तर प्रदेश और मध्य में सबसे ज्यादा प्रभावी जातिवाद का मुद्दा है। अब धार्मिक मुद्दे थोड़ा पीछे जाते दिखाई दे रहे हैं। राम मंदिर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जैसी चर्चाओं को लोग धन्यवाद कहकर चुप हो जाते हैं। जातिवाद के बाद दूसरे नंबर पर गावों में आवारा गोवंश और फसल चर जाने तथा इससे आर्थिक नुकसान का मुद्दा है…
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण का चुनाव प्रचार शनिवार शाम को खत्म हो जाएगा और पूर्वी उत्तर प्रदेश में विधायक और नेताओं का जनसंपर्क जमकर चल रहा है। जौनपुर जिले की बदलापुर विधानसभा सीट से 2017 में विधायक बने रमेश मिश्रा गद्दोपुर गांव में पहुंचे। जनता से कहा कि योगी-मोदी सरकार राशन देत बा न। विधायक के बोल फूटते ही जनता से आवाज आई कि साहेब पांच किलो राशन देत हअ, लेकिन 10 किलो त रोज सड़वा, बछुवे, छुट्टा जानवरे चरि लेइ जात हएन (सरकार पांच किलो राशन देती है, लेकिन रोज छुट्टा गोवंश 10 किलो अनाज की फसल चर ले जाते हैं)। विधायक चुप!
विधायक दूसरे प्रयास में बोले, रसोई गैस का कनेक्शन पाए हैं? फिर आवाज आयी हां, मिला बा। लेकिन गैसिया का दमवा त बहुतैइ बढ़ाए हअ। कैइसे भराई (कनेक्शन तो मिला है, लेकिन गैस बहुत मंहगी है, कैसे भराएं)? अब विधायक जी को खिसियाहट (खीझते हुए) में कहना पड़ा कि कुछ पैसा रुपया आप भी खर्च करो। योगी-मोदी की सरकार मुफ्त में राशन, पक्का मकान, रसोई गैस का कनेक्शन, किसान सम्मान निधि का पैसा-रुपया, पशु शेड सब दे रही है। सब मुफ्त…मुफ्त ही चाहिए। रमेश मिश्रा अपने क्षेत्र की जनता को बताते हैं कि आईटीआई सेंटर, बस स्टॉप सब सरकार बनवा रही है, विकास भी हो रहा है। वह आगे बढ़ते हुए एक गांव से दूसरे और फिर तीसरे गांव में जन संपर्क करते हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में आवारा गोवंश का मुद्दा थोड़ा ज्यादा प्रभावी
यह केवल एक विधानसभा की कहानी नहीं है। हर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के विधायकों को पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर पूरब तक इस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। दूसरा बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि विधायक पांच साल बाद क्षेत्र में फिर आए हैं। इसके सामानांतर विपक्ष में सपा, बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशी तीन मुद्दों को बड़ी प्रमुखता से भुनाने में लगे हैं।
पहला मुद्दा आवारा गोवंश का है। बलिया, देवरिया, गाजीपुर, आजमगढ़, बनारस, भदोही, मिर्जापुर, जौनपुर, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, रायबरेली, प्रयागराज समेत तमाम जिलों में गांव-गांव में खेतों की घेरेबंदी, रखवाली चल रही है। गेहूं, सरसों, चना, मटर समेत तमाम फसलें हैं। इनकी रखवाली के लिए किसान न केवल रात भर जाग रहा है, बल्कि खेतों की बाड़बंदी भी बिजली के तारों से कर रखी है।
दूसरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में छोटी जोत के किसान हैं। तमाम जिलों के गांवों में पिछले काफी समय से करीब-करीब आबादी पांच किलो का मुफ्त राशन ले रही है। हालांकि विपक्ष के नेता जनता को समझा जा रहे हैं कि यह राशन वोट के लिए बंट रहा है। मई 2022 के बाद मिलना बंद हो जाएगा। पढ़े-लिखे गांव के लड़के भी बीच में बोलकर इसे सही ठहरा देते हैं। मौका, गांव और लोगों को देखकर विपक्षी नेता योगी की सरकार को ठाकुरों की सरकार कहकर जब झूठों, जुमलेबाजों की सरकार बताते हैं तो लोग तालियां बजाने लगते हैं। इसी बीच में एक नारा जोर से लगाया जाता है- भाजपा भगाओ, देश बचाओ।
कई मुद्दों का चल रहा है जोर
पूर्वी उत्तर प्रदेश और मध्य में सबसे ज्यादा प्रभावी जातिवाद का मुद्दा है। अब धार्मिक मुद्दे थोड़ा पीछे जाते दिखाई दे रहे हैं। राम मंदिर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जैसी चर्चाओं को लोग धन्यवाद कहकर चुप हो जाते हैं। जातिवाद के बाद दूसरे नंबर पर गावों में आवारा गोवंश और फसल चर जाने तथा इससे आर्थिक नुकसान का मुद्दा है। इसके जवाब में वर्तमान विधायक इस बार जीतने पर गौशाला बनवाने का वादा कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के कारण पिछले दो साल से स्कूल-पढ़ाई पर असर पड़ा है। बड़े शहरों से भागकर आए लोग अब धीरे-धीरे काम की तलाश में महानगर लौट रहे हैं। हालांकि गांवों से महानगर गए लोगों के काम-धंधा सेट न हो पाने की चिंता है। इसके कारण बेरोजगारी का मुद्दा मजबूती से जगह बना रहा है। विपक्ष के आरोप आग में घी का काम कर रहे हैं।
विपक्ष के नेता सरकार पर सब कुछ निजी हाथ में देकर नौकरी का अवसर चौपट करने, सरकारी भर्ती रोकने, छात्रों, युवाओं की नौकरी से जुड़ी परीक्षा को रद्द करने का हवाला देकर सरकार की नाकामियां गिना रहे हैं। पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस की मंहगाई का मुद्दा कस्बों और शहरों में ज्यादा है। गांवों में भी इसे लेकर आवाज उठ रही है। इन सभी मुद्दों को जोड़कर विपक्ष के नेता मोदी-योगी सरकार को जुमलेबाज, झूठी, गांव और देश के विकास को चौपट करने वाली बताकर वोट मांग रहे हैं। पढ़ने वाली छात्राओं और महिलाओं के बीच में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की लोकप्रियता लगातार बढ़ी है। मैं लड़की हूं, लड़ सकती हूं का नारा इनमें पापुलर है।
चुनाव के हर चरण में बदलता जाएगा इसका तेवर
पहले चरण का मतदान हो चुका है। दो दिन बाद 14 फरवरी को दूसरे चरण का मतदान होगा। भाजपपा, कांग्रेस, बसपा और समाजवादी गठबंधन के नेताओं ने तीसरे और चौथे चरण वाले क्षेत्रों में चुनाव प्रचार, जनसभा का तेवर बढ़ा दिया है। चुनाव सर्वेक्षण में लगे एजेंसी प्रोफेशनल्स का कहना है कि तीसरे चरण के चुनाव में तीन कृषि कानून और किसानों की नाराजगी का मुद्दा पहले दो चरणों की तरह प्रभावी नहीं रहेगा। अब धीरे-धीरे विधानसभा चुनाव में जातिवाद, जमीनी मुद्दे आदि प्रभावी होते जाएंगे। बताते हैं भाजपा के रणनीतिकार इसकी काट में तेजी से लग गए हैं। गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा स्वतंत्र देव सिंह की टीम जातिवादी मुद्दे की हवा निकालने में जुट गए हैं। इसके लिए रुहेलखंड, अवध क्षेत्र और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए प्रभावी रणनीति बनाई जा रही है।
पार्टी स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और सैनी समेत अन्य को घेरने की रणनीति पर भी काम कर रही है। बसपा नेता मायावती ने भी प्रत्याशियों को उतारकर समाजवादी पार्टी और भाजपा की बढ़त पर रोक लगाना शुरू किया है। पिछले दिनों उन्होंने फाजिलनगर में स्वामी प्रसाद मौर्य की राह में कांटे बिछाने के लिए समाजवादी पार्टी के बागी इलियास अंसारी को जोड़ने की कोशिश की है। इसी तरह से ओम प्रकाश राजभर की भी घेरेबंदी हो रही है। ताकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को अपने पक्ष में खींचा जा सके।
विस्तार
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण का चुनाव प्रचार शनिवार शाम को खत्म हो जाएगा और पूर्वी उत्तर प्रदेश में विधायक और नेताओं का जनसंपर्क जमकर चल रहा है। जौनपुर जिले की बदलापुर विधानसभा सीट से 2017 में विधायक बने रमेश मिश्रा गद्दोपुर गांव में पहुंचे। जनता से कहा कि योगी-मोदी सरकार राशन देत बा न। विधायक के बोल फूटते ही जनता से आवाज आई कि साहेब पांच किलो राशन देत हअ, लेकिन 10 किलो त रोज सड़वा, बछुवे, छुट्टा जानवरे चरि लेइ जात हएन (सरकार पांच किलो राशन देती है, लेकिन रोज छुट्टा गोवंश 10 किलो अनाज की फसल चर ले जाते हैं)। विधायक चुप!
विधायक दूसरे प्रयास में बोले, रसोई गैस का कनेक्शन पाए हैं? फिर आवाज आयी हां, मिला बा। लेकिन गैसिया का दमवा त बहुतैइ बढ़ाए हअ। कैइसे भराई (कनेक्शन तो मिला है, लेकिन गैस बहुत मंहगी है, कैसे भराएं)? अब विधायक जी को खिसियाहट (खीझते हुए) में कहना पड़ा कि कुछ पैसा रुपया आप भी खर्च करो। योगी-मोदी की सरकार मुफ्त में राशन, पक्का मकान, रसोई गैस का कनेक्शन, किसान सम्मान निधि का पैसा-रुपया, पशु शेड सब दे रही है। सब मुफ्त…मुफ्त ही चाहिए। रमेश मिश्रा अपने क्षेत्र की जनता को बताते हैं कि आईटीआई सेंटर, बस स्टॉप सब सरकार बनवा रही है, विकास भी हो रहा है। वह आगे बढ़ते हुए एक गांव से दूसरे और फिर तीसरे गांव में जन संपर्क करते हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में आवारा गोवंश का मुद्दा थोड़ा ज्यादा प्रभावी
यह केवल एक विधानसभा की कहानी नहीं है। हर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के विधायकों को पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर पूरब तक इस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। दूसरा बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि विधायक पांच साल बाद क्षेत्र में फिर आए हैं। इसके सामानांतर विपक्ष में सपा, बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशी तीन मुद्दों को बड़ी प्रमुखता से भुनाने में लगे हैं।
पहला मुद्दा आवारा गोवंश का है। बलिया, देवरिया, गाजीपुर, आजमगढ़, बनारस, भदोही, मिर्जापुर, जौनपुर, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, रायबरेली, प्रयागराज समेत तमाम जिलों में गांव-गांव में खेतों की घेरेबंदी, रखवाली चल रही है। गेहूं, सरसों, चना, मटर समेत तमाम फसलें हैं। इनकी रखवाली के लिए किसान न केवल रात भर जाग रहा है, बल्कि खेतों की बाड़बंदी भी बिजली के तारों से कर रखी है।
दूसरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में छोटी जोत के किसान हैं। तमाम जिलों के गांवों में पिछले काफी समय से करीब-करीब आबादी पांच किलो का मुफ्त राशन ले रही है। हालांकि विपक्ष के नेता जनता को समझा जा रहे हैं कि यह राशन वोट के लिए बंट रहा है। मई 2022 के बाद मिलना बंद हो जाएगा। पढ़े-लिखे गांव के लड़के भी बीच में बोलकर इसे सही ठहरा देते हैं। मौका, गांव और लोगों को देखकर विपक्षी नेता योगी की सरकार को ठाकुरों की सरकार कहकर जब झूठों, जुमलेबाजों की सरकार बताते हैं तो लोग तालियां बजाने लगते हैं। इसी बीच में एक नारा जोर से लगाया जाता है- भाजपा भगाओ, देश बचाओ।
कई मुद्दों का चल रहा है जोर
पूर्वी उत्तर प्रदेश और मध्य में सबसे ज्यादा प्रभावी जातिवाद का मुद्दा है। अब धार्मिक मुद्दे थोड़ा पीछे जाते दिखाई दे रहे हैं। राम मंदिर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जैसी चर्चाओं को लोग धन्यवाद कहकर चुप हो जाते हैं। जातिवाद के बाद दूसरे नंबर पर गावों में आवारा गोवंश और फसल चर जाने तथा इससे आर्थिक नुकसान का मुद्दा है। इसके जवाब में वर्तमान विधायक इस बार जीतने पर गौशाला बनवाने का वादा कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के कारण पिछले दो साल से स्कूल-पढ़ाई पर असर पड़ा है। बड़े शहरों से भागकर आए लोग अब धीरे-धीरे काम की तलाश में महानगर लौट रहे हैं। हालांकि गांवों से महानगर गए लोगों के काम-धंधा सेट न हो पाने की चिंता है। इसके कारण बेरोजगारी का मुद्दा मजबूती से जगह बना रहा है। विपक्ष के आरोप आग में घी का काम कर रहे हैं।
विपक्ष के नेता सरकार पर सब कुछ निजी हाथ में देकर नौकरी का अवसर चौपट करने, सरकारी भर्ती रोकने, छात्रों, युवाओं की नौकरी से जुड़ी परीक्षा को रद्द करने का हवाला देकर सरकार की नाकामियां गिना रहे हैं। पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस की मंहगाई का मुद्दा कस्बों और शहरों में ज्यादा है। गांवों में भी इसे लेकर आवाज उठ रही है। इन सभी मुद्दों को जोड़कर विपक्ष के नेता मोदी-योगी सरकार को जुमलेबाज, झूठी, गांव और देश के विकास को चौपट करने वाली बताकर वोट मांग रहे हैं। पढ़ने वाली छात्राओं और महिलाओं के बीच में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की लोकप्रियता लगातार बढ़ी है। मैं लड़की हूं, लड़ सकती हूं का नारा इनमें पापुलर है।
चुनाव के हर चरण में बदलता जाएगा इसका तेवर
पहले चरण का मतदान हो चुका है। दो दिन बाद 14 फरवरी को दूसरे चरण का मतदान होगा। भाजपपा, कांग्रेस, बसपा और समाजवादी गठबंधन के नेताओं ने तीसरे और चौथे चरण वाले क्षेत्रों में चुनाव प्रचार, जनसभा का तेवर बढ़ा दिया है। चुनाव सर्वेक्षण में लगे एजेंसी प्रोफेशनल्स का कहना है कि तीसरे चरण के चुनाव में तीन कृषि कानून और किसानों की नाराजगी का मुद्दा पहले दो चरणों की तरह प्रभावी नहीं रहेगा। अब धीरे-धीरे विधानसभा चुनाव में जातिवाद, जमीनी मुद्दे आदि प्रभावी होते जाएंगे। बताते हैं भाजपा के रणनीतिकार इसकी काट में तेजी से लग गए हैं। गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा स्वतंत्र देव सिंह की टीम जातिवादी मुद्दे की हवा निकालने में जुट गए हैं। इसके लिए रुहेलखंड, अवध क्षेत्र और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए प्रभावी रणनीति बनाई जा रही है।
पार्टी स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और सैनी समेत अन्य को घेरने की रणनीति पर भी काम कर रही है। बसपा नेता मायावती ने भी प्रत्याशियों को उतारकर समाजवादी पार्टी और भाजपा की बढ़त पर रोक लगाना शुरू किया है। पिछले दिनों उन्होंने फाजिलनगर में स्वामी प्रसाद मौर्य की राह में कांटे बिछाने के लिए समाजवादी पार्टी के बागी इलियास अंसारी को जोड़ने की कोशिश की है। इसी तरह से ओम प्रकाश राजभर की भी घेरेबंदी हो रही है। ताकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को अपने पक्ष में खींचा जा सके।