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सजा होने के बाद मौ अशरफ को ले जाता पुलिसकर्मी
– फोटो : अमर उजाला
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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बागपत निवासी बीएससी छात्र मजहर नईम की 15 वर्ष पूर्व हुई हत्या के मामले में दोषी करार एक आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। यह फैसला एडीजे-17 मनोज कुमार सिद्धू की अदालत से सुनाया गया है। बता दें कि यह हत्या लूट के इरादे से हुई थी और हत्याकांड के बाद एएमयू में जमकर उपद्रव व साइनडाई (अनिश्चितकाल के लिए बंदी) तक घोषित हुआ था।
अभियोजन अधिवक्ता एडीजीसी सुधांशु अग्रवाल ने बताया कि यह घटना 16 सितंबर 2007 की है। मुकदमा एएमयू प्रॉक्टर कार्यालय के कर्मचारी अनवार खां की ओर से दर्ज कराया गया। जिसमें आरोप था कि देर रात करीब साढ़े दस बजे प्रॉक्टर कार्यालय को सूचना मिली कि ऑफताब हॉल के पास कैफेडिक्स कैंटिन के सहारे एक छात्र बेहोश पड़ा है। ऑफताब हॉल निवासी बीएससी ऑनर्स छात्र मजहर नईम को मेडिकल कॉलेज पहुंचाया गया। जहां उसकी मौत हो गई।
पुलिस विवेचना में उजागर हुआ कि मजहर नईम तीसरे रोजे के दिन तराबी पढ़कर अपने हॉल लौट रहा था। तभी रात करीब सवा दस बजे उसे पीछे से आए बाइक सवार तीन अज्ञात हमलावरों ने लूट के इरादे से रोका और तमंचे की बट सिर में मारी। जिससे वह बेहोश होकर वहीं गिर गया। बाद में बदमाश उसका मोबाइल आदि लूट ले गए।
दौरान-ए-विवेचना पुलिस ने फ्रेंडस कॉलोनी क्वार्सी के मो.असरफ जमाल, जीवनगढ़ के तारिक और सादिक अली के नाम उजागर किए। उन्हें गिरफ्तार कर लूट में प्रयुक्त तमंचा व छात्र से लूटे गए मोबाइल को बरामद किया गया। मामले में चार्जशीट दायर की गई। सत्र परीक्षण के दौरान साक्ष्यों व गवाही के आधार पर न्यायालय ने तारिक व सादिक को बरी किया है, जबकि मुख्य आरोपी मो.असरफ जमाल को तमंचा व मोबाइल बरामद होने के आधार पर दोषी करार दिया था। मंगलवार को उसे उम्रकैद व 17 हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया है। बता दें कि इस मामले में पैरवी मजहर नईम के पिता नईम अली ने की, जो मेरठ के इंटर कॉलेज में प्रवक्ता थे।
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