चर्चित बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की शुक्रवार शाम स्वचालित हथियार से गोली मार कर हत्या कर दी गई। उनकी सुरक्षा में लगे दो गनर भी गंभीर रूप से घायल हो गए। उपचार के दौरान एक गनर की भी मौत हो गई। गोली और बम की तड़तड़ाहट से इलाका थर्रा उठा। घटना शुक्रवार की शाम 5:15 बजे उस वक्त हुई जब उमेश जिला कचहरी से कार से धूमनगंज स्थित अपने घर पहुंचे। घटना के बाद हमलावर बाइक से भाग निकले। पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा ने हत्या की पुष्टि की।
वारदात के बाद धूमनगंज और आसपास का इलाका छावनी में तब्दील हो गया। पुलिस का कहना है कि घर वाले जैसी तहरीर देंगे, उसी के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। सुरक्षा में तैनात दोनों सिपाही संदीप निषाद और राघवेंद्र सिंह की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है। शहर पश्चिम के विधायक रहे राजू पाल की 25 जनवरी 2005 को धूमनगंज इलाके में हत्या कर दी गई थी। इस मामले में उनके रिश्तेदार और दोस्त उमेश पाल मुख्य गवाह थे। उमेश ने लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में राजू पाल हत्याकांड की पैरवी की थी। इसी कारण अतीक गिरोह से उनकी खुलेआम दुश्मनी हो गई थी।
गवाही के लिए कचहरी गए थे उमेश
कचहरी में गवाही देने गए उमेश का 2016 में अपहरण कर लिया गया था। अपहरण कांड में अतीक, उसके भाई अशरफ समेत कई के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। अपहरण के उसी मामले में शुक्रवार को गवाही थी। उमेश वकील भी थे। वह अधिवक्ता के यूनिफार्म में अपने दोनों गनर संदीप निषाद और राघवेंद्र सिंह के साथ गवाही के लिए जिला कचहरी गए थे। करीब साढ़े चार बजे वे क्रेटा गाड़ी से वापस सुलेमसराय, धूमनगंज स्थित अपने घर के लिए चल दिए। जैसे ही गेट पर गाड़ी रोककर उमेश उतरे, पहले से घात लगाए बदमाशों ने उन्हें गोली मार दी।
उमेश गोली लगने से गिरने के बाद उठकर घर के भीतर भागे। साथ में उनकी सुरक्षा में लगे दोनों सिपाही भी उन्हें बचाने के लिए घर के अंदर भागे। लेकिन, हमलावरों ने दुस्साहस का परिचय देते हुए घर के अंदर घुसकर स्वचालित हथियारों से लगातार गोलियां बरसाईं। इस दौरान बदमाशों ने बम भी चलाए। बम और गोलियों की बौछार से इलाका थर्रा गया। हमलावर वहां से बाइक से फरार हो गए।
उपचार के दौरान गई जान
उमेश पाल, सिपाही संदीप और राघवेंद्र लहूलुहान पड़े थे। तीनों को एसआरएन हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां डाक्टरों ने करीब एक घंटे बाद उमेश पाल को मृत घोषित कर दिया। बवाल की आशंका को देखते हुए एसआरएन हॉस्पिटल में जिले के एक दर्जन से अधिक थानों की फोर्स को बुला ली गई। धूमनगंज में एहतियातन पीएसी तैनात कर दी गई। उमेश के घर वाले अतीक अहमद और उसके गैंग पर ही घटना का आरोप लगा रहे थे।
राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हमले में मौत हो गई। सुरक्षा में तैनात दोनों सिपाहियों को भी गोली लगी है। एक की हालत बेहद नाजुक है। शहर में सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए हैं। सीसीटीवी फुटेज भी मिले हैं। परिवार वाले जो भी तहरीर देंगे। उसी के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। – रमित शर्मा, कमिश्नर, प्रयागराज।
धूमनगंज थाने से करीब 200 मीटर दूर घर है उमेश पाल का
उमेश पाल हाईकोर्ट से अपनी क्रेटा कार से शुक्रवार की शाम जैसे ही घर पहुंचे थे कि कार से उतरते ही चार की संख्या में हमलावरों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दी। चलानी शुरू कर दी। उमेश घर के अंदर भागे। दोनों सिपाही ही उन्हें कवर कर अंदर ले जाने लगे। हमलावरों ने अंदर घुसकर कई गोलियां और बम चलाए। उमेश और दोनों सिपाहियों को गोली और बम लगे हैं।
25 जनवरी 2005 को हुई थी राजू पाल की हत्या
अतीक अहमद के सांसद बनने से रिक्त हुई शहर पश्चिमी सीट से राजू पाल 2005 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर विधायक बने थे। राजू पाल ने अतीक अहमद के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को पराजित किया था। चुनाव में जीत के बाद राजू पाल की मुश्किलें बढ़ गई थी। करारी हार का बदला लेने के लिए राजू पाल की दिन दहाड़े गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना में उमेश पाल मुख्य गवाह थे।