ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम: सिग्नल के इंतजार में देरी की शिकार नहीं होंगी ट्रेनें

0
14

[ad_1]

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : amar ujala

विस्तार

सिग्नल के इंतजार में अब ट्रेनें देरी की शिकार नहीं होंगी। ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम से ट्रेनें धड़ाधड़ चलेंगी, जिससे यात्री कम समय में गंतव्य तक पहुंच सकेंगे। यह एक हजार करोड़ का प्रोजेक्ट है। पहले चरण में ये सिग्नल लखनऊ से छपरा के बीच लगाए जाएंगे। इसके लिए 80 करोड़ रुपये टोकन मनी के रूप में मिले हैं। टेंडर भी हो गए हैं, जल्द ही काम शुरू कर दिया जाएगा।

पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन की ओर से ट्रैक पर सिग्नलिंग सिस्टम को अपग्रेड करने का काम शुरू कर दिया गया है। इस प्रोजेक्ट को बोर्ड से मंजूरी मिल गई। इसके अंतर्गत लखनऊ से बाराबंकी होते हुए छपरा रेलवे ट्रैक पर हर एक किलोमीटर पर ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नल लगाए जाएंगे। इसके साथ ही सीतापुर से बुढ़वल के बीच भी ये सिग्नल लगाए जाएंगे। वर्ष 2025 तक पूरे खंड पर ये सिग्नल लगा दिए जाएंगे, ऐसी तैयारियां हैं। रेलवे अफसर बताते हैं कि अभी तक जो सिग्नलिंग सिस्टम लगे हैं, उसमें दो ट्रेनों के बीच आठ से दस किलोमीटर का अंतर होता है। पहली ट्रेन स्टेशन पर पहुंच जाएगी, फिर पीछे से आने वाली ट्रेनों को सिग्नल दिए जाते हैं। पर, अब ऐसा नहीं होगा।

यह भी पढ़ें -  IIT BHU के वैज्ञानिक ने बनाई स्मेल डिवाइस: पवन संतरी से मोबाइल पर मिलेगी घर की अहम जानकारियां

हर एक किलोमीटर पर लगेंगे सिग्नल

अभी रेलखंडों पर एब्सोल्यूट ब्लॉक सिग्नल सिस्टम चल रहा है, जिसके तहत एक ब्लॉक सेक्शन में ट्रेन के अगले स्टेशन पर पहुंचने के बाद ही पीछे से आने वाली ट्रेन को ग्रीन सिग्नल दिया जाता है। इसकी वजह से पीछे से आने वाली ट्रेनें देरी की शिकार होती हैं। पर, अब ऐसा नहीं होगा। ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम (स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम) में दो स्टेशनों के बीच (ब्लॉक सेक्शन) प्रत्येक एक किलोमीटर की दूरी पर सिग्नल लगाए जाते हैं। इससे जैसे-जैसे सिग्नल ग्रीन मिलते रहते हैं, पीछे से आने वाली ट्रेन आगे बढ़ती जाती है। आगे चलने वाली ट्रेन के स्टेशन पर पहुंचने का इंतजार पीछे से आने वाली गाड़ी को नहीं करना पड़ता है।

2025 तक काम पूरा करने का लक्ष्य

पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह का कहना है कि ट्रेनों के सुगम संचालन के लिए ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम लगाने की तैयारी है। इसके तहत प्रत्येक किलोमीटर पर सिग्नल लगेगा और ट्रेनों को आसानी से चलाया जा सकेगा। वर्ष 2025 तक इस सिग्नलिंग सिस्टम को ट्रैक पर लगाने का लक्ष्य है।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here