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इलाहाबाद हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत एवं जिला पंचायत एक्ट की धारा 15(13) के संशोधन अध्यादेश की वैधता की चुनौती याचिका को खारिज कर दिया। इसमें क्षेत्र पंचायत प्रमुख के खिलाफ संशोधन लागू होने से पहले अविश्वास प्रस्ताव की कार्यवाही शुरू होने के बावजूद उसे इस आधार पर निरस्त करने को चुनौती दी गई थी कि अविश्वास प्रस्ताव संशोधित कानून के तहत पदभार संभालने के दो साल के भीतर नहीं लाया जा सकता। पहले यह अवधि एक साल की थी।
कोर्ट ने कहा संशोधित कानूनी प्रक्रिया का प्रभाव भूतलक्षी होगी। इसलिए दो साल से पहले लाए गए प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को निरस्त कर जिलाधिकारी ने कोई गलती नहीं की। नए नियमानुसार पदभार संभालने के दो साल के भीतर अविश्वास प्रस्ताव को चर्चा के लिए टेबल नहीं किया जा सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति वी सी दीक्षित की खंडपीठ ने अनुज कुमार व अन्य सहित कई याचिकाओं को तय करते हुए दिया है। मामले में चार अक्तूबर 2022 से क्षेत्र पंचायत प्रमुख के खिलाफ एक वर्ष के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाने के नियम को संशोधित कर अवधि दो साल कर दी गई। यानी, पद संभालने के दो साल के भीतर अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता।
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