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फूलों की होली खेलते सीएम योगी। (फाइल)
– फोटो : अमर उजाला।
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होली के दिन शहर में निकलने वाली नृसिंह शोभायात्रा आपसी सौहार्द की मिसाल है। इस यात्रा में श्रद्धालु जमकर होली खेलते हैं। होली गीत गूंजते हैं। काले व हरे रंग का प्रयोग नहीं होता। केवल लाल-पीले रंगों से ही होली खेली जाती है। इसका श्रेय नानाजी देशमुख को जाता है।
शोभायात्रा को आयोजित करने वाली होलिकोत्सव समिति के महामंत्री मनोज जालान बताते हैं कि नानाजी देशमुख 1939 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक बनकर गोरखपुर आए थे। उस समय घंटाघर से निकलने वाली भगवान नृसिंह की शोभायात्रा में कीचड़ फेंकना, लोगों के कपड़े फाड़ देना, कालिख पोत देने के साथ ही काले व हरे रंगों का लोग अधिक प्रयोग करते थे। साफ-सुथरे तरीके से होली का पर्व मनवाने के लिए 1944 में नानाजी ने कुछ युवकों को एकत्रित किया और बदलाव की दिशा में पहल की।
शोभायात्रा के लिए हाथी का इंतजाम किया गया, महावत को बताया गया कि जहां काला या हरा रंग का ड्रम दिखे, उसे हाथी को इशारा कर गिरवा दें, ऐसा दो-तीन साल किया गया। कुछ अराजक लोगों से युवकों को हाथापाई भी करनी पड़ी। धीरे-धीरे भगवान नृसिंह की रंगभरी शोभायात्रा में केवल रंग रह गए और उसमें भी काला व हरा नहीं। धीरे-धीरे इसकी छाप पूरे शहर में पड़ी।
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