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प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : Pixabay
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राजधानी लखनऊ में अधिकतर जगह होलिका दहन की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। अधिकतर जगह होलिका दहन सोमवार की रात्रि से ही शुरू होगा। वहीं रंग खेलने को लेकर असमंजस बरकरार है। समितियां जहां सात मार्च को ही रंग खेलने की बात कह रही हैं, वहीं ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, शास्त्रीय मान्यतानुसार रंग मंगलवार को ही खेला जाना चाहिए।
काशी के पंडितों का कहना है कि चूंकि काशी में होली सात को हो रही है, इसलिए इसके एक दिन बाद ही अन्य जगह रंग खेला जाएगा। चौक होलिकोत्सव समिति के संयोजक व महामंत्री अनुराग मिश्रा और अध्यक्ष गोविंद शर्मा का कहना है कि छह मार्च की रात को 12.20 पर होलिका दहन होगा। इसके बाद परंपरा के अनुसार, अगले दिन धूमधाम से होली बरात निकलेगी और रंग खेला जाएगा।
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चौपटिया होली बरात समिति के अध्यक्ष मणिकांत पांडेय व महामंत्री ऋद्धि किशोर गौड़ कहते हैं कि छह मार्च की मध्य रात्रि में 12.31 मिनट पर होलिका का दहन होगा। सात मार्च को रंग खेला जाएगा, बरात निकलेगी। राजा बाजार होली बरात समिति संयोजक के विनीत रस्तोगी, संजू रस्तोगी कहते हैं कि छह व सात की मध्य रात्रि में 1.30 बजे होलिका दहन होगा।
शास्त्रीय मान्यता तो ये है
ज्योतिषाचार्य पं. केए दुबे पदमेश के मुताबिक, होलिका दहन सात मार्च को तड़के 5.26 से 6.15 बजे तक होगा। दूज नौ को है, इसलिए रंग आठ मार्च को ही खेला जाना चाहिए। काशी में श्री मारवाड़ी संस्कृति महाविद्यालय के प्राचार्य पं. रंगनाथ उपाध्यय के मुताबिक, सात मार्च की भोर में 4.48 मिनट पर भद्रामुक्त पूर्णिमा का समय शुरू होगा और सुबह 6.15 बजे तक रहेगा। काशी में रंग सात मार्च को खेला जाएगा। अन्यत्र होली इसके एक दिन बाद ही खेले जाने की शास्त्रीय मान्यता है।
वैदिक ज्योतिष शोध परिषद के अध्यक्ष महामहोपाध्याय डॉ. आदित्य पांडेय के मुताबिक, होलिका दहन सात मार्च को होगा। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत ६ मार्च को शाम 4.17 बजे से हो रही है। समापन 7 मार्च की शाम 6.09 मिनट पर होगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 7 मार्च मंगलवार को 06 बजकर 24 मिनट से रात 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। भद्रा काल का समय 6 मार्च को शाम 4 बजकर 48 मिनट पर शुरू होगा और सात मार्च की सुबह 5 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगा।
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