PHOTOS: काशी की अद्भुत होली, घर से घाट तक बिखरे फाग के रंग, बाबा के संग भक्तों ने मनाया रंगों का त्योहार

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कहीं होरियारों की टोली तो कहीं डीजे की धुन पर थिरकते युवा काशिका जोश के साथ मस्ती में डूबते-उतराते रहे। घरों से शुरू हुआ उत्सव का आनंद दिन चढऩे के साथ ही सड़कों पर बिखरने लगा। घरों की रसोई पकवान की सुगंध से महमह कर उठे तो बच्चों ने भी धमाल मचाने की तैयारियां शुरू कर दीं। किसी ने पिचकारियों में रंग भरे तो किसी ने गुब्बारों में। दो दिनों की होलिका दहन और होली के भ्रम को दरकिनार करते हुए आठ मार्च को काशीवासियों ने जमकर होली खेली।

होलिका के धूलिवंदन के काशी में होली का उल्लास हर बनारसी के सिर चढ़कर बोला। घर से गलियों तक फाग के रंग बरसे तो अंग-अंग भीग गया। घाट से लेकर शहर की सड़कों तक होली का महापर्व धूमधाम से मनाया गया। हल्की बूंदबांदी के साथ भगवान इंद्र ने भी बनारस की होली के रंग को और चटख कर दिया। बुधवार की सुबह होली के रंगों में डूबे युवा और बच्चे मस्ती की तरंग में जगह-जगह डीजे की धुन पर पारंपरिक और भोजपुरी होली गीतों पर थिरक रहे थे। जन-जन के मन के बांध तोड़कर होली का उल्लास और उमंग का रंग दिन चढ़ने के साथ और चटख होता गया।

 



घर से गलियों तक फाग के रंग बरसे तो नख से शिख तक रंगों से सराबोर हो उठे। क्या बुजुर्ग क्या बच्चे हर किसी पर होली का रंग ऐसा चढ़ा कि चेहरा तक पहचानना मुश्किल हो गया था। बनारस का कोना-कोना रंगों में भीग गया। घरों होली की शुरूआत हुई तो बच्चों ने छत, बॉलकनी और बरामदों से हर आने-जाने वालों पर रंगों की बौछार की। किसी को रंग भरे गुब्बारे से मारा तो किसी पर अबीर उड़ाए। जो भी मिला उसको रंगों से सराबोर किए बिना नहीं छोड़ा। गोदौलिया, सोनारपुरा, अस्सी, भदैनी, भेलूपुरा, लंका, सामनेघाट, नरिया, डीरेका, मंडुवाडीह, कमच्छा से लेकर वरुणा पार इलाके में होली के रंग-गुलाल जमकर उड़े। सड़कों और गलियों में डीजे की धुन पर नाचते-गाते युवाओं ने खूब धमाल मचाया। गंगा किनारे रहने वालों ने गंगा किनारे घाट पर होली खेली। हालांकि नावों पर प्रतिबंध के कारण गंगा उस पार नहीं जा सके।

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बाबा विश्वनाथ के संग भक्तों ने खेली होली

होली की सुबह श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों ने बाबा के संग होली खेली। इसके अलावा शहर के दूसरे मंदिरों में भी देवी-देवताओं के साथ भक्तों ने होली खेली। नियमित दर्शनार्थियों ने बाबा विश्वनाथ, कालभैरव, संकटमोचन, मां अन्नपूर्णा, दुर्गा मंदिर समेत सभी मंदिरों में रंगोत्सव का पहला गुलाल अर्पित किया। काशी की परंपरानुसार चौसठ्ठी घाट स्थित चौसठ्ठी माता के मंदिर में सबसे अधिक जुटान हुई। श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी हुई थी और मंदिर में गुलाल की चादर सी बिछ गई थी।

 


फाग के बाद शाम को खेला अबीर

सुबह से दोपहर तक होली की धुंआधार मस्ती के बाद शाम ढलते ही होली मिलन का दौर शुरू हो गया। घर में पहले देवी-देवताओं को गुलाल अर्पित करने के बाद बड़े बुजुर्गों को गुलाल लगाकर आशीर्वाद लिया। उसके बाद रिश्तेदार और दोस्तों से होली मिलने निकल पड़े।

 


होलिका की परिक्रमा कर पूजन-अर्चन के बाद शुरू हुआ हुड़दंग

मंगलवार की शाम को लोगों ने होलिका दहन स्थल पर जाकर पूजन-अर्चन किया। होलिका की 11 बार परिक्रमा करके राख का टीका माथे पर लगाया। फिर घर आकर बड़ों का आशीर्वाद लिया। इसके बाद होली का हुड़दंग शुरू हो गया।

 


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