तलाक के बाद बैंड बाजे के साथ बेटी को घर लाये माता-पिता, बेटी के छलके आंसू

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कानपुर। बेटियां परिवार के लिए बोझ नहीं है, शादी के बाद भी पिता का घर उनका अपना घर होता है। ससुराल में अनावश्यक प्रताड़ना बेटियों को झेलने की जरूरत नहीं है। मां बाप लाड़ प्यार से पली बेटी को बहुत आशाओं के साथ विदा करते है, इसका मतलब यह नहीं कि उनके साथ प्रताड़ना की जाए। यह बातें समाज को समझनी होंगी। तलाक से समाज में होने वाली बदनामी के डर से मायका पक्ष भी बेटियों को अनावश्यक दबाव डालता है, जो सही नहीं है। तलाक के बाद बेटी को बैंड बाजे संग घर लाकर समाज को संदेश दिए है कि बेटी बोझ नहीं है। यह बातें बीएसएनएल से रिटायर्ड अनिल कुमार सविता ने कही। बीते सोमवार को सुसरालीजनों की प्रताड़ना से तंग बेटी को बैंड बाजे के साथ घर लेकर आए थे।

निराला नगर निवासी अनिल कुमार सविता ने बताया कि उनकी बेटी उर्वी दिल्ली की एक प्रतिष्ठित कंपनी में इंजीनियर के पद पर कार्यरत है। जनवरी 2016 में बेटी की शादी चकेरी, विमान नगर निवासी गोपाल प्रसाद के इंजीनियर बेटे आलोक रंजन से हुई थी।

अनिल के मुताबिक शादी के कुछ समय बाद ही ससुरालीजनों ने दहेज, रंग रूप समेत अलग-अलग कारणों से बेटी को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया, लेकिन उसने कभी उफ तक नहीं किया। जब भी घर आती तो सब राजी खुशी बताती थी, वह घुट-घुट कर जी रही है इसका खुलासा तो तब हुआ जब वह वर्ष 2018 में गर्भवती हुई। रूंधे गले से पिता ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान वह दिल्ली में पति के साथ थी। देखभाल के लिए पत्नी कुसुमलता को उसके पास भेजा, तब पत्नी हकीकत से रूबरू हुई।

मां कुसुमलता ने बताया कि गर्भावस्था के नाजुक दौर में भी बेटी पति की उपेक्षा का शिकार थी। दवा, खानपान, डॉक्टर के पास तक वह अकेले जाती थी, पति अपनी अलग दुनिया में मगन था। 19 फरवरी को बेटी ने पुत्री को जन्म दिया तो प्रताड़ना और बढ़ गई, ससुरालीजनों ने उसकी खबर तक नहीं ली। जिसके बाद सारी हकीकत का पता चल पाया।

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गलती मेरी ही थी, बेटी के लिए सही घर न ढूंढ पाया
अनिल ने बताया कि इस मामले में कहीं न कहीं वह खुद को भी दोषी मानते हैं। उन्होंने बताया कि बेटी को खूब पढ़ाया। उसको अपने पैरों पर खड़ा किया, लेकिन उसका जीवन खुशमय बीते, इसके लिए एक सही घर परिवार न ढूंढ पाया, इसका मुझे मलाल है। बेटी ने तो पिता पर आंख बंद कर भरोसा किया, जहां विदा किया वहीं की होकर चली गई थी।

जिंदगी बहुत बड़ी, बेटी से चर्चा कर करेंगे फैसला
अनिल के मुताबिक उन्होंने समझौते के लिए बहुत प्रयास किए कि बेटी का परिवार न टूटे। कई बार ससुरालीजनों से बात भी कि, लेकिन वह नहीं माने। इसके बाद मीडिएशन में मामला गया, लेकिन इसके बावजूद वह घर नहीं बचा सके। कहा कि बेटी बोझ नहीं है, जिस तरह ढोल नगाड़े के साथ उसे बहू बना कर भेजा था। उसी तरह उसे बेटी बना कर वापस ले आए। अभी बेटी की बहुत बड़ी जिंदगी है, आगे का जीवन पर उससे चर्चा करने के बाद ही फैसला लेंगे।

दीवार पर लिखा, चौखट पर न आए कोई लक्ष्मी
उर्वी शादी में जो चुनरी ओढ़ कर ससुराल आई थी, वो चुनरी दरवाजे पर बांध आई। इस तरह से ससुराल से विदा होगी यह उसने सोचा नहीं था। आंखों से टपकते आंसुओं के साथ उर्वी ने अपनी कुंठा ससुराल की दीवारों पर लिखी। उर्वी ने लिखा की भगवान करे अब कोई भी इसकी चौखट में लक्ष्मी न आए।

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