गूगल पर नौकरी की खोज कर रहा आगरा का युवक धोखाधड़ी का शिकार हो गया। साइबर अपराधी ने उससे खाते में 1.43 लाख रुपये जमा करा लिए। इस रकम को वापस करने के नाम पर भी 50 हजार रुपये की मांग की गई। पीड़ित ने पुलिस से शिकायत की। साइबर सेल की जांच के बाद तीन महीने बाद मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने विवेचना शुरू कर दी है।
पुरानी ईदगाह कॉलोनी निवासी समर्थ अग्रवाल ने मुकदमा दर्ज कराया है। उन्होंने पुलिस को बताया कि वह 29 सितंबर को गूगल पर ऑनलाइन नौकरी की खोज कर रहे थे। तभी एक लिंक नजर आया। इसमें एक व्हाट्सएप नंबर दिया था। उस नंबर पर बात करने पर कुछ लोगों ने काम समझा दिया। इसके बाद 200 रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कराए। यह कुछ ही देर में वापस मिल गए।
इसके बाद शातिरों ने धीरे-धीरे करके 1.43 लाख रुपये ले लिए। जब उसने इस रकम को वापस मांगा तो 50 हजार रुपये की मांग करने लगे। बताया कि यह रकम टैक्स के रूप में बैंक लेगा। यह रकम जमा करने पर ही पैसा मिलेगा। यह देने से मना करने पर जमा रकम वापस करने से मना कर दी। पीड़ित ने पुलिस से शिकायत की। साइबर सेल ने जांच की। तीन महीने बाद मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने विवेचना शुरू कर दी है।
इंस्टाग्राम पर बनाईं शिक्षण संस्थान की फर्जी आईडी
सिकंदरा स्थित एक शिक्षण संस्थान के नाम से इंस्टाग्राम पर तीन फर्जी आईडी बना ली गईं। इन पर संस्थान के बारे में गलत प्रचार प्रसार किया जा रहा है। मामले में कालिंदी पुरम निवासी संजीव कुमार सिंह ने थाना सिकंदरा में मुकदमा दर्ज कराया है। वह सुमन विकास समिति के अध्यक्ष हैं।
उन्होंने पुलिस को बताया कि समिति के दो शैक्षणिक संस्थान रुनकता में संचालित हो रहे हैं। तकनीकी खराबी की वजह से संस्थान की इंस्टाग्राम की आईडी कुछ समय के लिए बंद हो गई थी। इसका फायदा उठाकर कुछ असामाजिक तत्वों ने फर्जी आईडी बना लीं। इनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। पुलिस विवेचना कर रही है।
विस्तार
गूगल पर नौकरी की खोज कर रहा आगरा का युवक धोखाधड़ी का शिकार हो गया। साइबर अपराधी ने उससे खाते में 1.43 लाख रुपये जमा करा लिए। इस रकम को वापस करने के नाम पर भी 50 हजार रुपये की मांग की गई। पीड़ित ने पुलिस से शिकायत की। साइबर सेल की जांच के बाद तीन महीने बाद मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने विवेचना शुरू कर दी है।
पुरानी ईदगाह कॉलोनी निवासी समर्थ अग्रवाल ने मुकदमा दर्ज कराया है। उन्होंने पुलिस को बताया कि वह 29 सितंबर को गूगल पर ऑनलाइन नौकरी की खोज कर रहे थे। तभी एक लिंक नजर आया। इसमें एक व्हाट्सएप नंबर दिया था। उस नंबर पर बात करने पर कुछ लोगों ने काम समझा दिया। इसके बाद 200 रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कराए। यह कुछ ही देर में वापस मिल गए।
इसके बाद शातिरों ने धीरे-धीरे करके 1.43 लाख रुपये ले लिए। जब उसने इस रकम को वापस मांगा तो 50 हजार रुपये की मांग करने लगे। बताया कि यह रकम टैक्स के रूप में बैंक लेगा। यह रकम जमा करने पर ही पैसा मिलेगा। यह देने से मना करने पर जमा रकम वापस करने से मना कर दी। पीड़ित ने पुलिस से शिकायत की। साइबर सेल ने जांच की। तीन महीने बाद मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने विवेचना शुरू कर दी है।