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रविवार को गांव पहुंचे उमरैठापुरा के लंबर, जनवेद, छोटेलाल, सुशील, होशियार, राममूर्ति, गनपति, मेदीराम, साहूकार, तहसीलदार आदि ने बताया कि उनके घर का नामोनिशान नहीं बचा है। चारे की मशीन और सामान भी मलबे में दबे हैं। यहां करीब 40 मकान बाढ़ की भेंट चढ़ गए हैं।
टीले से गांव पहुंचे गुढ़ा के मोहन सिंह, टिल्लू, विधीराम, रामनरेश दुलारे, भागीरथ, हजूरी आदि को गांव में अपने घर मलबे के ढेर में तब्दील मिले। गोहरा के जयराम, योगेश, दशरथ, राजू, महावीर आदि के मकान बाढ़ में ढह गए। 20 से अधिक झोपड़ियां बाढ़ में बह गईं। भगवानपुरा के मुन्नालाल, रामवीर, हरिओर, अनार सिंह, विद्याराम आदि के घर भी बाढ़ की जद में आए हैं।
गुढ़ा, झरनापुरा, भगवानपुरा, खेड़ा राठौर में चल रहे स्टीमर व नाव रविवार को बंद कर दिए गए हैं। गांव वालों का कहना है कि कीचड़ व दलदल हटे तो गांव लौटें। बाढ़ प्रभावित 18 गांव पांचवें दिन अंधेरे में डूबे रहे। अधिशासी अभियंता देवेंद्र प्रताप वर्मा ने बताया कि रास्ते साफ न होने की वजह से लाइनें दुरुस्त नहीं हो सकीं हैं। गांव में कैद में परिवारों तक सरकारी रसद नहीं पहुंच पा रही है। एसडीएम बाह रतन वर्मा ने बताया कि रास्तों से पानी हट रहा है। कीचड़ और दलदल की सफाई कराई जा रही है।
चंबल की बाढ़ से बाह के 38 गांवों की 30 हजार हेक्टेयर में बाजरा, तिल, भिंडी, तोरई, मिर्च आदि की फसलें नष्ट हो गईं हैं। डूबी और खेतों में बिछी फसलों को देखकर किसानों के आंसू आ रहे हैं। सिमराई के प्रधान जयवीर सिंह ने बताया कि उनकी पंचायत के गुढ़ा, सिमराई, रानीपुरा, भटपुरा में 250 हेक्टेयर से ज्यादा रकबे में फसलें डूबी हैं।
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