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ताजनगरी में गली या चौराहे से गुजर रहे हैं तो कुत्ते और बंदर से सावधान रहें। ये हमला कर लोगों को घायल कर रहे हैं। बीते 20 दिन में जिला अस्पताल की ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है। यहां रोजाना 280 से अधिक मरीज एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे हैं।
जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ. अशोक अग्रवाल ने बताया कि बीते 20 दिन पहले कुत्ता व बंदर के काटे जाने के 230 से 250 मरीज आ रहे थे। अब इनकी संख्या 280 को पार कर रही है। इनमें 80 से 85 फीसदी मरीज कुत्ता के काटे जाने और 15-20 फीसदी मरीज बंदर काटे जाने के हैं। बच्चों की संख्या करीब 65 फीसदी तक रहती है। इनमें 30-35 मरीजों में दो से पांच जगह जख्म मिलते हैं। ये पैर, हाथ और जांघ पर अधिक मिलते हैं।
हिंसक हो रहे कुत्ते-बंदर
जिला अस्पताल के एंटी रैबीज वैक्सीन (एआरवी) ओपीडी के प्रभारी डॉ. आरबी लाल ने बताया कि गर्मी में भूख-प्यास के कारण कुत्ता-बंदर ज्यादा हिंसक हो जाते हैं। ऐसे में मौका मिलने पर ये हमला करते हैं। ताजगंज, शाहगंज, बुंदु कटरा, यमुनापार, मंटोला क्षेत्र में कुत्ता काटने के मरीज अधिक हैं। पुराने शहर से बंदर काटने के मरीज ज्यादा आ रहे हैं। इनमें रावतपाड़ा, पीपलमंडी, मोती कटरा, एसएन कॉलेज क्षेत्र के अधिक मरीज हैं।
’24 घंटे में एआरवी लगवाना जरूरी’
नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि कुत्ता-बंदर काटने के 24 घंटे के अंदर एंटी रैबीज वैक्सीन का पहला इंजेक्शन जरूर लगवा लेना चाहिए। कुत्ता काटने के बाद उसकी 10 दिन तक निगरानी करें, अगर वह मर जाता है तो चिकित्सक की ओर से तय सभी टीके समय पर लगवाएं। अगर कुत्ता नहीं मरता तो पहली डोज से ही रैबीज का खतरा नहीं रहता।
ये करें:
– कुत्ता-बंदर काटने पर तत्काल नल की तेज धार से घाव को धोएं।
– घाव को साबुन या एंटीसेप्टिक लिक्विड से अच्छी तरह साफ करें।
– घाव पर नमक-मिर्च समेत अन्य कोई मलहम कतई न लगाएं।
– चिकित्सक को दिखाएं और एआरवी लगवाने में देरी न करें।
केस एक:
यमुना ब्रिज के संतोष बाबू ने बताया कि उनके 14 साल का बेटा पास की ही गली में दुकान से खाने का सामान लेकर आ रहा था। उसके पीछे दो कुत्ते पड़ गए। पैर में काटा, पड़ोसियों ने दौड़कर बच्चे को बचाया। यहां एक साथ तीन से पांच कुत्ते घूमते हैं।
केस दो:
मोती कटरा निवासी बृजेश कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी छत पर कपड़े सुखाने गई। इस पर बंदर ने झपट्टा मार दिया। हाथ पर बंदर ने काटा। चिल्लाने पर छत पर जाकर बंदर को भगाया। तत्काल निजी अस्पताल में जाकर एआरवी लगवाया।
विस्तार
ताजनगरी में गली या चौराहे से गुजर रहे हैं तो कुत्ते और बंदर से सावधान रहें। ये हमला कर लोगों को घायल कर रहे हैं। बीते 20 दिन में जिला अस्पताल की ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है। यहां रोजाना 280 से अधिक मरीज एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे हैं।
जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ. अशोक अग्रवाल ने बताया कि बीते 20 दिन पहले कुत्ता व बंदर के काटे जाने के 230 से 250 मरीज आ रहे थे। अब इनकी संख्या 280 को पार कर रही है। इनमें 80 से 85 फीसदी मरीज कुत्ता के काटे जाने और 15-20 फीसदी मरीज बंदर काटे जाने के हैं। बच्चों की संख्या करीब 65 फीसदी तक रहती है। इनमें 30-35 मरीजों में दो से पांच जगह जख्म मिलते हैं। ये पैर, हाथ और जांघ पर अधिक मिलते हैं।
हिंसक हो रहे कुत्ते-बंदर
जिला अस्पताल के एंटी रैबीज वैक्सीन (एआरवी) ओपीडी के प्रभारी डॉ. आरबी लाल ने बताया कि गर्मी में भूख-प्यास के कारण कुत्ता-बंदर ज्यादा हिंसक हो जाते हैं। ऐसे में मौका मिलने पर ये हमला करते हैं। ताजगंज, शाहगंज, बुंदु कटरा, यमुनापार, मंटोला क्षेत्र में कुत्ता काटने के मरीज अधिक हैं। पुराने शहर से बंदर काटने के मरीज ज्यादा आ रहे हैं। इनमें रावतपाड़ा, पीपलमंडी, मोती कटरा, एसएन कॉलेज क्षेत्र के अधिक मरीज हैं।
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