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डीएम से गुहार लगातीं महिलाएं
– फोटो : अमर उजाला
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आंखों में आंसू। थरथराते होठ। हाथ जोड़कर डीएम के सामने पहुंची मंजू बोली, साहब- घर पर मेरे पिता की लाश रखी है। कोई मुखाग्नि देने वाला नहीं… भाई जेल में बंद है। उसे पैरोल पर अंतिम संस्कार के लिए छुड़वा दीजिए। यह कहते हुए रोने लगी। सोमवार को दोपहर एक बजे यह नजारा था कलक्ट्रेट में। जैसे ही डीएम अपने कक्ष से निकले, मंजू हाथ जोड़ कर उनके सामने खड़ी हो गई। हालांकि शाम तक पैरोल न मिलने पर पौत्र से मुखाग्नि दिलाई गई।
ग्वालियर रोड स्थित रिठौरी गांव निवासी केरन सिंह (65) की सोमवार सुबह चार बजे मृत्यु हो गई। वह बीमार थे। पता चलने पर मेरठ में अपने ससुराल से मंजू चहल रिठौरी पहुंची। पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए कोई नहीं था। तब कुछ ग्रामीण व रिश्तेदार महिलाओं को साथ लेकर मंजू कलेक्ट्रेट पहुंची। पहले एडीएम सिटी को भाई की पैरोल के लिए प्रार्थनापत्र दिया। दो घंटे इंतजार के बाद सुनवाई नहीं होने पर डीएम नवनीत सिंह चहल के सामने पहुंच गई। डीएम ने आश्वासन दिया, मैं कुछ कराता हूं। आप परेशान मत होइए।
अमर उजाला को बताई आपबीती
तभी डीएम के पीछे खड़े एडीएम सिटी बोले, सर इनका प्रार्थनापत्र सदर थाना पुलिस को भेज दिया है। इसके बाद डीएम चले गए। मंजू ने अमर उजाला को आपबीती बताई। कहा, दो भाई थे। बड़े भाई और भाभी की मृत्यु हो गई। एक छोटा भाई सोनू चाहर है। जो करीब आठ साल से हत्या के झूठे मामले में जेल में बंद है।
पिता लंबे समय से बीमार थे। अंतिम संस्कार के लिए घर में कोई पुरुष नहीं है। करीब दोपहर दो बजे मंजू घर लौट गई। शाम पांच बजे तक पैरोल नहीं मिली। ग्रामीणों ने पौत्र से अंतिम संस्कार कराया। एडीएम सिटी अंजनी कुमार सिंह का कहना है कि पैरोल पुलिस और जेल की रिपोर्ट पर मिलती है। वहीं, मंजू के पति राहुल चहल का कहना है कि पैरोल नहीं मिलने के विरुद्ध वह कोर्ट जाएंगे।
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