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संत रविदास नगर में दस साल बाद एक परिवार में खुशियों की बारिश हुई। मां के सामने जब 10 साल बाद उसका बेटा ओम (काल्पनिक नाम) सामने आया, तो वह अवाक रह गई। उसके आंसू छलक आए। मां ने उसे सीने से लगा लिया। ओम की बहन भी भाई को देखकर काफी खुश थी। बहन बोली, उसके लिए रक्षाबंधन से पहले इससे बड़ा कोई तोहफा नहीं है।
दस साल पहले बाल शिशु गृह में अपने भाई सोम (काल्पनिक नाम) की जानकारी मिलने के बाद जब ओम उसे ढूंढने निकला, तो भिक्षावृत्ति के आरोप में उसे भी राजकीय शिशु बाल गृह भेज दिया गया था। तभी से वह अपने माता-पिता से दूर हो गया था। उसका भाई सोम अभी फिरोजाबाद के बाल गृह में है।
बेटे के लिए दर-दर भटके माता-पिता
ओम का कहना था कि अपने भाई को लाने के लिए मैं 23 जुलाई को कोर्ट में पूरी दमदारी के साथ बात रखूंगा। इस बार मैं अकेला नहीं, बल्कि मेरे साथ मेरे पिता और मां भी होंगे। ओम के माता-पिता का कहना है कि बेटे को ढूंढने के लिए दर-दर की ठोकरें खाईं। हारकर बैठ गए थे। आज बेटे को अपने पास देख काफी खुशी है।
बता दें कि सोम को इटली की दंपती गोद लेना चाहते हैं। उसको गोद देने की प्रक्रिया को हरी झंडी दिखा दी गई। भाई सोम को सात समंदर पार जाने से रोकने के लिए बड़े भाई ओम ने आगरा के पारिवारिक न्यायालय में आपत्ति दर्ज कराई है। उसका कहना है कि वह अपने भाई को विदेश नहीं जाने देगा।
ऐसे मिला परिवार
अमर उजाला में ‘नहीं जाने दूंगा भाई को सात समंदर पार’ खबर प्रकाशित होने के बाद ओम के साथियों ने साथ मिलकर माता-पिता को खोजा। आगरा किले के सामने बनी झुग्गी झोपड़ियों की बस्ती के सामने से निकलने पर वहां बैठे एक व्यक्ति ने ओम को पहचान लिया। जब बस्ती में पता चला तो सभी लोग काफी खुश दिखे।
मुझे खुशी है एक और परिवार मिलाया
सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने बताया कि मुझे खुशी है कि मैंने एक और परिवार को मिलाने का काम किया। हमें परिवार को ढूंढने में दो दिन का समय जरूर लगा।
विस्तार
संत रविदास नगर में दस साल बाद एक परिवार में खुशियों की बारिश हुई। मां के सामने जब 10 साल बाद उसका बेटा ओम (काल्पनिक नाम) सामने आया, तो वह अवाक रह गई। उसके आंसू छलक आए। मां ने उसे सीने से लगा लिया। ओम की बहन भी भाई को देखकर काफी खुश थी। बहन बोली, उसके लिए रक्षाबंधन से पहले इससे बड़ा कोई तोहफा नहीं है।
दस साल पहले बाल शिशु गृह में अपने भाई सोम (काल्पनिक नाम) की जानकारी मिलने के बाद जब ओम उसे ढूंढने निकला, तो भिक्षावृत्ति के आरोप में उसे भी राजकीय शिशु बाल गृह भेज दिया गया था। तभी से वह अपने माता-पिता से दूर हो गया था। उसका भाई सोम अभी फिरोजाबाद के बाल गृह में है।
बेटे के लिए दर-दर भटके माता-पिता
ओम का कहना था कि अपने भाई को लाने के लिए मैं 23 जुलाई को कोर्ट में पूरी दमदारी के साथ बात रखूंगा। इस बार मैं अकेला नहीं, बल्कि मेरे साथ मेरे पिता और मां भी होंगे। ओम के माता-पिता का कहना है कि बेटे को ढूंढने के लिए दर-दर की ठोकरें खाईं। हारकर बैठ गए थे। आज बेटे को अपने पास देख काफी खुशी है।
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