Agra Central Jail: बंदियों के हुनर से सज रहीं पश्चिम की अदालतें, दो साल में पूरा किया दो करोड़ का ऑर्डर

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अदालतें केंद्रीय कारागार के बंदियों के हाथों के हुनर से सज रही हैं। आगरा के केंद्रीय कारागार में सजा काट रहे बंदियों के बनाए कुर्सी, मेज, अलमारी और बुक सेल की मांग इन अदालतों में बढ़ रही है। यही वजह है कि दो साल में दो करोड़ का फर्नीचर कई जिलों की अदालतों में भेजा जा चुका है।

केंद्रीय कारागार में 10 साल से फर्नीचर उद्योग संचालित हो रहा है। इसमें 40 से 50 बंदी कार्य करते हैं। उन्हें पूर्व में प्रधानमंत्री कौशल विकास कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण भी दिया गया था। जेल में बंदियों का बनाया हुआ फर्नीचर काफी टिकाऊ होने के साथ ही फिनिशिंग में भी काफी अच्छा होता है। यह बाजार के फर्नीचर को काफी टक्कर दे रहा है।

फर्नीचर उद्योग में लगे 40 बंदी

केंद्रीय जेल के वरिष्ठ अधीक्षक वीके सिंह ने बताया कि आजीवन कारावास की सजा काट रहे तकरीबन 40 बंदियों को फर्नीचर उद्योग में लगाया गया है। ऑर्डर मिलने पर लकड़ी और अन्य सामान खरीदा जाता है, जिससे फर्नीचर तैयार किया जाता है। इसके बाद अदालतों में सप्लाई कर दिया जाता है। वर्ष 2020-2021 में एक करोड़ का माल भेजा गया था, जबकि 2021-2022 में भी एक करोड़ से अधिक का माल भेजा जा चुका है। 

परिवार का बन रहे सहारा

केंद्रीय कारागार में वैसे तो कई उद्योग संचालित हो रहे हैं। मगर, उनमें से फर्नीचर उद्योग काफी महत्वपूर्ण है। इससे जुड़े बंदियों को जहां अपना हुनर दिखाने का मौका मिल रहा है, वहीं अपने परिवार का भी सहारा बन रहे हैं। उनके कार्य करने के हिसाब से हर महीने चार से छह हजार रुपये तक की कमाई हो रही है। इसे बंदियों के खाते में जमा करा दिया जाता है, जिससे उनके परिवार उपभोग कर सकें।

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वर्ष 2012 से संचालित हो रहा फर्नीचर उद्योग

जेल के वरिष्ठ अधीक्षक के मुताबिक, फर्नीचर उद्योग वर्ष 2012 से संचालित है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, सहारनपुर, झांसी, फिरोजाबाद, एटा, अलीगढ़ जिलों की अदालतों से आर्डर मिलने पर माल तैयार करके भेजा जाता है। फर्नीचर का रेट निर्धारित है। लकड़ी बाजार से खरीदी जाती है।

विस्तार

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अदालतें केंद्रीय कारागार के बंदियों के हाथों के हुनर से सज रही हैं। आगरा के केंद्रीय कारागार में सजा काट रहे बंदियों के बनाए कुर्सी, मेज, अलमारी और बुक सेल की मांग इन अदालतों में बढ़ रही है। यही वजह है कि दो साल में दो करोड़ का फर्नीचर कई जिलों की अदालतों में भेजा जा चुका है।

केंद्रीय कारागार में 10 साल से फर्नीचर उद्योग संचालित हो रहा है। इसमें 40 से 50 बंदी कार्य करते हैं। उन्हें पूर्व में प्रधानमंत्री कौशल विकास कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण भी दिया गया था। जेल में बंदियों का बनाया हुआ फर्नीचर काफी टिकाऊ होने के साथ ही फिनिशिंग में भी काफी अच्छा होता है। यह बाजार के फर्नीचर को काफी टक्कर दे रहा है।

फर्नीचर उद्योग में लगे 40 बंदी

केंद्रीय जेल के वरिष्ठ अधीक्षक वीके सिंह ने बताया कि आजीवन कारावास की सजा काट रहे तकरीबन 40 बंदियों को फर्नीचर उद्योग में लगाया गया है। ऑर्डर मिलने पर लकड़ी और अन्य सामान खरीदा जाता है, जिससे फर्नीचर तैयार किया जाता है। इसके बाद अदालतों में सप्लाई कर दिया जाता है। वर्ष 2020-2021 में एक करोड़ का माल भेजा गया था, जबकि 2021-2022 में भी एक करोड़ से अधिक का माल भेजा जा चुका है। 

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