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पड़ोसी ने बताया घर का रास्ता
बालूगंज में जिस जगह पर हादसा हुआ, वहां पर सात मकान बने हुए हैं। गया प्रसाद के पड़ोस में गिरीश जैन रहते हैं। पुलिस ने घर के बारे में पता करने के लिए उनको जगाया। कॉलोनी की मीना जैन, जौली और विनोद आदि आ गए। वह भी घर में आग बुझाने और लोगों को निकालने के लिए जुट गए। गिरीश जैन ने पुलिस को घर का रास्ता बताया। वह परिवार को अस्पताल पहुंचाने में भी साथ रहे। दोपहर तक इलाज कराने में जुटे रहे। गिरीश जैन ने बताया कि डॉ. आशीष दीक्षित उनके गहरे दोस्त थे। उनकी ऐसे मौत हो जाएगी, सोचा भी नहीं था।
घर में लगा रखा है सोलर पैनल
गया प्रसाद ने बताया कि उनके घर में चिकिल्सालय, उनका कार्यालय, सेंटर, आरओ प्लांट लगा है। घर तकरीबन एक हजार वर्ग गज में बना है। इसमें आधे भाग में कमरे बने हैं। घर के अंदर से ही चिकित्सालय में जाने का रास्ता है। बिजली के लिए एक वर्ष पहले आठ लाख रुपये की कीमत से 35 किलोवाट के दो सोलर पैनल लगवाए थे। वह अंदर के कमरे में रहते हैं। सीढ़ियों से प्रथम तल पर जाने पर डॉ. आशीष के बच्चों का कमरा पड़ता है। बाद में डॉ. आशीष का।
बेंगलुरु से आई बेटी, कराया पिता का अंतिम संस्कार
पड़ोसी गिरीश जैन ने बताया कि डॉ. आशीष दीक्षित का अंतिम संस्कार शाम को ताजगंज स्थित विद्युत शवदाह गृह में किया गया। उनकी बेटी रिया बेंगलुरु में बीटेक कर रही हैं। वह आगरा आ गईं। उन्होंने अंतिम संस्कार किया। प्राची को अभी पति की मौत के बारे में नहीं बताया गया है। उनके पूछने पर यही कहा कि अभी इलाज चल रहा है। खुशी को अभी होश नहीं आ सका है।
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