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उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (यूपीएमआरसी) की फंडिंग पैटर्न रिपोर्ट के अनुसार प्रोजेक्ट की लागत को 30 साल में मेट्रो से निकाला जाएगा। 2030 तक प्रतिदिन 7.36 लाख यात्री सफर करेंगे। ऐसे में मेट्रो शुरू होने के बाद चार साल तक संचालन पर हर साल करीब 200 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पांचवें वर्ष से मेट्रो खर्च में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगी। फिर 2050 तक मेट्रो प्रोजेक्ट पर हुए खर्च की भरपाई की जाएगी।
आगरा मेट्रो के लिए यूपीएमआरसी ने 4178.59 करोड़ रुपये का कर्ज यूरोपियन निवेश बैंक से लिया है। सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेट्रो ट्रेन का अनावरण किया था। इसके साथ ही मेट्रो में सफर का बेसब्री से इंतजार शुरू हो गया है।
फंडिंग पैटर्न रिपोर्ट के अनुसार मेट्रो प्रोजेक्ट पर 7297.65 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें 57.26 प्रतिशत यानी 4178.59 करोड़ रुपये कर्ज से जुटाया जाएगा। जबकि 138.54 करोड़ रुपये पीपी मॉडल से मिलेंगे। केंद्र सरकार 1459.53 करोड़ रुपये यानी 20 प्रतिशत धनराशि मिलेगी। 1659.53 करोड़ रुपये यानी 22.74 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार खर्च करेगी।
यूपीएमआरसी के उप महाप्रबंधक पीआर पंचानन मिश्र ने बताया कि ऋण राशि को 20 साल में चुकाना होगा। पहले केंद्र और राज्य सरकार का पैसा खर्च होगा। जरूरत पड़ने पर ऋण राशि इस्तेमाल होगी। उन्होंने कहा कि जिस दिन से ऋण लिया जाएगा उस दिन से पांच साल बाद अदायगी किस्त शुरू होगी।
ऐसे होगी भरपाई
मेट्रो प्रोजेक्ट पर होने वाले खर्च की भरपाई यूपीएमआरसी के टेढ़ी खीर होगी। भरपाई यात्री संख्या पर निर्भर करेगी। डीपीआर के मुताबिक 2030 तक 7.36 लाख लोगों के यात्रा करने का अनुमान है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो लागत की भरपाई में लंबा समय लग सकता है। भरपाई के लिए मेट्रो स्टेशन पर विज्ञापन, ट्रेन में शूटिंग, टिकट कलेक्शन व अन्य माध्यम अपनाएगी।
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