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आगरा में फ्लैट के लिए 10 लाख रुपये लेने के बाद भी बिल्डर ने बैनामा नहीं किया। पीड़ित को रकम भी वापस नहीं की। बिल्डर ने 10 लाख रुपये का चेक दिया, जो बाउंस हो गया। पीड़िता ने कोर्ट की शरण ली। कोर्ट ने बिल्डर को दोषी पाते हुए दो साल की सजा सुनाई। 20 लाख रुपये अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड अदा नहीं करने पर छह महीने के अतिरिक्त कारावास की सजा मिलेगी।
भरतपुर हाउस निवासी नीतू अमरनानी ने वर्ष 2012 में वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्ग विजय सिंह भैया के माध्यम से कोर्ट में वाद प्रस्तुत किया था। इसमें कहा कि विज कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर योगेश विज का भवन निर्माण और भूखंड खरीदने का कारोबार है। कंपनी का संजय प्लेस में कार्यालय है। नीतू की योगेश विज से जान पहचान थी।
एडवांस में दिए थे 10 लाख रुपये
नीतू को फ्लैट खरीदना था। इसके लिए वर्ष 2010 में योगेश विज से बात की। उन्होंने सिकंदरा में फ्लैट दिखाया। फ्लैट पसंद आने पर बिल्डर को 10 लाख रुपये एडवांस के तौर पर दे दिए। बिल्डर ने सितंबर 2011 में बैनामे की बात कही थी। मगर, समय बीतने पर भी बैनामा नहीं किया। इस बारे में बात करने पर टालमटोल करते रहे। बाद में 10 लाख का चेक दे दिया। 26 अप्रैल 2012 को चेक बाउंस हो गया। नीतू ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से बिल्डर को नोटिस दिया, लेकिन आरोपी ने बैनामा न ही रुपये वापस किए।
अतिरिक्त न्यायालय संख्या तीन के पीठासीन अधिकारी सुरेशचंद ने साक्ष्य के आधार पर बिल्डर योगेश विज को दोषी पाया। उसे दो वर्ष के कारावास और 20 लाख रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड की राशि प्रतिकर के रूप में वादिनी को दिलाने के आदेश किए। अर्थदंड अदा नहीं करने पर बिल्डर को छह महीने के अतिरिक्त कारावास से दंडित किया।
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