Agra News: पंचतत्व में विलीन हुईं स्वतंत्रता सेनानी रानी सरोज गौरिहार, बेटियों ने दी मुखाग्नि

0
21

[ad_1]

आगरा में स्वतंत्रता सेनानी, वरिष्ठ साहित्यकार, नागरी प्रचारिणी सभा की अध्यक्ष और कई संस्थाओं की संरक्षक रानी सरोज गौरिहार का रविवार तड़के हृदय गति रुकने से निधन हो गया। वे 92 वर्ष कीं थीं। ताजगंज स्थित विद्युत शवदाह गृह में राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। उनकी दोनों बेटियों नीलिमा शर्मा और मंदिरा शर्मा ने उन्हें मुखाग्नि दी।

रानी सरोज गौरिहार को दो दिन पहले हल्का ज्वर व सीने में दर्द महसूस हुआ था। इसके बाद उन्हें दिल्ली गेट स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां तड़के चार बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर मिलते ही आवास पर लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। शाम चार बजे तक उनकी अंतिम यात्रा से पहले श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों का तांता लगा रहा। केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल, कैबिनेट मंत्री बेबीरानी मौर्य, पूर्व मंत्री रामजीलाल सुमन आदि राजनीतिक, सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के पदाधिकारी और कार्यकर्ता उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की।

स्वाधीनता संग्राम सेनानी सरोज गौरिहार बुंदेलखंड में गौरिहार रियासत की रानी थीं। 1968 से 1972 तक वह मध्य प्रदेश से विधायक चुनीं गईं। पाश्चात्य संस्कृति व नशीले पदार्थों का विरोध करने वाली रानी युवा पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण के लिए धर्म एवं प्राचीन संस्कृति को अपनाने की शिक्षा देती थीं। ब्रज साहित्य में उनकी गहरी रुचि थी।

 

यह भी पढ़ें -  Gorakhpur News: सूदखोरों से तंग आकर दुकानदार ने रची खुद के अपहरण की साजिश, मांगी थी तीन लाख फिरौती

ब्रज भाषा की अच्छी कवयित्री एवं अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाओं की संरक्षक रहीं रानी सरोज गौरिहार ने आगरा की लोक कलाओं, मेले, साहित्य, इतिहास, उद्योग सहित 35 विषयों पर 32-32 पेज की पुस्तकें लिखीं। उनका ‘आनंद छलिया’ और ‘मांडवी’ साहित्य पर खंड काव्य सहित पांच पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

एमए, एलएलबी व डीपीए शिक्षा प्राप्त रानी का विवाह बुंदेलखंड की छोटी रियासत गौरिहार के राजा प्रताप सिंह भूदेव के साथ हुआ था। वहीं से उन्होंने मध्य प्रदेश की राजनीति में प्रवेश किया। 1968 में अखिल भारतीय ब्रज साहित्य परिषद की अध्यक्ष रहीं। 1972 में राजनीति से अलग होकर वह लेखन व सामाजिक कार्यों से जुट गईं। 

हिंदी के अलावा गुजराती व अंग्रेजी साहित्य में रुचि रखने वाली रानी ने 1990 में पिता पूर्व मंत्री जगन प्रसाद रावत को मुखाग्नि दी। ऐसा करने वाली वह पहली महिला थीं। उनके माता-पिता स्वतंत्रता सेनानी थे। पिता आगरा से प्रदेश में मंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति थे। इग्लैंड, फ्रांस, यूएसए सहित छह देशों की यात्रा कर चुकीं रानी नागरी प्रचारिणी सभा, आगरा की सभापति थीं। 2015 से 18 तक संगीत सभा केंद्र व जन शिक्षण संस्थान की अध्यक्ष रहीं। इसके अलावा श्रीगांधी आश्रम फाउंडेशन, उदयन शर्मा फाउंडेशन व महाकवि नीरज फाउंडेशन की ट्रस्टी थीं।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here