आगरा में कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मॉकड्रिल से सुर्खियों में आए श्री पारस अस्पताल की बृहस्पतिवार को 12 महीने बाद सील खुल गई। सात जून 2021 में अस्पताल संचालक डॉ. अरिन्जय जैन के वीडियो वायरल हुए थे। इसके बाद पांच मिनट की ऑक्सीजन मॉकड्रिल के दौरान 22 कोरोना मरीजों की मौत के आरोप लगे थे। शासन ने त्रस्तरीय कमेटी से जांच कराई थी। कमेटी ने क्लीनचिट दी। इसके बाद बृहस्पतिवार को अस्पताल की सील खोल दी गई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि शासन के निर्देश पर सील खोली गई है। अस्पताल का लाइसेंस बहाल किया है। अस्पताल संचालित करने से पहले वर्ष 2022-23 के लिए नवीनीकरण कराना होगा।
क्या था मामला
सात जून 2021 को श्रीपारस अस्पताल के संचालक डॉ. अरिन्जय जैन के वीडियो वायरल हुए थे। जिनमें वह कोरोना की दूसरी लहर 27 अप्रैल 2021 की आपबीती बता रहे थे। उन दिनों ऑक्सीजन का विकराल संकट था। ऑक्सीजन किल्लत होने पर उन्होंने पांच मिनट की मॉकड्रिल की। पांच मिनट में 22 मरीज छट गए। मामला देशभर की सुर्खियों में रहा। डीएम प्रभु एन सिंह ने अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर सील लगाने के आदेश दिए थे। अस्पताल संचालक डॉ. अरिन्जय जैन के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। फिर डीएम ने मॉकड्रिल कांड की न्यायिक जांच कराई। जांच के बाद अघोषित क्लीनचिट मिल गई थी। जून 2021 से अस्पताल सील था।
मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को दिया था आवेदन
अस्पताल संचालक डॉ. अरिन्जय जैन ने बताया कि मैंने सिर्फ ऑक्सीजन का असिसमेंट किया था। किसी की जान नहीं ली। जिन धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था उनमें जमानत करा ली है। दिसंबर 2021 में मैंने मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री को सील खोलने के लिए आवेदन किया था। जिसके बाद जनवरी में मुझे अपर स्वास्थ्य निदेशक ने पूछताछ के लिए बुलाया। मुझे नहीं पता कब त्रिस्तरीय कमेटी जांच के लिए आई। शासन से आदेश प्राप्त होने के बाद अब अस्पताल की सील खुल गई है।
श्रीपारस अस्पताल में 100 बेड हैं। अब नए सिरे से अस्पताल का नवीनीकरण होगा। स्वीकृत मानचित्र से इतर निर्माण पर एडीए ने नोटिस दिया था, नक्शा पास नहीं होने पर कंपाउंडिंग के आदेश किए। डॉ. अरिन्जय जैन ने बताया कि एडीए टीम अब पैमाइश के बाद कंपाउंडिंग करेगी। फिर अग्निशमन, प्रदूषण बोर्ड, वायु प्रदूषण, नगर निगम व एडीए से अनापत्तियां ली जाएंगी। उसके बाद अस्पताल में मरीजों की भर्ती शुरू होगी।
16 मरीजों की मौत की हुई थी पुष्टि
मॉकड्रिल कांड के बाद डीएम ने मेडिकल बोर्ड बनाकर अस्पताल में उन दिनों हुई मौतों की जांच कराई थी। जांच के दौरान तीन दिन में 16 मरीजों की मौत की पुष्टि हुई थी। लेकिन किसी की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं मानी गई। न्यायिक व मेडिकल बोर्ड की जांच पर मृतक मरीजों के परिजनों ने गंभीर आरोप लगाए थे। प्रशासन के रवैये पर भी सवाल उठाए थे। मृतकों में आगरा के अलावा इटावा, मैनपुरी व अन्य जिलों के निवासी थे।
दूसरी बार खुली सील
कोरोना पहली लहर में भी श्रीपारस अस्पताल पर 11 जिलों में महामारी फैलाने के आरोप लगे थे। चोरी-छुपे संक्रमितों को भर्ती कर इलाज करने और प्रशासन को सूचना नहीं देने पर अस्पताल सील हुआ था। तब भी अस्पताल संचालक ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अस्पताल की सील खोलने के लिए प्रार्थनापत्र दिया था। जिसके बाद अस्पताल की सील खुल गई थी। दूसरी लहर में प्रशासन ने अस्पताल को फिर से कोविड इलाज के पैनल में शामिल कर लिया था, जिसके बाद मॉकड्रिल कांड सामने आया था।