Agra Student Death: पिता ने जताई साजिश के तहत हत्या की आशंका, कहा- बेटे ने ब्लॉक कर रखे थे 50 नंबर

0
22

[ad_1]

आगरा के थाना सिकंदरा की रंगोली कॉलोनी से लापता छात्र जितेंद्र शर्मा का शव दिल्ली में 23 अगस्त को मिल गया था। पुलिस ने पहचान नहीं होने पर लावारिस में अंतिम संस्कार किया था। परिजन का कहना है कि जितेंद्र ने 50 नंबर ब्लॉक कर रखे थे। दो साल में उसके ई-वॉलेट से तकरीबन ढाई लाख रुपये अनजान लोगों के खातों में ट्रांसफर हुए। वह किसी गैंग के चंगुल में फंस गया था। परिजन ने साजिश के तहत उसकी हत्या का आरोप लगाया है।

रंगोली कॉलोनी निवासी जितेंद्र शर्मा (20) बीए का छात्र था। 22 अगस्त को घर से निकला था। वह लापता हो गया था। पिता ने गुमशुदगी दर्ज कराई थी। 15 घंटे बाद 23 अगस्त को जितेंद्र का शव दिल्ली में रेलवे लाइन पर पड़ा मिला था। उसका लावारिस में अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस बात की जानकारी परिजन को दो दिन पहले दिल्ली पुलिस के जिपनेट पर फोटो देखकर हुई थी।

पिता देवदत्त शर्मा का कहना है कि तीन साल पहले बेटे के खाते में ढाई लाख रुपये जमा कराए थे। यह उसकी शिक्षा के लिए थे। इसके अलावा लॉकर भी उसके नाम कराया था। बेटे के लापता होने पर उन्होंने एकाउंट और ई-वॉलेट में हुए लेनदेन की जानकारी ली। इसमें पता चला कि बेटे ने वर्ष 2020 से लेकर जुलाई 2022 तक सारी रकम ई-वॉलेट से दूसरे लोगों के खातों में भेजी है।

यह भी पढ़ें -  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राजनाथ सिंह और अमित शाह सहित विभिन्न नेताओं ने देश के विभाजन की वेदना को किया याद

जितेंद्र के पास दो सिम थे। एक उसने खुद की आईडी पर लिया था, जबकि दूसरा बहन की आईडी पर था। उन्होंने बेटे के नाम की सिम दोबारा जारी करवाई। इससे पता चला कि जितेंद्र ने 50 नंबरों को व्हाटसएप पर ब्लॉक कर रखा था। इनमें ज्यादातर नंबर आगरा के अलावा दिल्ली, हरियाणा, मुंबई, रायपुर आदि के हैं। सितंबर में एक युवती का शुभकामना का वीडियो भी आया। वह दिल्ली में कॉल सेंटर में काम करती है। उससे बात की, लेकिन वह कुछ नहीं बता रही है। वह कौन है, पुलिस उससे पूछताछ करे। थाना प्रभारी का कहना है कि जांच की जा रही है।

रंगोली कॉलोनी के रहने वाले बीएसएनएल के सेवानिवृत्त कर्मचारी देवदत्त शर्मा के घर में कोहराम मचा हुआ है। बेटे जितेंद्र की मौत से पूरा परिवार टूट गया है। पिता को एक ही दर्द है कि बेटे के लापता होने पर ही पुलिस उनकी सुन लेती तो आखरी बार तो बेटे का चेहरा देख लेते। पिता ने आरोप लगाया कि पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर ली, लेकिन तलाश के लिए कुछ नहीं किया। विवेचक सिर्फ खानापूर्ति करते रहे। 

पिता का कहना था कि बेटे को तलाशने की गुहार लगाने वो रोजाना थाने जाते थे। विवेचक हर बार यही कहते थे कि थाने क्यों आते हो। हम तलाश रहे हैं। बेटा आ जाएगा। घर पर बैठो, टीवी देखा करो। आराम से खाना खाओ।



[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here