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पिता देवदत्त शर्मा का कहना है कि तीन साल पहले बेटे के खाते में ढाई लाख रुपये जमा कराए थे। यह उसकी शिक्षा के लिए थे। इसके अलावा लॉकर भी उसके नाम कराया था। बेटे के लापता होने पर उन्होंने एकाउंट और ई-वॉलेट में हुए लेनदेन की जानकारी ली। इसमें पता चला कि बेटे ने वर्ष 2020 से लेकर जुलाई 2022 तक सारी रकम ई-वॉलेट से दूसरे लोगों के खातों में भेजी है।
जितेंद्र के पास दो सिम थे। एक उसने खुद की आईडी पर लिया था, जबकि दूसरा बहन की आईडी पर था। उन्होंने बेटे के नाम की सिम दोबारा जारी करवाई। इससे पता चला कि जितेंद्र ने 50 नंबरों को व्हाटसएप पर ब्लॉक कर रखा था। इनमें ज्यादातर नंबर आगरा के अलावा दिल्ली, हरियाणा, मुंबई, रायपुर आदि के हैं। सितंबर में एक युवती का शुभकामना का वीडियो भी आया। वह दिल्ली में कॉल सेंटर में काम करती है। उससे बात की, लेकिन वह कुछ नहीं बता रही है। वह कौन है, पुलिस उससे पूछताछ करे। थाना प्रभारी का कहना है कि जांच की जा रही है।
रंगोली कॉलोनी के रहने वाले बीएसएनएल के सेवानिवृत्त कर्मचारी देवदत्त शर्मा के घर में कोहराम मचा हुआ है। बेटे जितेंद्र की मौत से पूरा परिवार टूट गया है। पिता को एक ही दर्द है कि बेटे के लापता होने पर ही पुलिस उनकी सुन लेती तो आखरी बार तो बेटे का चेहरा देख लेते। पिता ने आरोप लगाया कि पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर ली, लेकिन तलाश के लिए कुछ नहीं किया। विवेचक सिर्फ खानापूर्ति करते रहे।
पिता का कहना था कि बेटे को तलाशने की गुहार लगाने वो रोजाना थाने जाते थे। विवेचक हर बार यही कहते थे कि थाने क्यों आते हो। हम तलाश रहे हैं। बेटा आ जाएगा। घर पर बैठो, टीवी देखा करो। आराम से खाना खाओ।
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