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जादौन इंफ्राटेक का वैष्णों क्रिस्टल अपार्टमेंट
– फोटो : साेशल मीडिया
विस्तार
अलीगढ़ महानगर के मैरिस रोड स्थित जादौन इंफ्राटेक द्वारा निर्मित वैष्णों क्रिस्टल अपार्टमेंट के जिस बहुमंजिला भवन को 10 माह पूर्व अलीगढ़ विकास प्राधिकरण (एडीए) द्वारा सील कर दिया गया था उसे मंडलायुक्त के न्यायालय से पारित आदेश के बाद खोल दिया गया है। मंडलायुक्त नवदीप रिणवा ने एडीए के सीलिंग आदेश को निरस्त करते हुए सील किए गए भवन को खोल देने के आदेश दिए थे। जिसके अनुपालन में एडीए की टीम ने सोमवार को मौके पर पहुंचकर सील को खोल दिया।
मैरिस रोड स्थित होटल पाम ट्री के सामने जादौन इंफ्राटेक का वैष्णों क्रिस्टल अपार्टमेंट का निर्माण कार्य चल रहा है। इसमें अति आधुनिक सुविधाओं से युक्त फ्लैटों का निर्माण किया जा रहा था। बीते साल 13 मई 2022 को एडीए की टीम ने नक्शे के खिलाफ अवैध निर्माण करने का आरोप लगाते हुए निर्मांणाधीन भवन को सील कर दिया था। इसके बाद से अपार्टमेंट का निर्माण कार्य बंद पड़ा हुआ था। इस कार्रवाई को लेकर तत्कालीन एडीए उपाध्यक्ष गौरांग राठी का कहना था कि अपार्टमेंट में स्वीकृत सैटबैक और बेसमेंट के खिलाफ निर्माण किया जा रहा था। इसको लेकर एडीए की ओर से संबंधित बिल्डर ने कोई जबाव नहीं दिया था इसको लेकर अपार्टमेंट के निर्मांणाधीन भवन को सील करने की कार्रवाई की गई है।
एडीए की इस कार्रवाई को लेकर बिल्डर ने मंडलायुक्त के न्यायालय में अपील दायर करते हुए एडीए के स्तर से की गई कार्रवाई को गलत ठहराया। बतौर साक्ष्य स्वीकृत मानचित्र के साथ ही अन्य दस्तावेज भी प्रस्तुत किए। मंडलायुक्त ने इस प्रकरण में दोनों पक्षों की सुनवाई करते हुए करीब 10 दिन पहले एडीए की सीलिंग की कार्रवाई को गलत ठहराते हुए आदेश को निरस्त करते हुए भवन की सील खोलने के निर्देश दिए। मंडलायुक्त के आदेशों का अनुपालन करते हुए एडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट तलब की। जिसका अवलोकन करने के बाद उन्होंने भवन की सील खोलने के निर्देश दिए।
एडीए उपाध्यक्ष के अनुसार सीलिंग की कार्रवाई को लेकर बिल्डर ने मंडलायुक्त के न्यायालय में अपील दायर की थी। जिसे स्वीकारते हुए मंडलायुक्त ने सील खोलने के आदेश दिए थे। उधर, जादौन इंफ्राटेक के निदेशक एवं बिल्डर योगेंद्र सिंह बंटी के अनुसार अपार्टमेंट का निर्माण एडीए के तय मानकों के अनुसार ही किया गया है, लेकिन एडीए द्वारा गलत तरीके से कार्रवाई की गई थी। इसको लेकर उन्होंने मंडलायुक्त न्यायालय में शरण ली थी। जहां प्रस्तुत दस्तावेज एवं जांच रिपोर्ट के बाद उनके पक्ष में भवन की सील खोलने का आदेश पारित किया गया है। यह न्याय की जीत है।
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