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अलीगढ़ मेयर प्रशांत सिंघल
– फोटो : सोशल मीडिया
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2017 की गलतियों से सबक सीखते हुए भाजपा ने अलीगढ़ की प्रतिष्ठापूर्ण मेयर सीट विपक्ष से छीन ली है। सियासी अखाड़े के नए पहलवान प्रशांत सिंघल ने अपने से कहीं ज्यादा अनुभवी खिलाड़ी सपा के जमीरुल्लाह को धोबियापाट लगाते हुए चारो खाने चित कर दिया। अलीगढ़ में प्रशांत सिंघल की जीत कई सियासी पंडितों को चौंकाने वाली है। आखिरी लम्हों तक पारंपरिक
विश्लेषक समाजवादी पार्टी के जमीरुल्लाह के पक्ष में भविष्यवाणी करते रहे। लेकिन प्रशांत ने न सिर्फ सभी सियासी पंडितों को गलत साबित किया बल्कि जीत का भारी अंतर पैदा कर यह संदेश देने में कामयाबी पाई कि सियासी तौर पर अनाड़ी कई मायने में खिलाड़ियों से बेहतर खेल सकता है। प्रशांत की ऐतिहासिक जीत के ये पांच प्रमुख कारण रहे-
शिक्षित, सौम्य और शांत व्यक्तित्व
प्रशांत सिंघल की शिक्षा स्नातक तक है। वहीं उनके निकततम प्रतिद्वंद्वी सपा के जमीरुल्लाह की शिक्षा सिर्फ जूनियर हाईस्कूल तक है। वोटरों में इस बात का साफ संदेश गया कि पढ़े ,लिखे उम्मीदवार को जिताना बेहतर रहेगा। इसके अलावा प्रशांत का व्यक्तित्व शांत और सौम्य है। इसके विपरीत जमीरुल्लाह की छवि तेज-तर्रार और उग्र नेता की है। हालांकि उन्हें जमीन से जुड़ा और मजबूत नेता भी बताया जाता है। प्रशांत का सौम्य होना उनके पक्ष में गया। इसके अलावा प्रशांत टिकट की होड़ में अपने प्रतिद्वंद्वी रहे एक और युवा कारोबारी सुमित सराफ को अपने साथ लाने और सहयोग लेने में सफल रहे। सुमित न सिर्फ उनके नामांकन में गए बल्कि अलग-अलग सभाएं कर और वार्डों में प्रचार की कमान संभाल कर नई सियासत की इबारत लिखने में जुटे रहे।
पर्याप्त संसाधनों से माहौल बनाना
संपत्ति और संपन्नता के लिहाज से अलीगढ़ के बड़े कारोबारियों में शुमार प्रशांत सिंघल इस बात का संकेत देने में सफल रहे कि वह भरे पेट के उम्मीदवार हैं। उनका मकसद मेयर बनकर कमाई करना नहीं, बल्कि शहर की भलाई के लिए गंभीर-सार्थक प्रयास करना होगा। सियासी तौर पर उनका गैरपेशेवर होना भी उनके पक्ष में गया। इसके अलावा गलियों, मोहल्लों में लहरा रहे भाजपा के झंडों, बैनरों ने भी यह माहौल बनाया कि भाजपा जीतने जा रही है। कार्य़कर्ताओं की सुख-सुविधा का ख्याल रखने में भी वह अन्य उम्मीदवारों से आगे रहे।
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