Aligarh News: शादी तुड़वाने के शक में ग्रामीण की अगवा कर हत्या, 20 साल बाद आया फैसला, तीन को उम्रकैद, एक बरी

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Kidnapped and murdered a villager on suspicion of breaking the marriage

कोर्ट का फैसला
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

पुराने मुकदमों के निस्तारण के क्रम में एडीजे-5 ऋषिकुमार की अदालत से अपहरण के बाद हत्या के बीस वर्ष पुराने मुकदमे में तीन दोषियों को उम्रकैद से दंडित किया है। यह प्रकरण टप्पल से जुड़ा है। यहां के ग्रामीण की शादी तुड़वाने के शक में अगवा कर हत्या की गई थी और शव दिल्ली में बरामद हुआ था।

अभियोजन अधिवक्ता एडीजीसी कृष्ण मुरारी जौहरी के अनुसार घटना 10 जुलाई 2003 की है। टप्पल के गांव राघवगढ़ी सालपुर के बचनवीर सिंह के पिता छीतर सिंह घर पर ही मौजूद थे। तभी गांव सालपुर का सुभाष उनके पास आया और बोला कि आपने मेरे मामा को जो भैंस बेची थी, उसके रुपये लेने पहासू बुलंदशहर चल रहे हैं। इस पर पिता ने कहा कि रुपये तुमने ही लाने का वायदा किया था। मगर सुभाष ने दबाव डाला कि तुम्हारा चलना जरूरी है। इस पर उसके पिता परिजनों को बताकर सुभाष के साथ उसके मामा के घर पहासू बुलंदशहर चले गए। इसके बाद वे 15 जुलाई तक नहीं लौटे और न कोई खबर मिली। 

15 जुलाई की शाम को गांव में पड़ोसी के घर लगे फोन पर सुभाष का फोन आया और मुझे व मेरे चाचा को बात करने के लिए बुलाया। उधर से सुभाष ने कहा कि मुझे व तुम्हारे पिता को अगवा कर लिया गया है और ये लोग दिल्ली ले आए हैं। इतना सुनते ही वह समझ गया कि उसके पिता को सुभाष के सहयोग से मूल रूप से पहासू और हाल नजफगढ़ नया बाजार दिल्ली निवासी राजीव डागुर व उसके परिवार ने अगवा किया है। क्योंकि पूर्व परिचित राजीव की एक वर्ष पहले हमारे पिता ने मथुरा से शादी कराई थी। जो बाद में किन्हीं कारणों से छूट गई थी। 

राजीव को यह संदेह था कि यह शादी हमारे पिता ने ही तुड़वाई है। इसी रंजिश में उसने पिता को देख लेने की धमकी दी थी। फोन कॉल के बाद पुलिस को पूरा मामला बताया गया। जिसके आधार पर टप्पल पुलिस ने 20 जुलाई को मुकदमा दर्ज किया। मुकदमे में उन्होंने राजीव डागुर, उसके पिता रामनिवास व सालपुर के सुभाष को नामजद किया। पुलिस विवेचना में पहासू के बचनवीर व राजीव के भाई संजीव का नाम भी प्रकाश में आया। वहीं पुलिस ने अगवा छीतर सिंह का शव आरोपियों की निशानदेही से दिल्ली के ककरौल नाले से बरामद किया। जिसमें हत्या कर शव नाले में फेंका जाना उजागर हुआ। इस आधार पर मुकदमे में चार्जशीट दायर की। 

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मामले में सत्र परीक्षण के दौरान एक आरोपी बचनवीर की मौत हो गई, जबकि बाकी के खिलाफ ट्रायल चला। लंबे समय तक चले ट्रायल में अदालत ने साक्ष्यों व गवाही के आधार पर संजीव को बरी किया है, जबकि अपहरण व हत्या में राजीव, उसके पिता राम निवास व सुभाष को दोषी करार देकर उम्रकैद व 10-10 हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया है। जुर्माना राशि में से 50 फीसदी राशि पीडि़त पक्ष को देने के आदेश दिए हैं।

बमुश्किल मिले गवाह, रामनिवास बुढ़ापे में जेल पहुंचा

मामले में पैरवी कर रहे अभियोजन अधिवक्ता एडीजीसी कृष्ण मुरारी जौहरी ने बताया कि बीस वर्ष पुराने मुकदमे में पुलिस के सभी गवाह सेवानिवृत्त हो गए। इसके चलते उन्हें तलाशने में बहुत मेहनत करनी पड़ी। मुकदमे में कुल 8 गवाह पेश हुए, जिसमें एक वादी, दूसरा परिवार की महिला, हरी सिंह व एक अन्य परिवार की ओर से रहे। बाकी एसआई गुरु प्रसाद, रिकार्ड इंचार्ज रामेश्वर, सीओ विवेचक आरपी यादव, इंस्पेक्टर विवेचक ब्रजपाल सिंह बुलाए गए। ये सभी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वहीं दोषी करार दिए गए रामनिवास की उम्र अब 72 वर्ष हो चुकी है। बुढ़ापे में उसे अपने किए की सजा में जेल जाना पड़ा है।

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