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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतिम अवसर देने के बावजूद केंद्र सरकार द्वारा जवाबी हलफनामा दाखिल न करने पर सख्त रुख अपनाया है और कहा है कि तमाम केसों में देखा गया है कि केंद्र सरकार के अधिवक्ता पक्ष रखने कोर्ट में मौजूद नहीं रहते। याची अधिवक्ता का तर्क है कि ऐसी स्थिति में याचिका के तथ्य सही माने जाय। कोर्ट ने आदेश की प्रति सचिव विधि एवं न्याय मंत्रालय भारत सरकार को भेजा जाय ताकि पता चले कि केंद्र सरकार के पैनल अधिवक्ता कोर्ट आदेश की उपेक्षा कर किस तरह से कार्य कर रहे हैं।
कोर्ट ने याचिका को सुनवाई हेतु 19 दिसंबर को पेश करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने रवीन्द्र कुमार की याचिका पर दिया है। 2021 में दाखिल याचिका में मल्टी टास्किंग (नान टेक्निकल) परीक्षा 2019 के आधार पर उपयुक्त पद पर याची की नियुक्ति की मांग की गई है। इसी क्रम में न्यायमूर्ति भाटिया ने अपर सॉलिसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह को कोर्ट में सोमवार को बुलाया। उनके शहर से बाहर होने की जानकारी मिलने पर कोर्ट ने मंगलवार को अदालत में संपर्क करने को कहा है।
इसी तरह से पिछले हफ्ते मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की खंडपीठ ने अक्सर केंद्र सरकार के अधिवक्ताओं के कोर्ट में न आने पर अपर सालिसिटर जनरल को बुलाया और कहा कि कोई सक्षम अधिवक्ता की ड्यूटी इस कोर्ट में लगायें।
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