Allahabad High Court : अपराध की निष्पक्ष विवेचना पीड़ित  व अभियुक्त का विधिक अधिकार

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है, पीड़ित व अभियुक्त का विधिक अधिकार है कि अपराध की निष्पक्ष, स्वतंत्र एवं सही विवेचना की जाए। कोर्ट ने एसएसपी अलीगढ़ व विवेचना अधिकारी को पीड़िता के बयान की आडियो वीडियो क्लिप पेश करने का निर्देश दिया है और पूछा है कि बयान की रिकार्डिंग की गई है या नहीं। साथ ही एसएसपी से हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कि पिछले एक साल में कितने मामलों में पीड़िता के बयान की रिकार्डिंग की गई है। याचिका की सुनवाई 10 जुलाई को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने आकाश की अपील की सुनवाई करते हुए दिया है।

विगत 22 जुलाई 21 को गैंगरेप मामले में गौरव, गोविंद, भोला, नीरज व आकाश के खिलाफ  एफ आईआर दर्ज कराई गई थी। नाबालिग लड़की पीड़िता का पुलिस व मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज किया गया, जिसमें उसने पांचों अभियुक्तों पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया है। कांस्टेबल माधुरी ने इसके बाद पीड़िता का दोबारा मजीद बयान दर्ज किया और तीन अभियुक्तों को छोड़ दिया गया।

दो अभियुक्तों आकाश व गोविंद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। आकाश ने पुलिस विवेचना पर सवाल खड़े किए और कहा उसके साथ नाइंसाफी की गई है। भेदभाव किया गया है। कोर्ट ने कहा कि बयान की रिकार्डिंग की गई है या नहीं। इसके जवाब में अपर महाधिवक्ता ने कहा डीजीपी ने सभी पुलिस अधिकारियों को संशोधित कानून का पालन करने का निर्देश जारी किया है और चेतावनी दी गई है कि लापरवाही पर कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने ने विस्तृत जानकारी के लिए चार हफ्ते का समय मांगा।

प्रबंध निदेशक और अधिशासी अभियंता को आज हाईकोर्ट में हाजिर होने का निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उप्र विद्युत ट्रांसमिशन निगम शक्ति भवन लखनऊ के प्रबंध निदेशक व अधिशासी अभियंता विद्युत माइक्रेवेव एवं टेली कम्युनिकेशन विक्टोरिया पार्क मेरठ को 31 मई 22 को 10 बजे स्पष्टीकरण रिपोर्ट के साथ हाजिर होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पूछा है कि क्यों न आदेश की अवहेलना के लिए कार्यवाही की जाए। 

यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने मुकेश कुमार की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि 23 अप्रैल 22 के आदेश का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया है। पेेशे से अधिवक्ता बहन से परेशान याची का तबादला कर दिया गया। उसने ज्वाइन भी कर लिया है। किंतु उसे गैर हाजिर करार देते हुए एक जुलाई 21 से 31 मार्च 22 तक का वेतन भुगतान नहीं किया गया। जबकि कार्यालय गेट रजिस्टर में हर दिन याची के हस्ताक्षर हैं। कोर्ट ने इसे आदेश की अवहेलना माना और कहा अनुपालन रिपोर्ट के साथ दोनों अधिकारी हाजिर हों।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है, पीड़ित व अभियुक्त का विधिक अधिकार है कि अपराध की निष्पक्ष, स्वतंत्र एवं सही विवेचना की जाए। कोर्ट ने एसएसपी अलीगढ़ व विवेचना अधिकारी को पीड़िता के बयान की आडियो वीडियो क्लिप पेश करने का निर्देश दिया है और पूछा है कि बयान की रिकार्डिंग की गई है या नहीं। साथ ही एसएसपी से हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कि पिछले एक साल में कितने मामलों में पीड़िता के बयान की रिकार्डिंग की गई है। याचिका की सुनवाई 10 जुलाई को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने आकाश की अपील की सुनवाई करते हुए दिया है।

विगत 22 जुलाई 21 को गैंगरेप मामले में गौरव, गोविंद, भोला, नीरज व आकाश के खिलाफ  एफ आईआर दर्ज कराई गई थी। नाबालिग लड़की पीड़िता का पुलिस व मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज किया गया, जिसमें उसने पांचों अभियुक्तों पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया है। कांस्टेबल माधुरी ने इसके बाद पीड़िता का दोबारा मजीद बयान दर्ज किया और तीन अभियुक्तों को छोड़ दिया गया।

दो अभियुक्तों आकाश व गोविंद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। आकाश ने पुलिस विवेचना पर सवाल खड़े किए और कहा उसके साथ नाइंसाफी की गई है। भेदभाव किया गया है। कोर्ट ने कहा कि बयान की रिकार्डिंग की गई है या नहीं। इसके जवाब में अपर महाधिवक्ता ने कहा डीजीपी ने सभी पुलिस अधिकारियों को संशोधित कानून का पालन करने का निर्देश जारी किया है और चेतावनी दी गई है कि लापरवाही पर कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने ने विस्तृत जानकारी के लिए चार हफ्ते का समय मांगा।

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