Allahabad High Court : अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब यह नहीं कि सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की भाषा के इस्तेमाल का लाइसेंस मिल गया है

0
21

[ad_1]

सार

कोर्ट ने अपने आदेश में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की आपत्तिजनक तस्वीरें पोस्ट करने वाले सिद्धार्थनगर के नियाज अहमद खान  के आरोप पत्र व प्राथमिकी रद्द करने की अर्जी खारिज करते हुए कही। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की आपत्तिजनक तस्वीरों को पोस्ट करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे से बाहर है।

ख़बर सुनें

हाईकोर्ट ने कहा कि आजकल चलन बन गया है कि लोग अपना गुस्सा और हताशा सोशल मीडिया पर सम्मानित लोगों पर अभद्र टिप्पणियां करके निकाल रहे हैं। अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब यह नहीं है, कि किसी को किसी भी प्रकार की भाषा के इस्तेमाल का लाइसेंस मिल गया है। 

कोर्ट ने अपने आदेश में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की आपत्तिजनक तस्वीरें पोस्ट करने वाले सिद्धार्थनगर के नियाज अहमद खान  के आरोप पत्र व प्राथमिकी रद्द करने की अर्जी खारिज करते हुए कही। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की आपत्तिजनक तस्वीरों को पोस्ट करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे से बाहर है।

हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म का दुरुपयोग रोकने का दिया निर्देश

कोर्ट ने मामले में केंद्र और राज्य सरकार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म का दुरुपयोग रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए, जिससे कि समाज में स्वस्थ वातावरण बनाए रखा जा सके। कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि आज के दौर में सोशल मीडिया विचारों के आदान-प्रदान का वैश्विक प्लेटफॉर्म है।

यह लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का इस्तेमाल करने का सबसे सशक्त माध्यम बन चुका है, लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के साथ मिलती है।

यह था मामला
अभियुक्त नियाज पर आरोप है कि उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आतंकी के साथ हाथ मिलाते हुए फर्जी फोटो फारवर्ड की, जोकि अनिल शर्मा के नाम से पोस्ट की गई थी। इसी प्रकार से प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अमित शाह की आपत्तिजनक तस्वीर भी आरोपी ने शेयर कीं। यह तस्वीर अखिलेश यादव के समर्थक के नाम से फेसबुक पर पोस्ट की गई और याची ने उसे फारवर्ड किया।

यह भी पढ़ें -  Prayagraj :संगम की रेती पर महाकुंभ-2025 के लिए 78 सौ करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित

नियाज के खिलाफ  संतकबीरनगर जिले के थाना महंदावल में एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने जांच के बाद अभियुक्त के खिलाफ  चार्जशीट दाखिल की, जिस पर निचली अदालत ने याची को समन जारी कर तलब किया था।

समन आदेश और चार्जशीट को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। न्यायालय ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद कहा कि इस स्तर पर कोर्ट को सिर्फ यह देखना होता है कि प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध का बनना प्रतीत हो रहा है या नहीं। चार्जशीट व प्राथमिकी देखने से यह नहीं कहा जा सकता है कि संज्ञेय अपराध नहीं किया गया है।

अदालत ने अर्जी खारिज करने के साथ ही केंद्र व राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि सोशल मीडिया के दुरुपयोग रोकने के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाए। हाईकोर्ट ने आदेश की प्रति केंद्रीय गृह सचिव व मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश को भेजने का निर्देश दिया है।

विस्तार

हाईकोर्ट ने कहा कि आजकल चलन बन गया है कि लोग अपना गुस्सा और हताशा सोशल मीडिया पर सम्मानित लोगों पर अभद्र टिप्पणियां करके निकाल रहे हैं। अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब यह नहीं है, कि किसी को किसी भी प्रकार की भाषा के इस्तेमाल का लाइसेंस मिल गया है। 

कोर्ट ने अपने आदेश में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की आपत्तिजनक तस्वीरें पोस्ट करने वाले सिद्धार्थनगर के नियाज अहमद खान  के आरोप पत्र व प्राथमिकी रद्द करने की अर्जी खारिज करते हुए कही। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की आपत्तिजनक तस्वीरों को पोस्ट करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे से बाहर है।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here