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पूर्व मंत्री आजम खान।
– फोटो : अमर उजाला
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यतीमखाना ढहाए जाने के प्रकरण में हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री आज़म खां के करीबी फसाहत अली खान उर्फ सानू को विशेष अदालत रामपुर से 29 जुलाई 2020 को मिली जमानत निरस्त कर दी है। कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने अभियुक्त पर लगे अपराधों की गंभीरता व इनके 21 मामलों के आपराधिक इतिहास को नजर अंदाज करते हुए जमानत पर रिहाई का आदेश दिया था।
कोर्ट ने अभियुक्त फसाहत अली खान को तत्काल गिरफ्तार करने का आदेश दिया है। यह भी कहा है कि यदि वह जमानत अर्जी दाखिल करते हैं तो उसकी गिरफ्तारी या समर्पण के बाद नियमानुसार आदेश पारित किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति डीके सिंह ने उत्तर प्रदेश राज्य की अर्जी को मंजूर करते हुए दिया है।
सराय गेट रामपुर में स्थित यतीमखाने में शिकायतकर्ता परिवार सहित किरायेदार है। कोतवाली में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार 15 अक्तूबर 2016 की शाम साढ़े चार बजे आले हसन, फसाहत अली खान, ठेकेदार इस्लाम सहित 20 से 30 लोग आए और शिकायतकर्ता को घर खाली करने की धमकी दी। कहा यतीमखाने पर कैबिनेट मंत्री आज़म खां स्कूल का निर्माण करेंगे। विरोध करने पर उन्हें जबरन घर से बाहर कर 20 हजार नकद व सोने चांदी के जेवर व दो भैंसें लूट लीं। दोनों भैंसें आज़म खां की गोशाला में बंधी हैं।
पुलिस ने अभियुक्तों से गहने बरामद किए। उन्होंने विवेचना के दौरान अपराध स्वीकार भी किया। कोर्ट ने कहा सानू पर 21 आपराधिक केस दर्ज हैं। पावर के नशे में यतीमखाना ढहा दिया गया। इस मामले में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। विशेष अदालत एमपीएमएल, रामपुर ने जमानत मंजूर की थी। जिसे निरस्त करने की मांग में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अर्जी दी थी।
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