Allahabad High Court : ओएमआर शीट की त्रुटि सुधारकर नए सिरे से परिणाम जारी करे आयोग

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– फोटो : अमर उजाला

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती में ओएमआर शीट में हुई त्रुटि सुधारकर नए सिरे से परिणाम जारी करने का निर्देश दिया है। हालांकि इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। कोर्ट ने संशोधित परिणाम जारी करने के निर्देश के साथ ही याचिका को निस्तारित कर दिया।

मामले में न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी। कुमारी संजू की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया कि उन्होंने असिस्टेंट प्रोफेसर में भर्ती केलिए संस्कृत विषय से आवेदन किया था। लिखित परीक्षा में कुल 64 प्रश्नों केसही जवाब दिए थे। उन्हें 137.63 अंक मिलने चाहिए थे, लेकिन सिर्फ 135.48 अंक ही दिए गए। इस कारण वह चयन सूची से बाहर हो गईं। कोर्ट ने मामले में उच्चत्तर शिक्षा सेवा चयन आयोग से जवाब मांगा तो याची की आपत्ति सही पाई गई। 

आयोग ने भी गलती स्वीकार की। इस पर कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया कि वह याची के अंकों में हुई त्रुटि को सुधारकर संशोधित परिणाम जारी करे। उल्लेखनीय है कि उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग ने अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयाें में संस्कृत, गणित, अर्थशास्त्र, शारीरिक शिक्षा सहित अन्य विषयों में भर्ती के लिए विज्ञापन निकाले थे।

भर्ती प्रक्रिया में कुछ अभ्यर्थियों के नंबर परीक्षा परिणाम में कम जोड़े गए, इनमें 14 अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की शरण ली। ज्यादातर मामलों में निर्णय आ चुके हैं। इसमें उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग ने अपनी गलती मानी है। कोर्ट ने सभी मामलों में त्रुटि सुधारकर परिणाम जारी करने का निर्देश दिया है। 

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विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती में ओएमआर शीट में हुई त्रुटि सुधारकर नए सिरे से परिणाम जारी करने का निर्देश दिया है। हालांकि इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। कोर्ट ने संशोधित परिणाम जारी करने के निर्देश के साथ ही याचिका को निस्तारित कर दिया।

मामले में न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी। कुमारी संजू की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया कि उन्होंने असिस्टेंट प्रोफेसर में भर्ती केलिए संस्कृत विषय से आवेदन किया था। लिखित परीक्षा में कुल 64 प्रश्नों केसही जवाब दिए थे। उन्हें 137.63 अंक मिलने चाहिए थे, लेकिन सिर्फ 135.48 अंक ही दिए गए। इस कारण वह चयन सूची से बाहर हो गईं। कोर्ट ने मामले में उच्चत्तर शिक्षा सेवा चयन आयोग से जवाब मांगा तो याची की आपत्ति सही पाई गई। 

आयोग ने भी गलती स्वीकार की। इस पर कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया कि वह याची के अंकों में हुई त्रुटि को सुधारकर संशोधित परिणाम जारी करे। उल्लेखनीय है कि उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग ने अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयाें में संस्कृत, गणित, अर्थशास्त्र, शारीरिक शिक्षा सहित अन्य विषयों में भर्ती के लिए विज्ञापन निकाले थे।

भर्ती प्रक्रिया में कुछ अभ्यर्थियों के नंबर परीक्षा परिणाम में कम जोड़े गए, इनमें 14 अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की शरण ली। ज्यादातर मामलों में निर्णय आ चुके हैं। इसमें उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग ने अपनी गलती मानी है। कोर्ट ने सभी मामलों में त्रुटि सुधारकर परिणाम जारी करने का निर्देश दिया है। 



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